क्षेत्रीय भाषाओं पर मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए पांच और भाषाओं को शास्त्रीय भाषा के रूप में मंजूरी दी है। मोदी सरकार ने मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को शास्त्रीय भाषाओं के रूप में स्वीकृति दे दी है।शास्त्रीय दर्जा प्रदान करने से बोलने वालों की भाषाई पहचान मजबूत होगी, तथा राष्ट्रीय और वैश्विक संस्कृति में उनकी भाषा के योगदान पर गर्व बढ़ेगा।
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भारत में कौन-कौन सी शास्त्रीय भाषाएं
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सरकार के इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा- “पीएम मोदी ने हमेशा भारतीय भाषाओं पर ध्यान केंद्रित किया है… आज 5 भाषाओं मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को शास्त्रीय भाषाओं के रूप में मंजूरी दी गई है… अब तक तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और ओडिया अधिसूचित शास्त्रीय भाषाएं थीं… सरकार शास्त्रीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन तथा इन भाषाओं की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने के लिए कई कदम उठा रही है…।”
#WATCH | Union Minister Ashwini Vaishnaw says, "PM Modi has always focused on Indian languages… Today, 5 languages Marathi, Pali, Prakrit, Assamese and Bengali have been approved as classical languages…" pic.twitter.com/M4l9ZLssCU
— ANI (@ANI) October 3, 2024
शास्त्रीय भाषाओं के लिए मिले थे प्रस्ताव
सरकार ने कहा कि शास्त्रीय भाषाएं भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत की संरक्षक के रूप में काम करती हैं, तथा प्रत्येक समुदाय के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक सार को प्रस्तुत करती हैं। एक सरकारी बयान में कहा गया है कि 2013 में महाराष्ट्र सरकार की ओर से एक प्रस्ताव प्राप्त हुआ था जिसमें मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का अनुरोध किया गया था। इस प्रस्ताव को भाषा विज्ञान विशेषज्ञ समिति (एलईसी) को भेज दिया गया था। एलईसी ने शास्त्रीय भाषा के लिए मराठी की सिफारिश की। बयान में कहा गया कि इस बीच, बिहार, असम और पश्चिम बंगाल से भी पाली, प्राकृत, असमिया और बांग्ला को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के प्रस्ताव प्राप्त हुए थे।
शास्त्रीय भाषा के लिए योग्यता
2006 की एक प्रेस विज्ञप्ति में पर्यटन और संस्कृति मंत्री अंबिका सोनी ने राज्य सभा को बताया कि “शास्त्रीय भाषा” के रूप में वर्गीकरण के लिए विचार की जाने वाली भाषाओं की पात्रता निर्धारित करने के लिए निम्नलिखित मानदंड निर्धारित किए गए थे।
- 1500-2000 वर्षों की अवधि में इसके प्रारंभिक ग्रंथों/अभिलेखित इतिहास की उच्च प्राचीनता।
- प्राचीन साहित्य/ग्रंथों का एक समूह, जिसे बोलने वालों की पीढ़ियों द्वारा एक मूल्यवान विरासत माना जाता है
- साहित्यिक परंपरा मूल होनी चाहिए और किसी अन्य भाषण समुदाय से उधार नहीं ली गई होनी चाहिए।
क्या है शास्त्रीय भाषा
भारत सरकार ने 12 अक्टूबर 2004 को ”शास्त्रीय भाषा” के रूप में भाषाओं की एक नई श्रेणी बनाने का निर्णय लिया, जिसके तहत तमिल को शास्त्रीय भाषा घोषित किया गया तथा उसके बाद संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और उड़िया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया।
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