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भारत के एक गांव को कहा जाता है ‘बाउंसर विलेज’, चलिए जाने इसके पीछे की वजह

वेब-डेस्क :- आज के समय में आपने बड़े-बड़े होटल और रेस्त्रां में कई बड़े बॉडी बिल्डर्स या फिर बाउंसर्स देखे होंगे। यही नहीं, बॉलीवुड हो या कोई राजनीति क्षेत्र की कोई बड़ी शख्सियत हो। हर कोई अपने साथ बॉडी गार्ड्स तो रखता ही है। काले कपड़े और काले चश्मे में जब यह लोग आसपास से गुजरते हैं तो राह चलते हर किसी की नजर इन पर ही टिक जाती है, लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में एक ऐसा भी गांव है, जहां हर एक घर में एक बाउंसर या बॉडी बिल्डर जरूर होता है। तो आज की इस खबर में हम आपको बताने जा रहे हैं, उस गांव के बारे में जिसे बाउंसर की फैक्ट्री कहा जाता है। आइए जानते हैं।

भारत का बाउंसर फैक्ट्री
बता दें कि भारत की राजधानी दिल्ली के दक्षिणी छोर पर बसा असोला-फतेहपुर बेरी नामक गांव आज एक अलग ही पहचान बना चुका है। इसे देशभर में लोग ‘बाउंसर फैक्ट्री’ के नाम से जानते हैं। इसकी वजह है कि यहां के युवाओं की बड़ी संख्या जो सुरक्षा से जुड़े कामों में जुटे हुए हैं। असोला-फतेहपुर बेरी के लगभग हर घर से एक या एक से अधिक युवक दिल्ली और आसपास के इलाकों में बाउंसर के तौर पर काम करता है। चाहे वो किसी नाइट क्लब की सुरक्षा हो या बड़े इवेंट्स, होटल्स या बार, यहां के युवक हर जगह तैनात मिलते हैं।

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अखाड़ा संस्कृति से जुड़ा है यह गाँव 
यह गांव आज भी अपनी अखाड़ा संस्कृति से जुड़ा हुआ है। सुबह-सुबह मिट्टी के अखाड़ों में युवक कुश्ती करते हैं, भारी वजन उठाते हैं और कठोर शारीरिक अभ्यास करते हैं। इस परंपरा ने गांव के युवाओं को मजबूत, अनुशासित और फिट बनाया है। यहां के लड़कों की जीवनशैली बेहद संयमित है। वे नशे से दूर रहते हैं और दूध, दही, फल, सूखे मेवे और प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करते हैं। यही डाइट उन्हें शक्ति और ऊर्जा देती है।

बाउंसर बनना है एक सम्मानजनक काम 
गांव में बाउंसर बनना एक सम्मानजनक काम माना जाता है, खासकर गुर्जर समुदाय के बीच। यहां ये पेशा केवल नौकरी नहीं, बल्कि पहचान और गौरव का प्रतीक बन चुका है। पीढ़ी दर पीढ़ी यह परंपरा आगे बढ़ रही है। बाउंसर की नौकरी यहां के युवाओं को अच्छी आय देने के साथ-साथ नई संभावनाओं के द्वार भी खोलती है। कई युवाओं ने अपने दम पर जिम, फिटनेस ट्रेनिंग सेंटर और सिक्योरिटी एजेंसियां शुरू कर ली हैं, जिससे गांव की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है।

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