महाकुंभ 2025 की तैयारी तेजी से चल रही है। ऐसे में, प्रयागराज की पुलिस ने स्नान के दिनों पर श्रद्धालुओं की आरामदायक आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए यातायात प्रबंधन के लिए एक रणनीति तैयार की है। इस योजना में संगम के आसपास ‘नो व्हीकल ज़ोन’ (No Vehicle Zone) शामिल है, जिसे पांच मुख्य स्नान दिनों यानी पौष पूर्णिमा, मकर संक्रांति, बसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि के आसपास तीन दिनों के लिए लागू किया जाएगा।
चार दिनों के लिए रहेगा ‘नो व्हीकल ज़ोन’
मौनी अमावस्या के आसपास चार दिनों का एक्सटेंडेड ‘नो व्हीकल ज़ोन’ लागू किया जाएगा ताकि बढ़ती भीड़ को कंट्रोल में रखा जा सके। इस जगह में संगम की ओर जाने वाले क्षेत्र और पार्किंग स्थलों से संगम तक के क्षेत्र शामिल हैं, जिसका उद्देश्य नदियों के पवित्र संगम की ओर पैदल चलने वालों की आवाजाही को प्राथमिकता देना है।
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प्रयागराज जोन के अतिरिक्त पुलिस उपमहानिदेशक (एडीजी) भानु भास्कर ने यातायात व्यवस्था का ब्यौरा देते हुए बताया कि मेला क्षेत्र को तीन सुपर जोन में बांटा गया है। इसमें परेड (शहर), झूंसी और अरैल, जिनमें से रोडवेज बसों, ट्रेनों और निजी वाहनों और बाकि के परिवहन के विभिन्न साधनों के लिए प्रवेश और निकास बिंदु निर्धारित किए गए हैं।
पैदल यात्रियों को मिलेगी प्राथमिकता
भानु भास्कर ने पैदल चलने वालों को दी जाने वाली प्राथमिकता पर जोर देते हुए कहा, “मेला पुलिस जिले के सात अलग-अलग हिस्सों से संगम की ओर जाने वाले पैदल यात्रियों को प्राथमिकता देगी।” इसका समर्थन करने के लिए, लगभग 1900 हेक्टेयर में 102 पार्किंग स्लॉट स्थापित किए गए हैं, जिनमें लगभग पांच लाख वाहनों को एडजस्ट करने की क्षमता है।
श्रद्धालुओं और वाहनों के प्रबंधन को और अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए, मेला पुलिस ने लोगों के लिए 84 होल्डिंग एरिया और 24 सैटेलाइट पार्किंग स्थल स्थापित किए हैं। मेला परिसर में यातायात को निर्देशित करने के लिए 1,400 से अधिक यातायात पुलिस को तैनात किया जाएगा, ताकि आने वाले लोगों के लिए एक सहज अनुभव सुनिश्चित हो सके।
भक्तों की भीड़ का ध्यान रखना
मेला पुलिस ने परेड (शहर), झूंसी और अरैल के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए 28 पंटून पुलों पर आवाजाही की भी योजना बनाई है। इनमें से 23 पुल परेड और झूंसी को जोड़ेंगे, जबकि बाकि पांच अरैल को झूंसी से जोड़ेंगे। यह प्रयास राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी), रेलवे, रोडवेज और जिला पुलिस के साथ-साथ कई एजेंसियों के बीच अंतरराज्यीय और अंतर-जिला कोर्डिनेशन के लिए एक ठोस प्रयास द्वारा है, ताकि भक्तों की भीड़ नियंत्रित किया जा सके।
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