ईद-ए-मिलाद-उन-नबी आज, प्रधानमंत्री मोदी ने दी बधाई, जानिए इस त्योहार का इतिहास, महत्त्व और खास बातें

ईद-ए-मिलाद-उन-नबी आज, प्रधानमंत्री मोदी ने दी बधाई, जानिए इस त्योहार का इतिहास, महत्त्व और खास बातें

ईद-ए-मिलाद-उन-नबी आज, प्रधानमंत्री मोदी ने दी बधाई, जानिए इस त्योहार का इतिहास, महत्त्व और खास बातें

ईद-ए-मिलाद-उन-नबी: विश्वभर में आज ईद-ए-मिलाद-उन-नबी बड़े ही धूम-धाम से मनाया जा रहा है। इस्लामिक त्योहार ईद-ए-मिलाद-उन-नबी, जिसे आमतौर पर ईद-ए-मिलाद या नबीद और मावलिद के नाम से भी जाना जाता है, सूफी या बरेलवी विचारधारा में पैगंबर मुहम्मद की जयंती के रूप में मनाया जाता है।

इस्लामी चांद कैलेंडर के तीसरे महीने के 12वें दिन पैगंबर मुहम्मद की जयंती मनाई जाती है।

ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार इस साल ईद-ए-मिलाद 16 सितंबर को मनाया जा रहा है। इस मौके पर देशवासियों को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया साइट, एक्स पर पोस्ट डाला है। त्योहार की बधाई देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने एकता बनाए रखने का संदेश दिया है।

पीएम मोदी ने लिखा, “ईद मुबारक!, मिलाद-उन-नबी के मौके पर ढेर सारी शुभकामनाएं। हमेशा मेल-जोल और एकता बनी रहे। चारों ओर खुशियां और समृद्धि हो।”

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क्यों मनाई जाती है ईद-ए-मिलाद-उन-नबी?

ईद मिलाद-उन-नबी या ईद-ए-मिलाद, जिसे आम बोलचाल की भाषा में नबीद और मावलिद भी कहा जाता है, एक त्योहार है जिसे सूफी और बरेलवी संप्रदाय रबी’ अल-अव्वल महीने में मनाते हैं। यह इस्लामी चांद कैलेंडर का तीसरा महीना है, जिसकी 12वीं तारीख को सूफी या बरेलवी विचारधारा के मुसलमान इस्लाम के अंतिम पैगंबर – पैगंबर मुहम्मद की जयंती के रूप में मनाते हैं। रबी’ अल-अव्वल 1446 एएच महीने की शुरुआत के लिए इस महीने की शुरुआत में यानी सितंबर 2024 में सऊदी अरब, भारत, पाकिस्तान, यूएई, बांग्लादेश, श्रीलंका और दुनिया के अन्य हिस्सों में चांद देखा गया था।

किस तारीख को मनाई जाती है ईद-ए-मिलाद?

भारत में मुसलमानों ने इस साल 4 सितंबर को रबी’ अल-अव्वल 1446 हिजरी के लिए चांद देखा और ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, 5 सितंबर 2024 रबी’ अल-अव्वल 1446 की पहली तारीख थी। पैगंबर मुहम्मद की जयंती रबी’ अल-अव्वल की 12वीं तारीख को मनाई जाती है, इसलिए इस साल ईद-ए-मिलाद 16 सितंबर को मनाई जा रही है।

इस्लामी कैलेंडर या चंद्र कैलेंडर ग्रेगोरियन कैलेंडर से अलग होता है। यह चांद के दिखने पर आधारित होता है। इसलिए सुन्नी समुदाय के मुसलमान, जो ईद-ए-मिलाद मनाते हैं, इसे रबी’ अल-अव्वल के 12वें दिन मनाते हैं जबकि शिया समुदाय इसे रबी’ अल-अव्वल के 17वें दिन मनाता है।

ईद-ए-मिलाद का इतिहास और महत्त्व

पैगंबर मुहम्मद के जन्मदिन को मनाने की शुरुआत इस्लाम के शुरुआती चार राशिदुन खलीफाओं के समय से मानी जाती है। इस दिन को मनाने का विचार सबसे पहले फातिमिदों द्वारा शुरू किया गया था। कुछ मुसलमान मानते हैं कि पैगंबर मुहम्मद का जन्म 570 ईस्वी में रबी’ अल-अव्वल के बारहवें दिन मक्का में हुआ था।

हालांकि “मौलिद” शब्द का अर्थ आम अरबी में जन्म देना या बच्चे को जन्म देना होता है, लेकिन ईद-ए-मिलाद को कुछ लोग शोक भी मानते हैं क्योंकि इसे पैगंबर की पुण्यतिथि भी माना जाता है। सबसे पहले इसे मिस्र में एक आधिकारिक त्योहार के रूप में मनाया गया, ईद-ए-मिलाद का उत्सव 11वीं सदी के दौरान अधिक लोकप्रिय हो गया।

उस समय, केवल उस क्षेत्र में शिया मुसलमानों की सत्तारूढ़ जनजाति ही त्योहार मना सकती थी, आम जनता नहीं। 12वीं सदी में सीरिया, मोरक्को, तुर्की और स्पेन ने ईद-ए-मिलाद मनाना शुरू किया और जल्द ही कुछ सुन्नी मुस्लिम संप्रदायों ने भी इस दिन को मनाना शुरू कर दिया।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

ईद-ए-मिलाद-उल-नबी को लेकर पूरे देश में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।कर्नाटक में भी त्योहार को लेकर पूरी तैयारी की गई है। दक्षिण कन्नड़ के SP यतीश एन ने कहा, “आज ईद-ए-मिलाद त्यौहार पर, हमने जिले के चारों ओर पर्याप्त व्यवस्था की है। बीसी रोड पर बंटवाल शहर में विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया गया था, जिसके लिए हमने पर्याप्त व्यवस्था की है। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि बंटवाल या जिले में कहीं भी कोई अप्रिय घटना न हो।”

 

उन्होंने आगे कहा, “कुछ लोगों के बीच कुछ समस्या हो रही है और मैं यह नहीं बता सकता कि समस्या क्या है। हम बस यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि सब कुछ शांतिपूर्ण रहे… जो कोई भी शांति भंग करेगा, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी…”

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