भोपाल :- मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने श्रीकृष्ण गुरूकुल शिक्षा यात्रा में शामिल सभी संतों, तीर्थ पुरोहित महासंघ, धर्म यात्रा महासंघ और विश्व हिंदू परिषद का अभिनंदन करते हुए कहा कि आज उज्जैन एक अद्भुत क्षण का साक्षी बन रहा है। यात्रा में सम्मिलित सभी सहभागी उस मार्ग पर चलकर आए हैं, जिस पर हमारे आराध्य श्रीकृष्ण शिक्षा ग्रहण करने के लिए मथुरा से उज्जैन स्थित आचार्य सांदीपनी के आश्रम पधारे थे। संतगण को उस पावन मार्ग से गुजरने का अवसर मिला, जहां श्रीकृष्ण की चरणरज पड़ी थी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव मथुरा से आरंभ श्रीकृष्ण गुरूकुल शिक्षा यात्रा के उज्जैन में आयोजित समापन समारोह को भोपाल स्थित मुख्यमंत्री निवास से वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि मथुरा से 5 अक्टूबर को आरंभ हुई यात्रा जयपुर, कोटा, झालावाड़ और आगरा होते हुए उज्जैन पहुंची थी। उज्जैन के समापन कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद श्री उमेशनाथ महाराज, विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह, तीर्थ पुरोहित महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रयागनाथ चतुर्वेदी उपस्थित रहे।
हमारी संस्कृति हमें समाज और सृष्टि के कल्याण के लिए जीना सिखाती है
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सांदीपनी आश्रम गुरू-शिष्य परम्परा की अनादि महिमा का साक्षात प्रतीक है। जहां हर कण में श्रीकृष्ण की विनम्रता, बलराम की शक्ति और सुदामा की भक्ति समाई हुई है। हमारे गुरूकुल आदि काल से भारतीय ज्ञान परम्परा का अभिन्न अंग हैं। सांदीपनी आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण ने शिक्षा पाई और संसार को गीता का उपदेश देकर योगीराज बने। हमारी सनातन संस्कृति का परम ज्ञान परमार्थ है। हमारी संस्कृति हमें समाज और सृष्टि के कल्याण के लिए जीना सिखाती है। भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर ग्रामवासियों की रक्षा की और कुरूक्षेत्र में अर्जुन को गीता के माध्यम से धर्म और कर्तव्य का मार्ग दिखाया। उनका सारा जीवन समाज और धर्म की रक्षा के लिए था।
दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में बनेंगे वृंदावन गांव
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि श्रीकृष्ण गुरूकुल शिक्षा यात्रा ज्ञान, संस्कार और भक्ति का अद्भुत संगम है। यह यात्रा नई पीढ़ी में नैतिकता, आत्मविकास और भारतीय संस्कृति का दीप प्रज्जवलित करने का प्रयास है। राज्य सरकार भगवान श्रीकृष्ण की स्मृतियों को संजोने का कार्य कर रही है। श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली उज्जैन, श्रीकृष्ण और सुदामा का मैत्री स्थल ग्राम नारायणा, रूक्मिणी वरण के स्थल धार जिले के अमझेरा और विनम्रता का संदेश देने वाले स्थल जानापाव (इंदौर) को तीर्थ के रूप में विकसित किया जाएगा। श्रीकृष्ण पाथेय के मार्ग पर आने वाले वन, जल संरचनाओं और उद्यानों का भी संरक्षण किया जाएगा। प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए वृंदावन गांव बनाने का निर्णय लिया गया है। राज्य में गीता जयंती भी मनाई जाएगी।
यह भी पढ़े … 25 नवंबर होगा अयोध्या के लिए ऐतिहासिक दिन – unique 24 news
सिंहस्थ-2028 का आयोजन अद्वितीय वैभव के साथ होगा
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि उज्जैन में वेद-वेदान्त विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी। अमझेरा में चित्रकला, मूर्तिकला और पारम्परिक नृत्य-संगीत कला की शिक्षा दी जाएगी तथा इसे श्रीकृष्ण-रूक्मणी लोक के नाम से जाना जाएगा। जानापाव में सुदर्शन लोक की स्थापना की जाएगी, जहां आयुध कौशल के साथ-साथ पारम्परिक और आधुनिक युद्ध शैली का ज्ञान दिया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहाकि सिंहस्थ-2028 का आयोजन अद्वितीय वैभव के साथ किया जाएगा। राज्य सरकार प्रदेश में सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार में कोई कमी नहीं रहने देगी। उन्होंने प्रदेशवासियों से भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा परम्परा को जीवन में आत्मसात करने का आव्हान भी किया।
उज्जैन में आयोजित समापन कार्यक्रम में बड़ी संख्या में संतगण की उपस्थित रही। इनमें महामण्डलेश्वर श्री शांतिस्वरूपानंद जी सरस्वती, महामण्डलेश्वर श्री आचार्य शेखर जी, महामण्डलेश्वर श्री शैलेषानंद जी गिरी, जूना अखाड़ा, महामण्डलेश्वर श्री ज्ञानदास जी महाराज निर्मोही अखाड़ा, महामण्डलेश्वर श्री भागवतानंद गिरी जी, अंवतिका पीठाधीश्वर, श्री रंगानाथाचार्य जी महाराज, महामण्डलेश्वर श्री मनीष महाराज ददुवा आश्रम तथा तिरूपतिधाम युवराज राघवेन्द्र जी प्रमुख है। इस अवसर पर धर्मयात्रा महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रमोद अग्रवाल, प्रदेश अध्यक्ष श्री अशोक कोटवाणी, तीर्थ पुरोहित महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री श्री सुरेन्द्र चतुर्वेदी तथा प्रदेश अध्यक्ष श्री मनीष उपाध्याय और कांवड़ यात्रा संयोजक श्री रतनलाल अग्रवाल भी उपस्थित रहे।
देश दुनिया की ताजातरीन खबरों के लिए
हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें….