fbpx
  • Sat. Sep 23rd, 2023

    Unique 24 News

    खबर जो आप जानना चाहते हैं

    Independence Day Special:इस गांव से निकले सबसे ज्यादा स्वतंत्रता सेनानी

    Independence Day Special: पाटन की धरती स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की धरती है. अंग्रेजों के कुशासन के विरूद्ध आवाज उठाने का साहस इस धरती के सपूतों ने किया. दुर्ग जिले का पाटन ब्लॉक, यूं तो राजनीतिक गतिविधियों के लिए हमेशा से सुर्खियों में रहा है. यहीं से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विधानसभा चुनाव जीतते हैं. लेकिन इसकी एक और पहचान है, पाटन आजादी के दीवानों की भूमि है. यहां के हर गांव में स्वतंत्रता आंदोलन के किस्से और सेनानियों की भागीदारी का इतिहास समेटे हुए है. पाटन को सेनानियों का गढ़ कहा गया है. आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी खुद पाटन के सेनानियों के बीच पहुंचे थे.

    यहां से सबसे ज्यादा स्वतंत्रता सेनानी
    ऐसा माना जाता है कि छत्तीसगढ़ में आजादी के दीवानों में सबसे ज्यादा स्वतंत्र संग्राम सेनानी दुर्ग के पाटन से ही थे. यहां 57 से ज्यादा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हुए. ग्राम देवादा से 14 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आजादी के आंदोलन में शामिल थे. इन सेनानियों के नाम पाटन मर्रा, सेलूद, रानीतराई, जामगांव, दुर्ग के सरकारी हायर सेकेंडरी स्कूलों में 1975 में स्थापित शिलालेखों में अंकित किए गए हैं. इन में से 6 एक ही परिवार के सदस्य हैं. यहां मालगुजार से लेकर गांव के कोटवार तक सभी ने अपना-अपना योगदान आजादी के आंदोलन में दिया था.

    Aaj ka Rashifal: खर्च पर नियंत्रण रखें

    सैकड़ों मील पैदल चलकर जगाई आजादी की अलख
    महात्मा गांधी का नमक सत्याग्रह आंदोलन, अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन, स्वदेशी आंदालेन में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का योगदान भुलाया नहीं जा सकता. पाटन और दुर्ग ब्लॉक के गांवों में आजादी का अलख जगाने के लिए अंग्रेजों से लुक-छिप कर वही सेनानी अपनी रणनीति सेलूद बंगला में ही बनाते थे. लोग जब डर के साए में घर से निकल नहीं पाते उस कठिन दौर में हमारे सेनानियों का यह नारा ब्रिटिश युद्ध प्रयत्न में जन धन देना मूल है, सकल युद्ध अवरोध में सत्य-अहिंसा मूल है, गांव गांव में चलाया और जनमानस को जोड़ा. सैकड़ों मील पैदल चलकर लोगों में देश की आजादी की अलख जगाई.

    15 दिन जेल में रखकर हिदायत देकर छोड़ते थे
    क्षेत्र के स्वतंत्रता सेनानियों को अक्सर पैदल मार्च करते और आंदोलन की रणनीति बनाते समय अंग्रेजी हुकूमत ने गिरफ्तार किया. सेनानियों को सेंट्रल जेल रायपुर में ले जाकर बंदीगृह में डाल दिया जाता. यहां के सेनानी अधिकतम 15 दिनों तक जेल में बंद रहे हैं और उसके बाद इस हिदायत के साथ छोड़ दिए जाते थे.

    देश दुनिया की ताजातरीन खबरों के लिए,

    हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें

    Unique 24 CG – YouTube

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Verified by MonsterInsights