वेब-डेस्क :- महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त बीड जिले में, जहाँ पानी की कमी और गर्म जलवायु खेती के लिए बड़ी चुनौती है, वहीं किसान परमेश्वर थोरात ने अपनी मेहनत और नई तकनीकों से एवोकाडो की खेती को एक सफल व्यवसाय में बदल दिया। अपनी सोच-समझ और सही रणनीति के चलते उन्होंने प्रति एकड़ 10 लाख रुपये तक की कमाई कर ली। आइए जानते हैं कि कैसे उन्होंने यह सफलता पाई और दूसरे किसान भी कैसे इसका फायदा उठा सकते हैं।
चरण 1: सही किस्म का चुनाव
परमेश्वर थोरात ने 2018 में बेंगलुरु का दौरा किया और अर्का सुप्रीम किस्म की खोज की। यह किस्म 45 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को सहन कर सकती है, जिससे यह बीड की कठोर परिस्थितियों के लिए उपयुक्त साबित हुई। इसकी उच्च उपज और स्थानीय जलवायु के अनुकूल होने की क्षमता ने परमेश्वर को इसे अपनाने के लिए प्रेरित किया।
चरण 2: भूमि का अनुकूलन और जैविक तैयारी
बीड की मिट्टी और जल संकट को देखते हुए उन्होंने 0.75 एकड़ भूमि पर दो फीट गुणा दो फीट के गड्ढे खोदे और उनमें गोबर की खाद मिलाई। इससे मिट्टी में पोषक तत्व बढ़े और पौधों को सहारा मिला। उन्होंने जैविक खाद का इस्तेमाल कर मिट्टी को उपजाऊ और टिकाऊ बनाया।
चरण 3: ड्रिप सिंचाई और जल प्रबंधन
सूखा प्रभावित क्षेत्रों में ड्रिप सिंचाई प्रणाली लगाना परमेश्वर का सबसे बड़ा निर्णय साबित हुआ। यह तकनीक जड़ों तक सीधे पानी पहुंचाती है, जिससे पानी की बर्बादी कम होती है। इसके साथ ही, उन्होंने अपने खेत में वर्षा जल संचयन के लिए तालाब बनाया, जिससे सूखे के मौसम में भी पानी की कमी नहीं हुई।
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चरण 4: जैविक खेती को अपनाना
शुरुआत में परमेश्वर रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कर रहे थे, लेकिन जल्द ही उन्होंने जैविक खेती की ओर रुख किया। गाय के गोबर की खाद और अन्य जैविक तरीकों का उपयोग कर उन्होंने अपने फलों की गुणवत्ता और स्वाद में सुधार किया। जैविक खेती से एवोकाडो की मांग और दाम दोनों में वृद्धि हुई।
चरण 5: ग्राफ्टिंग से बेहतर उपज
परमेश्वर ने 2022 में 250 नए पौधों को ग्राफ्टिंग तकनीक से तैयार किया, जिससे उनकी उपज और पौधों की उम्र में इजाफा हुआ। ग्राफ्टिंग से पौधे अधिक मजबूत और अधिक फल देने में सक्षम हुए।
चरण 6: फसल प्रबंधन और कटाई
परमेश्वर थोरात ने 2021 में पहली बार एवोकाडो की फसल काटी और 2022 तक उनके 50 पौधों में फल लगने लगे। 2023 तक, उन्होंने 1,200 किलोग्राम से अधिक एवोकाडो का उत्पादन किया और इसे उच्च कीमत पर बेचा, जिससे उन्हें प्रति एकड़ 10 लाख रुपये की कमाई हुई।
सूखाग्रस्त क्षेत्रों में एवोकाडो किसानों के लिए सुझाव,
- किस्म का सही चुनाव: ऐसी किस्में चुनें जो गर्म जलवायु और पानी की कमी में भी जीवित रह सकें।
- मिट्टी का पोषण: जैविक खाद और कार्बनिक सामग्री से मिट्टी को समृद्ध करें।
- जल संरक्षण तकनीकें अपनाएं: ड्रिप सिंचाई और वर्षा जल संचयन से पानी की बचत करें।
- धैर्य और दीर्घकालिक योजना: एवोकाडो को फल देने में समय लगता है, लेकिन निरंतरता और मेहनत से परिणाम अवश्य मिलते हैं।
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