राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) को इस देश में सुरक्षा के लिए सबसे ज्यादा भरोसेमंद माना जाता है. इन्हें आप ब्लैक कैट कमांडों के नाम से भी जानते हैं जो पलक झपकते दुश्मन की कमर तोड़ देते हैं.

साल 1984 में भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद केंद्र सरकार ने देश और खासतौर पर कश्मीर से आतंकियों का सफाया करने के लिए इसका गठन किया गया था. तब से यह संगठन राष्ट्र की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा को सुनिश्चित करने में लगा हुआ है. NSG कमांडो अपनी बहादुरी और कठिन ट्रेनिंग के लिए प्रसिद्ध हैं.
कमांडोज की ट्रेंनिग बहुत ही कठिन होती है जिसका सबसे बड़ा मकसद यह होता है कि अधिक से अधिक योग्य लोगों का चयन हो सके. ठीक उसी तरह से कमांडोज फोर्स के लिए भी कई चरणों में चुनाव होता है. सबसे पहले जिन रंगरूटों का कमांडोज के लिए चयन होता है, वह अपनी-अपनी फोर्सेज के सर्वश्रेष्ठ सैनिक होते हैं. इसके बाद भी उनका चयन कई चरणों से गुजर कर होता है. अंत में ये सैनिक ट्रेनिंग के लिए मानेसर एनएसजी के ट्रेनिंग सेन्टर पहुंचते हैं. 90 दिन की कठिन ट्रेनिंग के पहले भी एक हफ्ते की ऐसी ट्रेनिंग होती है जिसमें 15-20 फीसदी सैनिक अंतिम दौड़ तक पहुंचने में रह जाते हैं.लेकिन इसके बाद जो सैनिक बचते हैं और अगर उन्होंने 90 दिन की ट्रेनिंग कुशलता से पूरी कर ली तो फिर वो देश के सबसे ताकतवर कमांडो बन जाते हैं.
फिजिकल ट्रेनिंग
दौड़ना, कसरत करना, मार्शल आर्ट्स जैसी एक्टिविटीज, कई तरह के हथियार चलाना सीखना, लंबी दूरी तक चलना, दौड़ना और भारी वजन उठाना और खराब मौसम में भी फिजिकल एक्टिविटी करना.
तनावपूर्ण स्थितियों में शांत रहना, निर्णय लेने की क्षमता विकसित करना, टीम वर्क करना और मानसिक रूप से मजबूत बनना आदि.
स्पेशलिस्ट ट्रेनिंग
बम निरोधक दस्ते का प्रशिक्षण, हवाई हमलों से निपटने का प्रशिक्षण, उग्रवादियों से लड़ने का प्रशिक्षण और विभिन्न प्रकार के हथियारों और उपकरणों का उपयोग करना.
अंधेरे में लड़ना, रात में नेविगेट करना, निशाना लगाना, दुश्मन को पकड़ना, जंगल में सर्वाइव करना, जंगल में खाना ढूंढना, आश्रय बनाना, दुश्मन से छिपना. ये कमांडो सबसे आखिर में मनोवैज्ञानिक टेस्ट से गुजरते हैं जिसे पास करना अनिवार्य है.
कहां से चुने जाते हैं कमांडो?
एनएसजी का गठन भारत की विभिन्न फोर्सेज से विशिष्ट जवानों को छांटकर किया जाता है. एनएसजी में 53 प्रतिशत कमांडो सेना से आते हैं जबकि 47 प्रतिशत कमांडो 4 पैरामिलिट्री फोर्सेज- CRPF, ITBP, RFA और BSF से आते हैं. इन कमांडोज की अधिकतम कार्य सेवा 5 साल तक होती है. पांच साल भी सिर्फ 15 से 20 प्रतिशत को ही रखा जाता है, बाकी कंमाडो के तीन साल के पूरे होते ही उन्हें वापस उनकी मूल फोर्सेज में भेज दिया जाता है. एनएसजी के कमांडो एंटी हाईजैक, आतंकी हमला, आतंकियों का सफाया, बंधक जैसी परिस्थिति में लड़ने के लिए पूरी तरह प्रशिक्षित होते हैं. मुबंई आतंकी हमला, पठानकोट एयरबेस हमला, अक्षरधाम मंदिर जैसे आतंकी हमलों में इन बहादुर कमांडो ने खुद की जान देकर सैकड़ों लोगों की जान बचाई है.
नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) कमांडो को ट्रेनिंग के दौरान 18,000 रुपये प्रति माह का स्टाइपेंड मिलता है. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद, उनकी सैलरी 40,000 से 85,000 रुपये प्रति माह के बीच होती है. इसके अलावा, उन्हें कई अन्य भत्ते और सुविधाएं भी मिलती हैं जैसे यात्रा भत्ता, महंगाई भत्ता, मुफ़्त राशन, कैंटीन सुविधा, सरकारी आवास, मुफ़्त शिक्षा, चिकित्सा सुविधाएं, पेंशन.
मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट, 35 वर्ष से कम उम्र, भारतीय सशस्त्र बलों या पुलिस बल में कम से कम तीन साल की सेवा और सबसे जरूरी शारीरिक और चिकित्सा रूप से पूरी तरह से फिट होना.
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