Pitru Paksha 2024: सावधान! भूल से भी घर में यहां न लगाएं पूर्वजों और दिवंगतों की फोटो, जानें सही दिशा और स्थान

Pitru Paksha 2024: सावधान! भूल से भी घर में यहां न लगाएं पूर्वजों और दिवंगतों की फोटो, जानें सही दिशा और स्थान

Pitru Paksha 2024: सावधान! भूल से भी घर में यहां न लगाएं पूर्वजों और दिवंगतों की फोटो, जानें सही दिशा और स्थान

Pitru Paksha 2024: पितृपक्ष 17 सितंबर से शुरू होगा, जिनका समापन 2 अक्टूबर 2023 को होगा। बहुत से लोग अपने घरों में मृत पूर्वजों की याद में उनकी तस्वीर लगाते हैं और पूजा करते हैं। परंतु दिशा का सही ज्ञान नहीं होने के कारण गलत दिशा में पूर्वजों की तस्वीर लगाने से उसे घर में पितृ दोष लग सकता है।आइए जानते हैं, पूर्वजों, पितरों और परिवार के दिवंगतों की फोटो लगाने की सही दिशा कौन सी है और किस दिशा में उनका मुख होना चाहिए?

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ये है फोटो लगाने की सही दिशा

भारतीय वास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्वजों, पितरों और परिवार के दिवंगतों की तस्वीर को लगाने के लिए दक्षिण दिशा सबसे सही मानी गई है। दक्षिण दिशा में पितरों की तस्वीर लगाने से उनका मुख उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए। बता दें कि हिन्दू धर्म और वास्तु शास्त्र में दक्षिण दिशा को यमदेव की दिशा मानी गई है। इसलिए इस दिशा में पूर्वजों और दिवंगतों की तस्वीर लगाई जाती है तो घर में सुख समृद्धि बनी रहती है।

यहां भूलकर भी न लगाएं पितरों की फोटो

वास्तु शास्त्र के अनुसार पितरों की तस्वीर भूलकर भी ड्राइंग रूम या बेडरूम में नहीं लगना चाहिए। ऐसा करने से घर के सदस्यों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ने लगता है। जिसकी वजह से परिवार में कई तरह की बीमारियां पैर पसारने लगती हैं। कहते हैं कि ऐसा करने से गृहक्लेश होता है। परिवार के सदस्यों के बीच अनबन बनी रहती है। घर की समृद्धि पर नकारात्मक असर होता है।

भूल से भी न करें ये काम

हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार, जिंदा व्यक्ति की फोटो को भूल से भी पूर्वजों और दिवंगतों की तस्वीर की फोटो को साथ नहीं लगाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से जिंदा व्यक्ति की आयु कम हो जाती है। यह भी देखा गया है व्यक्ति अक्सर बीमार रहने लगता है। प्राणों पर भी संकट आ सकता है।

कैसे पाएं पितरों का आशीर्वाद

पितृपक्ष पूरी तरह पूर्वजों को समर्पित किए गए हैं। 15 दिनों तक चलने वाले पितृ पक्ष के दौरान पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने से वे प्रसन्न होते हैं और अपनी संतानों को शुभ आशीष देकर जाते हैं।

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