नाम लिखने को मजबूर नहीं कर सकते- SC,कांवड़ रूट मामला

नाम लिखने को मजबूर नहीं कर सकते- SC,कांवड़ रूट मामला

नई दिल्ली :- कांवड़ रूट पर नेम प्लेट मामले पर SC सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई जिसमें कोर्ट ने कहा है की किसी को नेम प्लेट के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं | सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मुझे यूपी का जवाब आज सुबह मिला है, यूपी की तरफ से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि यूपी ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है | वहीँ उत्तराखंड ने कहा कि दो हफ्ते का समय चाहिए, जवाब दाखिल करने के लिए | मध्य प्रदेश ने कहा कि उनके प्रदेश मे ऐसा नहीं हुआ सिर्फ उज्जैन म्युनिसिपल ने जारी किया था, लेकिन कोई दबाव नहीं डाला गया है |

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारा आदेश साफ है, अगर कोई अपनी मर्जी से दुकान के बाहर अपना नाम लिखना चाहता है तो हमने उसे रोका नहीं है | हमारा आदेश था कि नाम लिखने के लिए मज़बूर नहीं किया जा सकता है |

यूपी सरकार के वकील ने कहा कि बोर्ड पर मालिक का नाम लिखने के लिए कहना गलत नहीं है, बल्कि कानून की भी आवश्यकता है. कोर्ट ने एकतरफा आदेश दिया है, जिससे हम सहमत नहीं है. उत्तराखंड के वकील ने कहा कि कानून के अनुसार, अनिवार्य रूप से प्रदर्शन किया जाना चाहिए. यात्राएं सालों से होती आ रही हैं. कुछ उप-नियम हैं जिन्हें हम लागू कर रहे हैं, खास तौर पर कांवड़ियों के लिए हमने इस साल कोई उप-नियम जारी नहीं किया है. यह कहना गलत है कि मालिक का नाम प्रदर्शित करने के लिए कोई कानून नहीं है. मुकुल रोहतगी ने कहा कि उन्हें अदालत को यह दिखाना चाहिए था कि एक केंद्रीय कानून है. हमने कल निर्देश जारी किए हैं कि आपको यह कानून सभी पर लागू करना होगा.

एक अन्य हस्तक्षेपकर्ता के लिए वकील ने कहा कि हम भक्तों को दिक्कत हो रही है. नाम दुर्गा या सरस्वती ढाबा रखा गया है तो हम मानकर चलते हैं कि शाकाहारी खाना होगा. उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि हमें शिव भक्त कांवड़ियों के भोजन की पसंद का भी सम्मान करना चाहिए. हस्तक्षेपकर्ता ने कहा कि अंदर जाने पर हमने पाया कि कर्मचारी अलग हैं. मांसाहारी भोजन परोसा जाता है. मैं अपने मौलिक अधिकार के बारे में चिंतित हूं. स्वेच्छा से यदि कोई प्रदर्शन करना चाहता है, तो उसे ऐसा करने की अनुमति होनी चाहिए. अंतरिम आदेश में इस पर रोक लगाई गई है.

बहरहाल अगली सुनवाई 5 अगस्त को होगी, अब देखने वाली बात है की यूपी सरकार के बाद मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकार क्या जवाब दाखिल करती हैं ?

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