छत्तीसगढ़ में सुशासन की धज्जियां उड़ाती दिख रही है मार्कफेड, भ्रष्टाचार के बीज से पल रहा अधिकारियों का घर, दस्तावेज में दिख रहा है आईना….
रायपुर :- छत्तीसगढ़ राज्य शासन में उच्च पदों पर बैठे अधिकारी शासन के नियमों को ताक में रखकर किस प्रकार भ्रष्टाचार के बीज बो रहे हैं इसका उदाहरण छत्तीसगढ़ मार्कफेड में देखने को मिला है, जहां नियमों को ताक में रखकर ज्यादा दरों पर कैप कवर की खरीदी की जा रही है | जिसमें कुछ गिनी चुनी कंपनियों को ही निविदा का लाभ दिया जा रहा है |
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आपको बता दें की छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित (मार्कफेड) द्वारा धान के रखरखाव एवं सुरक्षा हेतु ब्लैक पॉलीथिन कैप कव्हर के क्रय हेतु जैम पोर्टल के माद्यम से निविदा दिनांक 30-09-2024 को आमंत्रित की गयी थी । उक्त निविदा में मार्कफेड के अधिकारियो द्वारा निजी फर्मो से मिलीभगत कर जान बूझ कर ऐसी शर्ते रखी गई है जिसमे केवल कुछ लाभार्थी कम्पनियो को लाभ मिल सके जैसे निविदाकर्ता कैप कव्हर आपूर्ति का विगत 5 वर्षो में से 3 वर्षो में न्यूनतम औसत टर्नओवर 6.5 करोड़ रूपये रखा गया है जबकि विगत वर्षो में CSIDC एवं विपणन संघ द्वारा कैप कव्हर की निविदा आमंत्रित की गई थी जिसमे इस प्रकार की कोई शर्त नहीं रखी गई थी।
छत्तीसगढ़ मार्कफेड द्वारा निविदा में तीन कम्पनियो क्रमश: मेसर्स शिवालिक एग्रो, मेसर्स क्लाइमैक्स सिंथेटिक प्राइवेट लिमिटेड एवं मेसर्स बैगपोली इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड को मार्कफेड द्वारा कैप कव्हर क्रय हेतु आदेश दिया गया है जबकि इन्ही कम्पनियो द्वारा collovsive bidding के कारण भारतीय खाद्य निगम द्वारा इनकी अमानत राशि राजसात की जा चुकी है।
गौरतलब है कि जिन कंपनियों को यह क्रय आदेश दिया गया है वह पहले से ही FCI मे दंडात्मक कार्यवाही झेल रही हैं | आपको बता दें की इन कंपनियों पर भारतीय खाद्य निगम ने पहले ही कार्रवाई की हुई है जिसके तहत उनकी अमानत की राशि जप्त की गई है |
तमिलनाडु सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन द्वारा अक्टूबर 2024 में विभिन्न कम्पनियो को कैप कव्हर खरीदी के लिए क्रय आदेश जारी किया गया है जिसमे से एक कंपनी मेसर्स बैगपोली इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 9390 रूपये प्रति नग (समस्त कर सहित) में कैप कव्हर आपूर्ति किया गया है, उसी प्रकार के समान स्पेस्फिकेशन के कैप कव्हर को मार्कफेड द्वारा 12685 रूपये प्रति नग (समस्त कर सहित) में पता नही किस बाध्यता के कारण खरीदा जा रहा है।
यही नहीं अभी यह मामला जांच में लिया गया है बावजूद इसके छत्तीसगढ़ राज्य में इन कंपनियों को नई निविदाओं में अनैतिक लाभ दिया जा रहा है, इन्हीं कंपनियों पर ऐसा ही एक मामला पंजाब राज्य में भी चल रहा है जिसमें अभी तक जांच जारी है |
इस मामले पर जब जिम्मेदार अधिकारियों से बात की जाती है तो उनके द्वारा एक ही शब्द कहा जाता है कि आप एम.डी से बात कीजिए, इससे यह तय हो रहा है कि भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है और उच्च अधिकारियों का प्रश्रय प्राप्त है |
यह पूरा मामला तब उजागर हुआ जब एक शिकायतकर्ता ने इस पूरे मामले की शिकायत आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो, केंद्रीय सतर्कता आयोग और मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन को प्रेषित की | शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में विस्तार पूर्वक सारे मुद्दों को उठाते हुए अन्य राज्यों के तथ्यात्मक दस्तावेजों के साथ अपनी शिकायत प्रेषित की है | बताया जा रहा है इसके शिकायत के बाद मामले की गम्भीरता ना समझते हुए और बिना तथ्यात्मक जाँच किये ही आनन-फानन में मार्कफेड द्वारा इन कंपनियों को क्रय आदेश जारी कर दिया गया है |
अब यह कहना गलत नहीं होगा की छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय प्रदेश भर में सुशासन तो लाना चाहते हैं, लेकिन प्रदेश के मातहत अधिकारियों को यह रास नहीं आ रहा है। यही कारण है कि अब धीरे-धीरे साय शासन में भी भ्रष्टाचार के पौधे पनपते जा रहे हैं। यदि समय रहते इन पर नकेल नहीं कसा गया तो पिछले शासन के जैसे पुनरावृति होना कोई बड़ी बात नहीं होगी।
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