नीलम बनी नागिन, घर से 72 दिन तक गायब रहकर बनी है नागिन

नीलम बनी नागिन, घर से 72 दिन तक गायब रहकर बनी है नागिन

नीलम की कहानी: एक साधारण महिला से नागिन बनने के दावे तक

झारखंड के गढ़वा जिले की नीलम की कहानी ने कई लोगों को अचंभित कर दिया है। एक साधारण जीवन व्यतीत करने वाली नीलम के जीवन में ऐसा मोड़ कैसे आया कि वह नागिन बन गई, इसके पीछे कई संजीदा घटनाएं छुपी हैं। नीलम, जो कि झारखंड के गढ़वा जिले में एक सामान्य महिला के तौर पर जानी जाती थी, उसके जीवन में कई ऐसी घटनाएं घटीं जिन्होंने उसे इस अद्वितीय स्थिति में ला खड़ा किया।

क्योंकि नीलम ने अपने आप को लेकर ऐसा दावा किया है, जो कि हैरान कर देने वाला है. नीलम को देखने के लिए दूर-दूर से लोग उसके घर पहुंच रहे है | नीलम खुद को नागिन का रूप बता रही है और घर से करीब 72 दिन तक गायब रहकर वह नागिन बनी है और इतने दिनों तक वह गुफा में थी, ऐसा वह दावा कर रही है | गढ़वा जिले के खराउन्धी थाना क्षेत्र के हुसरु गांव के विश्वनाथ उरांव की पुत्री साध्वी नीलम अपने घर के पास स्थित मंदिर से विगत 16 मई को रात्रि मे गायब हो गई जो  72 दिनों के बाद घर पहुंची |

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72 दिन की गुमशुदगी का रहस्य

नीलम का 72 दिन तक रहस्यमय तरीके से गायब होना झारखंड के गढ़वा जिले के निवासियों के लिए बड़ा सवाल बन गया। इस दौरान नीलम की कही पंचानियों और जानकारी से स्पष्ट हुआ कि उसने सबसे पहले एक गहरे जंगल में शरण ली थी। वहाँ उसे तंत्र-मंत्र में विशेषज्ञ एक साधु के पास देखा गया, जो उसे रहस्यमयी शक्तियों के बारे में सिखा रहा था। न केवल जंगल में रहने का उसका अनुभव विहंगम था, बल्कि उसने कई अजीबो-गरीब घटनाओं का सामना भी किया।

गांव के कुछ निवासियों का मानना है कि नीलम ने इन 72 दिनों में ऐसी शक्तियों को हासिल किया जो उसे एक साधारण इंसान से नागिन में परिवर्तित कर सकती हैं। इस अवधि के दौरान, उसे विभिन्न तांत्रिक और धार्मिक स्थलों पर भी देखा गया, जहाँ उसने गहन ध्यान किया। नीलम के गायब रहने के दौरान हुई कई रहस्यमयी गतिविधियाँ और घटनाएँ न केवल उनके परिवार को बल्कि पूरे गढ़वा जिले के लोगों को भी स्तब्ध कर चुकी थीं।

कुछ गवाहों का दावा है कि नीलम ने एक गुप्त गुफा में भी समय बिताया, जहाँ वह अपनी नई हासिल शक्तियों को समझने और विकसित करने का प्रयास कर रही थी। इस गुफा की स्वयं में तंत्र-मंत्र की उपस्थिति नीलम की यात्रा को और भी रहस्यमयी बनाती है। इसके अलावा, उसने अपनी यात्रा में कुछ स्थानीय संरक्षकों से भी संपर्क किया, जो उस क्षेत्र के अन्य रहस्यों के बारे में जानकारी रखते थे।

नीलम का नागिन बनने का किस्सा

नीलम के नागिन बनने का किस्सा झारखंड के गढ़वा जिले में एक अद्भुत और रहस्यमय घटना के रूप में सामने आया। नीलम, एक सामान्य महिला, ने अचानक घर से गायब होकर सभी को हैरत में डाल दिया। इस घटना के 72 दिनों बाद जब नीलम वापस आई, तो उसने बताया कि वह नागिन बन गई है। इस असाधारण परिवर्तन ने इलाके में खलबली मचा दी और नीलम के किस्से ने सबका ध्यान आकर्षित किया।

पिता विश्वनाथ उरांव ने बताया, ‘इस बीच नीलम ने बताया कि अभी हम नागिन के स्वरुप मे हैं. आपलोग अखंड कीर्तन कराइए. इसके बाद ही हम वास्तवीक शरीर मे लौटेंगे. इसके बाद गुफा के अंदर‌ 12 घंटा कीर्तन कराया गया तब जाकर नीलम अपने वास्तवीक शरीर मे लौट कर मंदिर आ गई. गुप्ता धाम से हुसरु आने के दौरान नीलम को देखने के लिए लोंगो की भारी भींड़ देखी गई.’

नीलम के पिता उरांव के अनुसार वो 72 दिनों तक बिना अन्न जल के ही गुफा मे रही. नीलम के आने के बाद गांव मे उसका भव्य स्वागत किया गया. नीलम ने बताया की उसे कुछ याद नहीं है कि क्या हुआ है. उसे गुफा में जाना था. अगर वह यह बात बताती तो कोई उसे जाने नहीं देता. लेकिन वह जैसे ही गुफा से बाहर निकली, उसे कुछ भी याद नहीं है कि वह गुफा में कैसे पहुंची और कैसे नागिन से फिर इंसान बनी. वंहा के जो देवता थे उन्होंने नौ माह तक रुकने के लिए बोला था. लेकिन मै जिद कर के तीन माह मे आई हूं. मुझे सेवा करने के लिए कहा गया है. चार दिन धाम मे तो दो दिन घर पर रह कर सेवा करना है. इस दौरान उसे कुछ भी नहीं खाना है. वह तीन माह से कुछ भी नही खाई है.

समाज की प्रतिक्रिया और नीलम का भविष्य

नीलम के नागिन बनने की खबर ने झारखंड के गढ़वा जिले और आस-पास के इलाकों में एक सनसनी फैला दी है। यह घटना न सिर्फ नीलम के परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए भी अत्यंत विचित्र और अप्रत्याशित थी। आमतौर पर ऐसी घटनाओं को अंधविश्वास या पारंपरिक मान्यताओं का हिस्सा मानकर टाल दिया जाता है, लेकिन नीलम की कहानी ने समाज में एक नई जागरूकता ला दी है।

गढ़वा जिले के लोग इस घटना को विभिन्न दृष्टिकोणों से देख रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि नीलम का नागिन बनना किसी विशेष धार्मिक या आध्यात्मिक संकेत है। वे इसे प्रकृति और आध्यात्म का अद्वितीय उदाहरण मानते हैं। वहीं, दूसरी तरफ कुछ लोग इसे अंधविश्वास और निराधार कहानियों के रूप में खारिज कर देते हैं। इस विभाजित दृष्टिकोण ने समाज में एक गहरी चर्चा को जन्म दिया है।

नीलम का परिवार इस समूची घटना से हतप्रभ है और उनके लिए यह समझना मुश्किल हो गया है कि यह स्थिति कैसे उत्पन्न हुई। परिवार के सदस्य नीलम की सुरक्षा और भविष्य को लेकर चिंतित हैं। वहीं, समाज के कुछ अन्य सदस्य नीलम को एक नई पहचान और सम्मान देने के पक्षधर हैं। वे दृढ़ता से विश्वास करते हैं कि नीलम की स्थिति का अध्ययन और शोध किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे मामलों को समझा जा सके।

नीलम के भविष्य की दिशा अब कई समीकरणों पर निर्भर करती है। गढ़वा जिले में सामाजिक मान्यता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के समन्वय से नीलम के भविष्य की योजनाएँ बन सकती हैं। समाज को नीलम का समर्थन और संरक्षण बनाए रखना होगा ताकि उसके जीवन के हर सम्भावित पक्ष को समझकर उसको एक सकारात्मक दिशा दी जा सके।

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