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BREAKING : हाई कोर्ट ने CGMSC घोटाले के आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका की खारिज…

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन (CGMSC) घोटाले में हाई कोर्ट ने चार आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। यह घोटाला लगभग 660 करोड़ रुपये का है, और इस मामले की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा की जा रही है।

मामला 2021 में मेडिकल उपकरणों की खरीदारी से जुड़ा है, जिसमें आरोप है कि बिना सही आंकलन के आवश्यकता से अधिक उपकरण खरीदे गए थे। इस संबंध में एसीबी-ईओडब्ल्यू ने प्रमुख कंपनियों जैसे मोक्षित कार्पोरेशन, रिकॉर्ड्स और मेडिकेयर सिस्टम, शारदा इंडस्ट्रीज और सीबी कार्पोरेशन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

छत्तीसगढ़ के राजकोष को हुआ नुकसान

कांग्रेस शासनकाल के दौरान, स्वास्थ्य विभाग के CGMSC ने मोक्षित कॉरपोरेशन के जरिए छत्तीसगढ़ के राजकोष को भारी नुकसान पहुँचाया था। इस मामले के संबंध में भारतीय लेखा और लेखापरीक्षा विभाग के प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल (ऑडिट) आईएएस यशवंत कुमार ने राज्य के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी मनोज कुमार पिंगआ को पत्र भी लिखा था।

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ऑडिट में खुलासा

2022-24 और 2023-24 के वित्तीय दस्तावेजों की जांच करते हुए लेखा परीक्षा टीम ने पाया कि बिना बजट आवंटन के 660 करोड़ रुपये की खरीदारी की गई थी। जिसे ऑडिट टीम ने पकड़ लिया था। ऑडिट में पाया गया है कि पिछले दो सालों में आवश्यकता से ज्यादा खरीदे केमिकल और उपकरण को खपाने के चक्कर में नियम कानून को भी दरकिनार किया गया।

बिना जरूरत की हॉस्पिटलों को सप्लाई

प्रदेश के 776 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों सप्लाई की गई, जिनमें से 350 से अधिक ही प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ऐसे हैं, जिसमें कोई तकनीकी, जनशक्ति और भंडारण सुविधा उपलब्ध ही नहीं थी। ऑडिट टीम के अनुसार DHS ने स्वास्थ्य देखभाल की सुविधाओं में बेसलाइन सर्वेक्षण और अंतर विश्लेषण किए बिना ही उपकरणों और रीएजेंट मांग पत्र जारी किया था।

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