बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रायगढ़ के सेवानिवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी बरनाबस बखला की याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्देश दिया है कि उनसे किसी भी प्रकार की रिकवरी नहीं की जाएगी। कोर्ट ने यह आदेश उस स्थिति में दिया है जब राज्य शासन ने उनके कार्यकाल में हुए कथित वित्तीय अनियमितताओं के आधार पर उनकी पेंशन, ग्रेच्युटी और अवकाश नकदीकरण की राशि रोक दी थी। बरनाबस बखला की ओर से अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और अपूर्वा पांडे ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस कार्रवाई को नियम विरुद्ध और असंवैधानिक करार दिया। याचिका में कहा गया कि उनके सेवानिवृत्त होने के बाद कलेक्टर रायगढ़ द्वारा तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई, जिसने उनके कार्यकाल के दौरान वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाए।
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यह मामला वर्ष 2017 में भारत सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय पुस्तकालय मिशन’ के तहत 87 लाख की स्वीकृत राशि से जुड़ा है, जिसमें 30 लाख रुपये तकनीकी उन्नयन के लिए दिए गए थे। जांच समिति ने तकनीकी उन्नयन कार्यों में अनियमितता पाई और उनके विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज करने व वसूली की सिफारिश की थी। दस्तावेजों के आधार पर न्यायमूर्ति बीडी गुरु की एकलपीठ ने कहा कि शासन का आदेश केवल सिफारिश है, वह कोई वसूली आदेश नहीं है। अतः याचिकाकर्ता से कोई राशि वसूल नहीं की जा सकती।
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