नाग पंचमी का महत्व और तिथि
नाग पंचमी हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है जिसे श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से नागदेवता की पूजा अर्चना की जाती है, ताकि वे परिवार की रक्षा करें और समृद्धि लाएं। नाग पंचमी के पर्व का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व व्यापक है, और इसे मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं और मान्यताएं जुड़ी हुई हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, नाग पंचमी के दिन भगवान शिव ने नागों को आशीर्वाद दिया था और इस दिन को उनके प्रति सम्मान और श्रद्धा प्रकट करने के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि नागदेवता का पूजन परिवार को बुरी शक्तियों और दोषों से संरक्षित करता है। इस दिन, लोग नाग देवता की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दूध, धान, फूल, और चंदन अर्पित करते हैं।
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इसके अलावा, नाग पंचमी का त्योहार किसानों के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। इस दिन को नागेश्वर कहे जाने वाले कुछ केंचुए किसानों की जमीन की उर्वरता बढ़ाते हैं, इसलिए इस त्योहार को खेतों के लिए भी लाभकारी माना जाता है। नाग पंचमी पर इन बातों का रखें ध्यान वरना दोष लग सकता है- यह महत्वपूर्ण है कि पूजा विधि और परंपराओं का सही से पालन किया जाए ताकी किसी प्रकार की अशुद्धता ना हो।
संस्कृति और परंपरा के इस महत्वपूर्ण पर्व को न केवल भारत में, बल्कि नेपाल और अन्य हिंदू धर्मावलंबी देशों में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। पूजा की विधियों का पालन करते हुए नाग पंचमी का पर्व मनाना न केवल स्नेह और श्रद्धा का प्रतीक है बल्कि यह हमारे पूर्वजों द्वारा दी गई धरोहर को भी संगठित करता है।
नाग पंचमी की पूजा विधि
नाग पंचमी के अवसर पर नाग देवता की पूजा एक विशिष्ट विधि से की जाती है, जो पुरानी परम्पराओं और शास्त्रों के अनुसार निर्धारित की गई है। इस दिन की पूजा के लिए कुछ विशेष सामग्रियों की आवश्यकता होती है, जिनमें हल्दी, कच्चा दूध, फूल, धूप, दीप, चन्दन, और विशेष रूप से तैयार की गई नाग मूर्ति शामिल हैं। इन सामग्रियों का उपयोग देवता को प्रसन्न करने और दोष से बचने के लिए किया जाता है, इसलिए इन बातों का ध्यान देना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पूजन विधि की शुरुआत प्रायः पूरे परिवार के संयुक्त द्वारा की जाती है। सबसे पहले, घर के सभी सदस्य पूजा स्थल पर मिलकर साफ सफाई करते हैं। उसके बाद, पूजा स्थान पर मिट्टी से बनाई गई नाग की मूर्ति या चित्र को स्थापित किया जाता है। इस मूर्ति के चारों और एक छोटा मटके का ढक्कन सहित कच्चा दूध रखा जाता है। फिर हल्दी और चन्दन से मूर्ति का श्रृंगार किया जाता है।
पूजन के दौरान भगवान नाग देवता की आरती की जाती है। आरती के समय सभी परिवारजन एकत्रित होकर भक्ति भाव से मंत्रों का जाप करते हैं और फूलों और धूप-दीप से नाग देवता का सम्मान करते हैं। एक विशेष ध्यान इस बात का भी रखा जाता है कि पूजा विधि में किसी प्रकार का दोष न हो, जिससे किसी अशुभ घटना का सामना न करना पड़े। इसलिए पूजा की सभी सामग्री सही समय पर और बिना किसी दोष के तैयार की जानी चाहिए।
पूजा संपन्न होने के बाद, परिवार के सदस्य नाग देवता को प्रसाद चढ़ाते हैं और फिर वह प्रसाद समस्त लोगों के बीच बाँट दिया जाता है। इस दिन सतर्क रहते हुए पूजा की विधियों का पालन करने से ही नाग पंचमी का सच्चा फल प्राप्त होता है, जिससे परिवार पर हमेशा शुभता और समृद्धि बनी रहती है।
नाग पंचमी के दौरान क्या करें और क्या न करें
नाग पंचमी का पर्व हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है और इसे पूरे विधि-विधान के साथ मनाया जाता है। इस पावन दिन पर सही नियमों का पालन करना अति आवश्यक होता है, ताकि दोष से बचा जा सके। पूजा के समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए।
सबसे पहले, पूजा स्थल पर जूते-चप्पल पहनकर नहीं जाना चाहिए। स्नान करके ही पूजा स्थल पर प्रवेश करें और पूरी शुद्धता के साथ पूजा करें। इससे न केवल साफ-सफाई बनी रहती है, बल्कि मन को भी शांति मिलती है।
पूजा के लिए शांत और साफ-सुथरी जगह का चयन जरूरी है। नाग पंचमी पर विशेष पूजा करने के लिए एक पवित्र स्थान उपयुक्त होता है जो शांति और पवित्रता का प्रतीक हो। यह समय ध्यान और ध्यानस्थ होकर भगवान नागदेवता की आराधना करने का है।
इस विशेष दिन पर किसी भी विषैले जीव को हानि नहीं पहुंचानी चाहिए, विशेषकर सर्पों को। सर्पों को हिन्दू धर्म में देवता का रूप माना जाता है और नाग पंचमी के दिन सर्प पूजा का विशेष महत्व होता है। यह दिन सर्पों के लिए समर्पित होता है, और उन्हें नुकसान पहुंचाना या हानि पहुंचाना अशुभ माना जाता है।
नाग पंचमी के दिन इन बातों का ध्यान रखने से आप विशेष लाभ प्राप्त कर सकते हैं और दोष से भी बच सकते हैं। सही विधि-विधान और कर्मकांड के अनुसार पूजा करके आप भगवान नागदेवता की कृपा पा सकते हैं। इस पर्व का उद्देश्य मानव की सर्प और अन्य जीवों के प्रति अहिंसा और सम्मान की भावना को बढ़ाना है।
नाग पंचमी मनाते समय भूलकर भी न करें ये गलतियाँ
नाग पंचमी के पावन पर्व पर कुछ गलतियों से दोष का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए इन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। सबसे पहले, नाग पूजा के बाद नागदेवता की मूर्ति का सही तरीके से विसर्जन न करना एक बड़ी गलती मानी जाती है। इस दिन सांप की प्रतिमा का सम्मानपूर्वक विसर्जन करना ही उचित माना गया है।
इसके अलावा, यदि इस दिन सड़क या खेतों में सर्प दिख जाए, तो उसे मारना नहीं चाहिए। यह एक अति गंभीर त्रुटि होगी और इससे दोष उत्पन्न हो सकता है। नाग पंचमी के दिन सभी जीवों के प्रति दयालुता और सम्मान का भाव बनाए रखना चाहिए। सर्प को मारने के बजाय उसे सुरक्षित स्थान पर छोड़ देना ही उचित है।
पूजा के दौरान नियमों का पूरा पालन न करने पर भी दोष लग सकता है। विधि अनुसार पूजा सामग्री का उपयोग और विधिपूर्वक पूजा करना अनिवार्य है। मनोनुकूल तरीके से पूजा करना, जो परंपरा के विपरीत हो, भी दोष का कारण बन सकता है। परंपरागत नियमों का पालन करना ही नागदेवता की कृपा प्राप्त करने का सही मार्ग है।
इन सभी बातों का ध्यान रखते हुए नाग पंचमी का पर्व मनाने से हम श्रावण मास के इस विशेष त्योहार पर नागदेवता की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। सही तरीके से पूजा करके और संपूर्ण नियमों का पालन करके ही हम दोष से बच सकते हैं और इस पवित्र पर्व का पूर्ण लाभ उठा सकते हैं।
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