वक्री शनि नक्षत्र बदलाव से पलटेगी 3 राशियों की किस्मत, होंगे मालामाल

वक्री शनि नक्षत्र बदलाव से पलटेगी 3 राशियों की किस्मत, होंगे मालामाल

वक्री शनि का परिचय

शनि ग्रह का ज्योतिषीय महत्व अत्यधिक है, विशेष रूप से जब यह वक्री होता है। वक्री शनि का तात्पर्य है कि शनि ग्रह अपनी सामान्य चाल से विपरीत दिशा में चलता है। इस स्थिति को संस्कृत में ‘वक्री’ कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है ‘वक्रता’ या ‘विकृत चाल’। शनि के इस बदलाव का विभिन्न राशियों पर गहरा प्रभाव पड़ता है, और इसे ज्योतिष में विशेष ध्यान से देखा जाता है।

वक्री शनि की स्थिति में ग्रहों की चाल में महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं। यह बदलाव न केवल शनि की गति को प्रभावित करता है, बल्कि अन्य ग्रहों के साथ उसकी युति और दृष्टि को भी बदल देता है। शनि की वक्री अवस्था आमतौर पर 140 दिनों तक रहती है, और इस दौरान यह ज्योतिषीय दृष्टि से कई महत्वपूर्ण घटनाओं का कारक बनता है।

वक्री शनि का प्रभाव विभिन्न राशियों पर अलग-अलग होता है। कुछ राशियों के लिए यह समय अत्यधिक चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है, जबकि अन्य राशियों के लिए यह प्रगति और समृद्धि का समय हो सकता है। उदाहरण के लिए, जिन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही होती है, उनके लिए यह समय विशेष ध्यान देने योग्य होता है। वहीं, कुछ राशियों के लिए वक्री शनि की स्थिति धन, समृद्धि और भाग्य में परिवर्तन का संकेत हो सकती है।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, वक्री शनि का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह कर्म और न्याय का कारक ग्रह माना जाता है। शनि की वक्री अवस्था में व्यक्ति को अपने कर्मों का फल तेजी से मिलता है, जिससे जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव आते हैं। इस प्रकार, वक्री शनि का परिचय और उसका प्रभाव एक जटिल और महत्वपूर्ण ज्योतिषीय अध्ययन का विषय है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में सहायता करता है।

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वक्री शनि का नक्षत्र बदलाव

वैदिक ज्योतिष में कर्म के स्वामी और न्यायाधीश शनिदेव 29 जून, 2024 से उल्टी चाल चल रहे हैं। अपनी इसी चाल में शनि ग्रह 18 अगस्त से नक्षत्र परिवर्तन करेंगे, जिसका असर देश-दुनिया सहित सभी राशियों पर पड़ेगा। रविवार 18 अगस्त की रात 10 बजकर 03 मिनट पर शनि ग्रह पूर्व भाद्रपद नक्षत्र के पहले पद (चरण) में प्रविष्ट होंगे। उनके इस नक्षत्र में गोचर करने से 3 राशियों के जातकों की किस्मत पलट सकती है। आइए जानते हैं, ये 3 राशियां कौन-सी हैं?

तीन राशियों पर वक्री शनि का प्रभाव

मेष राशि
मेष राशि के जातकों के लिए भाद्रपद नक्षत्र में शनि गोचर अनुकूल सिद्ध हो सकते हैं। कारोबार में हर निर्णय सोच-विचार कर लेने की प्रवृत्ति विकसित होगी। इससे धन लाभ के मार्जिन में उछाल आएगा। किसी को दिया हुआ कर्ज वापस मिलने की प्रबल संभावना है। साझीदार के सहयोग से रुके हुए काम में प्रगति होगी। नौकरीपेशा जातकों को धन आमद के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। ऑफिस में बॉस का सहयोग और समर्थन प्राप्त होगा। मानसिक तनाव से मुक्ति मिलने के योग हैं। पारिवारिक जीवन में खुशियां बढ़ेंगी। आप विदेश यात्रा पर जा सकते हैं।

तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए भाद्रपद नक्षत्र में शनि गोचर काफी लाभकारी साबित हो सकता है। कारोबारी में टैक्स संबंधी विवाद सुलझने से राहत की सांस लेंगे। सेल्स के उपायों पर जोर देने से अच्छा-खासा धन लाभ हो सकता है। कारोबारी यात्राओं से कोई नई डील मिल सकती है। योग्य और अनुभवी कर्मचारियों की भर्ती से लाभ होगा। स्टूडेंट्स जातकों को सीनियर लोगों से पूरा सहयोग मिलेगा। प्रोजेक्ट संबंधी चिंताएं दूर होंगी। किसी संक्रमित बीमारी से मुक्ति मिलने से मन प्रसन्न रहेगा। लाइफ पार्टनर की मदद से जीवन को व्यवस्थित कर पाने में सफल होंगे।

मकर राशि
मकर राशि के जातकों के लिए भाद्रपद नक्षत्र में शनि गोचर से व्यापार और सेहत संबंधी बाधाएं दूर होने के योग बन रहे हैं। कोई बड़ी कारोबारी डील पाने में कामयाबी मिल सकती है। व्यापार के विस्तार एक लिए यह उचित समय है, भविष्य में लाभ होने की संभावना है। पार्टनरशिप के बिजनेस में मुनाफा बढ़ने के प्रबल योग हैं। किसी कानूनी विवाद से छुटकारा मिल सकता है। नौकरीपेशा जातकों की आय में इजाफा होने के योग हैं।। नया वाहन घर में आ सकता है। पारिवारिक प्रसन्नता में बढ़ोतरी होगी। स्टूडेंट्स जातकों को कॉलेज टूर पर जाने का अवसर मिलेगा।

वक्री शनि से लाभ प्राप्त करने के उपाय

वक्री शनि का प्रभाव जीवन में कई तरह के बदलाव ला सकता है, जिनमें से कुछ सकारात्मक होते हैं और कुछ नकारात्मक। शनि के नक्षत्र बदलाव का अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए कुछ विशिष्ट उपाय अपनाए जा सकते हैं। सबसे पहले, ज्योतिषीय उपायों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। एक अनुभवी ज्योतिषी की सलाह पर शनि के मंत्रों का जाप करना और शनिवार के दिन विशेष पूजा-पाठ करना अत्यंत लाभकारी हो सकता है।

वक्री शनि के प्रभाव को सकारात्मक बनाने के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव भी आवश्यक हैं। नियमित रूप से दान-दक्षिणा करना, विशेषकर काले तिल, काले वस्त्र और लोहे की वस्तुएं दान करना, शनि को प्रसन्न करने के लिए माना जाता है। इसके साथ ही, मेहनत और ईमानदारी से काम करना शनि की कृपा प्राप्त करने का एक और महत्वपूर्ण तरीका है।

शनि के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए कुछ सावधानियां भी बरतनी चाहिए। सबसे पहले, किसी भी प्रकार की गलत गतिविधियों से बचना चाहिए, क्योंकि शनि न्याय के देवता माने जाते हैं और वे अनुचित कार्यों को सख्ती से दंडित कर सकते हैं। इसके अलावा, किसी भी प्रकार के विवाद और संघर्ष से दूर रहना चाहिए, क्योंकि इससे शनि का नकारात्मक प्रभाव बढ़ सकता है।

आध्यात्मिक साधनाओं और योग-ध्यान का अनुसरण करना भी वक्री शनि के प्रभाव को संतुलित करने का एक अच्छा तरीका है। नियमित ध्यान और प्राणायाम मन को शांत रखते हैं और शनि के प्रभाव को संतुलित बनाते हैं। इस प्रकार, इन उपायों और सावधानियों का पालन करने से वक्री शनि के नक्षत्र बदलाव का सकारात्मक प्रभाव प्राप्त किया जा सकता है और नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सकता है।

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