
60 और 70 के दशक में बड़े पर्दे पर राज करने वाली बेहतरीन अभिनेत्रियों में से एक हैं आशा पारेख। इस साल दादा साहब फाल्के अवॉर्ड दिग्गज अभिनेत्री आशा पारेख को दिया जाएगा। इसकी जानकारी केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दी है। आपके बता दें कि, 1992 में, उन्हें सिनेमा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया जा चुका है।
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कैसे हुई फिल्मों में शुरुआत
2 अक्टूबर 1942 में गुजरात में जन्मी आशा पारेख ने आपने फिल्मी करियर की शुरुआत चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर फिल्म ‘आसमान’ से साल 1952 से की थी। बतौर लीड एक्ट्रेस आशा की पहली फिल्म ‘दिल देके देखो’ थी, जो की एक हिट साबित हुई थी। तकरीबन 80 फिल्मों में बतौर लीड एक्ट्रेस काम कर चुकी आशा की कई फिल्में दर्शकों ने खूब पसंद की इनमें ‘जब प्यार किसी से होता है’, ‘घराना’, ‘भरोसा’, ‘मेरे सनम’, ‘तीसरी मंजिल’, ‘दो बदन’, ‘उपकार’, ‘शिकार’, ‘साजन’, ‘आन मिलो सजना’ प्रमुख है।
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हमेशा रही अकेली
आशा पारेख ने कभी शादी नहीं की थी, लेकिन निर्देशक नासिर हुसैन के साथ अफेयर के खूब चर्चे थे। एक इंटरव्यू में आशा से नासिर से शादी न करने की वजह पूंछी गई तो आशा ने कहा था कि वो नहीं चाहती थीं कि नासिर हुसैन कभी भी अपने परिवार से अलग हों, इस वजह से उन्होंने शादी नहीं की। आशा की छवि ऐसी अभिनेत्री की थी जिसे आसानी से पा पाना मुश्किल था। शायद यही वजह थी कि, आशा का हाथ किसी ने कभी नहीं मांगा।
आशा पारेख के सम्मान
पारेख को 2002 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला। इसके अलावा भी उन्हें कई लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिले: 2004 में कलाकर अवॉर्ड; 2006 में अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फिल्म अकादमी पुरस्कार; 2007 में पुणे अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह पुरस्कार; और 2007 में लॉन्ग आइलैंड, न्यूयॉर्क में नौवां वार्षिक बॉलीवुड पुरस्कार। इतना ही नहीं, उन्हें फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) से लिविंग लीजेंड अवॉर्ड भी मिल चुका है।
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