
रायपुर :- खैरागढ़ विधायक देवव्रत सिंह के निधन के बाद खैरागढ़ विधानसभा की सीट खाली हो चुकी है, और यहां उपचुनाव कराया जाना है। जिसे लेकर राजनीतिक देव पेंच भी शुरू हो गई है।
खैरागढ़ उपचुनाव को लेकर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़(जे) में घमासान मचा हुआ है | आपको बता दें कि स्वर्गीय देवव्रत सिंह JCCJ से ही विधायक चुने गए थे। जनता कांग्रेस के छत्तीसगढ़ में सात विधायक जीत कर आए थे, जिनमें देवव्रत सिंह सबसे वरिष्ठ थे। पूर्व में देवव्रत सिंह भी अजीत जोगी की ही तरह कांग्रेस के सदस्य थे, पर जब अजीत जोगी ने अपनी अलग पार्टी बनाई तब से वे उनके साथ जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ में हो लिए थे | हालांकि उनके निधन के कुछ समय पहले ही कांग्रेस में आने की उन्होंने घोषणा कर दी थी पर राजनीतिक दल JCCJ अभी भी खैरागढ़ विधानसभा सीट पर अपना कब्जा जमाना चाहती है, जिसको लेकर पार्टी के अध्यक्ष अमित जोगी ने कमर भी कस ली है। यही नहीं अमित जोगी ने दिवंगत देवब्रत सिंह के उत्तराधिकारी के लिए उनके परिजनों से मिलना जुलना भी शुरू कर दिया है।
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हालांकि नियमानुसार किसी भी विधानसभा या लोकसभा सीट के खाली हो जाने पर 6 महीने के अंदर वहां उपचुनाव कराए जाने का प्रावधान है, पर खैरागढ़ में विधायक देवव्रत सिंह को गुजरे अभी तीन ही महीने हुए हैं | लेकिन JCCJ इसे जानबूझकर की गई देरी बता रही है, उन्होंने सरकार पर भी आरोप लगाया है कि खैरागढ़ जैसे जगह को जिला ना बनाकर सरकार ने अपने सौतेले व्यवहार का परिचय दिया है | गौरतलब है कि खैरागढ़ में JCCJ के विधायक जीतकर आये, इसलिए जानबूझकर कांग्रेस सरकार ने खैरागढ़ को जिला नहीं बनाया, जनता सब जानती है और इस उपचुनाव में इसका जवाब जरुर देगी।

अमित जोगी ने ट्विटर पर लिखा है…….
मुझे आश्चर्य है कि स्वर्गीय श्री देवव्रत सिंह के निधन के बाद भी खैरागढ़ उपचुनाव की घोषणा अन्य राज्यों के चुनावों के साथ नहीं हुई है।#JCCJ उपचुनाव में पृथक खैरागढ़ जिला बनाने की माँग को लेकर जनता के बीच जाएगी।इस माँग को
@BJP4CGState और @INCChhattisgarh ने गम्भीरता से नहीं लिया है।
उन्होंने आगे एक और ट्वीट करके लिखा है की…….
पृथक जिला नहीं बनाकर खैरागढ़ के निवासियों को प्रताड़ित करने का एकमात्र कारण यहाँ पर #JCCJ विधायक का होना था जबकि मैं स्वयं इस आंदोलन में सम्मिलित हुआ था।उपचुनाव में खैरागढ़ की जनता दोनों राष्ट्रीय दलों को उनके साथ किए गए इस सौतेले व्यवहार का जवाब देगी।
इधर बीते दिनों खैरागढ़ राजघराने के उत्तराधिकारी आर्यव्रत सिंह और उनकी माता पद्मा सिंह रायपुर में सीएम हाउस पहुंचकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से भी सौजन्य मुलाकात की। इसके भी कई मायने निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक पंडितों के अनुसार खैरागढ़ परिवार अब फिर से कांग्रेस में जुड़ना चाहता हैम यही वजह है कि अब कांग्रेस भी इस परिवार से ही अपना प्रत्याशी भी चुनेगी।
बहरहाल, राजनीतिक लब्बोलुआब के बीच मार्च 2022 में खैरागढ़ में होने वाले उपचुनाव पर सभी की निगाहें टिकी हुई है। खैरागढ़ की विधायकी किसे मिलेगी ये तो वक्त ही बताएगा।
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