इलेक्शन डेस्क :- Lok Sabha elections 2024 में NDA गठबंधन को 292 सीटें मिलीं मिली है और उन्होंने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है | वहीँ विपक्षी गठबंधन इंडिया ने 234 सीटें हासिल की हैं | पार्टियों की बात करें तो NDA गठबंधन की अगुवा BJP 240 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, लेकिन अकेले सरकार बनाने की स्थिति में वो भी नहीं है | उधर, कांग्रेस 99 सीटों के साथ इंडिया गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी है, वहीँ समाजवादी पार्टी 37 और टीएमसी को 29 सीटें मिली हैं जो क्रमशः दूसरे तीसरे स्थानों पर हैं |
सरकार बनाने की कवायद अब शुरू हो चुकी है | NDA के पास स्पष्ट बहुमत है, और अब सबकी निगाहें नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू पर टिकी हैं, जो ‘किंगमेकर’ बनकर उभरे हैं | इंडिया गठबंधन के कई नेताओं का दावा है कि वह भी सरकार बना सकते है, जिसके लिए बार-बार नीतीश और नायडू का नाम लिया जा रहा है |
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सरकार बनाने की कवायद अब शुरू हो चुकी है | NDA के पास स्पष्ट बहुमत है, और अब सबकी निगाहें नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू पर टिकी हैं, जो ‘किंगमेकर’ बनकर उभरे हैं | इंडिया गठबंधन के कई नेताओं का दावा है कि वह भी सरकार बना सकते है, जिसके लिए बार-बार नीतीश और नायडू का नाम लिया जा रहा है |
तो क्या नीतीश कुमार या चंद्रबाबू नायडू एनडीए का साथ छोड़ देंगे तो बीजेपी सरकार नहीं बना पाएगी? आइये समझते हैं…
NDA की सबसे पार्टी बीजेपी ने अकेले 240 सीटें हासिल की हैं, जो बहुमत के आंकड़े से 32 कम है. अगर एनडीए गठबंधन में शामिल तीन सहयोगी- चंद्रबाबू नायडू (16 सीट), एकनाथ शिंदे (7 सीट) और नीतीश कुमार (12 सीट) की सीटें जोड़ दें तो यह कमी पूरी हो जाती है |
नायडू या नीतीश के बगैर कैसे सरकार बनाना संभव?
चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी के पास 16 सीटें हैं. मान लीजिए कि अगर तेलुगू देशम पार्टी एनडीए गठबंधन का साथ छोड़ भी देती है तो एनडीए के पास बहुमत के लिए जरूरी 272 से 4 सीटें ज्यादा (292-16=276) होंगी. यानी मोदी की ही सरकार बनेगी.
अगर नीतीश कुमार एनडीए का साथ छोड़ते हैं तो एनडीए गठबंधन की सीटें घटकर 280 (292-12=280) पर आ जाएंगी. यह बहुमत के लिए जरूरी 272 सीटों से 8 ज्यादा है. मतलब यह है कि एनडीए, नीतीश कुमार के बगैर भी सरकार बनाने की स्थिति में है |
वहीँ आपको यह भी बता दें कि इस बार 7 निर्दलीय और 11 छोटे दलों के सांसद जीते हैं. ये न तो एनडीए गठबंधन (NDA Alliance) में है और ना ही इंडिया गठबंधन (India Alliance) में. इनमें से कई भाजपा के पूर्व सहयोगी हैं. ऐसे में ज्यादा संभावना है कि ये एनडीए में जा सकते हैं. यानी एनडीए का पलड़ा हर हाल में भारी नजर आ रहा है | इन सब बातों का निष्कर्ष यही निकलता है की इस बार भी मोदी बिना किसी दवाब के तीसरी बार प्रधानमंत्री चुने जायेंगे |
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