
न्यूज़ डेस्क :- यह बात किसी से छुपी नहीं है की भारत के मोबाइल फोन मार्केट में चीनी कंपनियों का दबदबा है। इनमें वीवो (Vivo), ओप्पो (Oppo) और श्याओमी (Xiaomi) शामिल हैं। भारत में ये कंपनियों दोनों हाथों से कमा रही हैं लेकिन आपको बता दें की ये एक भी पैसे का टैक्स नहीं भरती हैं।
अब सरकार ने इन कंपनियों के गोरखधंधे को उजागर करने के लिए एक विस्तृत जांच शुरू कर दी है। यह जांच कई एजेंसियां कर रही हैं।इन कंपनियों पर पिछले कुछ वर्षों के दौरान नियामकीय फाइलिंग और दूसरी तरह की रिपोर्टिंग में अनियमितता बरतने का आरोप है। साथ ही उनकी बिजनेस प्रैक्टिसेज की भी जांच की जाएगी। चीनी कंपनियों पर आरोप है कि उन्होंने अपनी इनकम के बारे में जानकारी छिपाई, टैक्स से बचने के लिए प्रॉफिट की जानकारी नहीं दी और भारतीय बाजार में घरेलू इंडस्ट्री को तबाह करने के लिए अपने दबदबे का इस्तेमाल किया। सूत्रों ने बताया है कि चीनी कंपनियों पर कंपोनेंट्स लेने और प्रोडक्ट्स के डिस्ट्रिब्यूशन में पारदर्शिता नहीं बरतने का भी आरोप है।
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सरकार को अंधेरे में रख कर हो रहा है कारोबार
चीनी कंपनियों ने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज में जो फाइलिंग की है, उसमें घाटा दिखाया है। जबकि इस दौरान उनकी जबरदस्त बिक्री रही और सबसे ज्यादा फोन बेचने वाली कंपनियों की लिस्ट में वे टॉप पर रहीं। इस बारे में श्याओमी, ओप्पो और वीवो की भारतीय यूनिट्स को भेजे गए सवालों का कोई जवाब नहीं आया। ओप्पो और वीवो का मालिकाना हक चीन की दिग्गज इलेक्ट्रॉनिक कंपनी बीबीके के पास है जो भारत में वनप्लस (OnePlus) और रियलमी (RealMe) ब्रांड्स को भी कंट्रोल करती है।
चीन की कंपनियों ने हाल के वर्षों में जो फाइनेंशियल रिपोर्टिंग की है, उसके शुरुआती आंकलन में खामियों का पता चलता है। इसमें टैक्स चोरी, कमाई छिपाने और तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की बात सामने आई है। सरकार सभी संभावित मुद्दों की जांच कर रही है। मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी की भी इस पर करीबी नजर है।

हाल में चीनी कंपनियों के उभार से लावा (Lava), कार्बन (Karbonn), माइक्रोमैक्स (Micromax) और इंटेक्स (Intex) जैसी देशी कंपनियों की बिक्री में भारी गिरावट आई है। भारतीय स्मार्टफोन मार्केट में उनकी हिस्सेदारी 10 फीसदी से भी कम रह गई है। कुछ साल पहले तक इन कंपनियों की भारतीय बाजार में तूती बोलती थी। चीनी कंपनियों पर यह भी आरोप है कि वे डिस्ट्रिब्यूशन स्थानीय कंपनियों से हाथ नहीं मिलाती हैं और साथ ही कलपुर्जों की सोर्सिंग में भी पारदर्शिता नहीं है। उनके अधिकांश सप्लायर्स चीनी कंपनियां हैं।
रिपोर्ट के अनुसार 2019-20 में इन कंपनियों का भारत में कुल टर्नओवर 1 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक था, लेकिन उन्होंने भारत में एक रुपये का भी टैक्स नहीं दिया। वीवो और ओप्पो तो 2016-17 से अपनी नेटवर्थ निगेटिव में दिखा रही हैं। देश के स्मार्टफोन मार्केट में लीडर होने का दावा करने वाली श्याओमी भारत में भारी नुकसान दिखा रही है। 2018-19 में उसने 2447 करोड़ रुपये और 2019-20 में 3277 करोड़ रुपये का नुकसान दिखाया था।
बरहाल इस गोरखधंधे पर सरकार की नजर पड़ चुकी है और इस पर नकेल कसने की तैयारी भी भारत सरकार ने शुरू कर दी है |
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