वेब-डेस्क :- मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2025 के परिणाम पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने एमपी पीएससी को निर्देश दिया है कि अदालत की अनुमति के बिना परीक्षा परिणाम जारी न किया जाए। मामले की अगली सुनवाई 7 मई को होगी।
संवैधानिक प्रविधानों को चुनौती
याचिकाकर्ता ममता डेहरिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने दलील दी कि राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा नियम-2015 के कुछ प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16 और 335 के साथ-साथ लोक सेवा आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4-अ का उल्लंघन करते हैं। ये नियम आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को छूट का लाभ लेने के बावजूद अनारक्षित वर्ग में चयन से वंचित करते हैं।
आरक्षित वर्ग को छूट, लेकिन चयन से वंचित
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याचिकाकर्ता के वकीलों ने तर्क दिया कि राज्य शासन एक ओर आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को विभिन्न प्रकार की छूट दे रही है, जैसे –
- आयु सीमा में छूट
- शैक्षणिक योग्यता में छूट
- परीक्षा शुल्क में छूट
लेकिन दूसरी ओर, छूट प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को मेरिट में उच्च स्थान प्राप्त करने के बावजूद अनारक्षित वर्ग में चयन नहीं मिल पा रहा है, जो संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है।
परिणाम जारी करने पर अंतरिम रोक
हाईकोर्ट ने पीएससी के सचिव और सामान्य प्रशासन विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कोर्ट को सूचित किया कि पीएससी का संपूर्ण विज्ञापन रोकने की स्थिति में था, लेकिन चूंकि परीक्षा हो चुकी थी, इसलिए कोर्ट ने फिलहाल परिणाम जारी करने पर ही रोक लगाई है।
परीक्षा में लाखों अभ्यर्थियों ने भाग लिया
16 फरवरी को आयोजित इस परीक्षा में 1.18 लाख फार्म भरे गए थे, जिनमें से लगभग 93,000 अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए।
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