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दिलचस्प सवाल : आखिर क्यों पीले रंग के ही होते हैं सभी इमोजी?

वेब-डेस्क :- आज के डिजिटल युग में इमोजी हमारी बातचीत का एक अहम हिस्सा बन चुके हैं। खुशी, गुस्सा, प्यार या उदासी जैसे भाव को व्यक्त करने के लिए हम इन छोटे-छोटे चित्रों का सहारा लेते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ज्यादातर इमोजी, खासकर चेहरे वाले, पीले रंग के ही क्यों होते हैं? इसके पीछे की वजह न सिर्फ रोचक है, बल्कि तकनीकी और सांस्कृतिक पहलुओं से भी जुड़ी हुई है। आइए, इस रहस्य को समझते हैं।

जापान से शुरू हुई इमोजी की कहानी 

इमोजी की कहानी शुरू होती है जापान से, जहां 1990 के दशक में शिगेताका कुरिता ने पहली बार इमोजी बनाए थे। ये शुरुआती इमोजी मोबाइल फोन के लिए डिजाइन किए गए थे और बेहद साधारण थे। उस समय तकनीक सीमित थी, इसलिए रंगों का ज्यादा इस्तेमाल नहीं हो सकता था। मगर समय के साथ डिजिटल युग का विस्तार होने लगा और ऑनलाइन चैटिंग के लिए इमोजी का प्रयोग बढ़ने लगा। मगर ध्यान देने वाली बात यह है कि आखिर इनका रंग पीला ही क्यों चुना गया?

पीला रंग है एक तटस्थ रंग

दरअसल, पीला रंग इमोजी के लिए इसलिए चुना गया क्योंकि यह एक तटस्थ रंग माना जाता है। इमोजी डिजाइन करने वाली संस्था, यूनिकोड कंसोर्टियम, का मानना था कि पीला रंग सभी नस्लों और त्वचा के रंगों के बीच एक संतुलन बनाता है। अगर इमोजी को किसी खास त्वचा के रंग में बनाया जाता, तो यह हर संस्कृति और समुदाय के लिए प्रासंगिक नहीं रहता। पीला रंग इस समस्या का एक आसान हल था, जो न तो बहुत गहरा था और न ही बहुत हल्का, बल्कि एक ऐसा रंग था जो सभी को जोड़ सके।

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टेलीविजन स्क्रीन पर आसानी से उभर जाता है पिला रंग 

इसके अलावा, पीले रंग का एक और प्रेरणास्रोत कार्टून और कॉमिक्स की दुनिया से मिलता है। लोकप्रिय कार्टून किरदार जैसे ‘द सिम्पसन्स’ के पात्र भी पीले रंग के हैं। इसकी वजह यह थी कि पीला रंग टेलीविजन स्क्रीन पर आसानी से उभर कर सामने आता था और दर्शकों का ध्यान खींचता था। इमोजी डिजाइनरों ने भी इस तकनीक को अपनाया, ताकि छोटे स्क्रीन पर भी ये चित्र स्पष्ट और आकर्षक दिखें।

पिला रंग भावनात्मक उद्देश्य से खाता है मेल

हालांकि, समय के साथ बदलाव भी आए। 2015 में यूनिकोड ने इमोजी के लिए त्वचा के विभिन्न रंगों के विकल्प पेश किए, ताकि लोग अपनी पहचान के अनुसार इमोजी चुन सकें। फिर भी, पीला रंग डिफॉल्ट बना रहा, क्योंकि यह एक ‘सार्वभौमिक’ विकल्प के रूप में देखा जाता है। मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी पीला रंग खुशी, उत्साह और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है, जो इमोजी के भावनात्मक उद्देश्य से मेल खाता है।

क्या है विशेषज्ञों का कहना 

कुछ विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि पीला रंग तकनीकी रूप से बनाना आसान था। शुरुआती डिजिटल ग्राफिक्स में रंगों की संख्या सीमित होती थी, और पीला एक ऐसा रंग था जो कम संसाधनों में भी प्रभावी ढंग से प्रदर्शित हो सकता था। आज भले ही तकनीक उन्नत हो गई हो, लेकिन पीले इमोजी की परंपरा कायम है। तो अगली बार जब आप किसी को हंसता हुआ पीला इमोजी भेजें, तो याद रखें कि इसके पीछे न सिर्फ तकनीक और डिजाइन की कहानी है, बल्कि यह एक ऐसी कोशिश भी है जो बिना किसी भेदभाव के हमें एक-दूसरे से जोड़ती है।

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