
मोहन भागवत गुरुवार को दिल्ली के कस्तूरबा गांधी मार्ग पर स्थित मस्जिद में इमाम उमर अहमद इलियासी से मिलने पहुंचे थे. मस्जिद में अखिल भारतीय इमाम संगठन का कार्यालय है. इस दौरान उनके साथ संघ के कृष्ण गोपाल, राम लाल और इंद्रेश कुमार भी मौजूद थे. ये बातचीत करीब एक घंटा चली और उसके बाद संघ प्रमुख ने इमाम उमर इलियासी के पिता जमील इलियासी की पुण्यतिथि पर उनकी मज़ार पर जियारत की और इमाम के परिवार से मुलाक़ात की. इसके बाद संघ प्रमुख ने आज़ाद मार्केट में एक मदरसे का दौरा कर वहां बच्चों से मुलाकात की।
इस मुलाक़ात के बाद आया इमाम इलियासी का बयान चर्चा का विषय बन गया है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार मौलवी उमर अहमद इलियासी ने मोहन भागवत को राष्ट्रपिता बताया है। उन्होंने कहा, “हमारा डीएनए एक ही है, केवल भगवान की पूजा करने का हमारा तरीका अलग है.”

उन्होंने कहा, ”मुझे इस बात की खुशी है कि आज इमाम हाउस में हमारे निमंत्रण पर, ये मेरा पारिवारिक निमंत्रण था, उसे उन्होंने स्वीकार किया. आज वो हमारे यहां आए और परिवार से मिले. मिलने के बाद आपस में अपने रिश्तों, मामलों के साथ जो बातें हुईं वो अच्छी रहीं.”
”वो पहली मर्तबा किसी मस्जिद में आए हैं. वो राष्ट्रपिता हैं इस देश के, राष्ट्रऋषि हैं. मोहन भागवत जी के यहां आने से मुझे लगता है कि एक अच्छा संदेश जाएगा. धर्म अलग हो सकते हैं, पूजा के तरीक़े, परंपराएं अलग हो सकती है. सबसे बड़ा धर्म इंसान का है. हम भारत में रहते हैं, हम सभी भारतीय हैं. सब मिलकर भारत को और भारतीयता को मज़बूत करें.”
वहीं, उमर अहमद इलियासी के बेटे सुहैब इलियासी ने कहा कि इससे देश को काफी अच्छा संदेश गया है. हमने परिवार की तरह बैठकर बात की और ये बहुत अच्छा है कि हमारे बुलाने पर वे यहां आए.
संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने इंडिया टुडे को बताया कि मोहन भागवत ने बच्चों से पूछा कि वो क्या पढ़ते हैं और जीवन में क्या हासिल करना चाहते हैं. बच्चों ने संघ प्रमुख को बताया कि वो डॉक्टर और इंजीनियर बनना चाहते हैं.
मोहन भागवत ने बच्चों से देश के बारे में और जानने की जरूरत पर बात की और ज़ोर दिया है भले ही पूजा के तरीक़े अलग है लेकिन सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए.
ओवैसी का बयान
संघ प्रमुख के इस बयान पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं. उनकी इमाम से मुलाक़ात पर जहां एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने आपत्ति जताई है वहीं, कांग्रेस से इस अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का असर कहा है.

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ”हम पर शक क्यों किया जाता है? जो लोग मिलकर आए हैं, उनसे पूछिए कि क्या बात करके आए हैं. आरएसएस की विचारधारा पूरी दुनिया जानती है और आप जाकर उनसे मिलते हैं. ये जो मुस्लिम समुदाय में कथित पढ़ा-लिखा तबका है, जो वो करेंगे वह सच है और हम जो अपनी लड़ाई राजनीतिक हक के लिए और मौलिक अधिकार के लिए लड़ते हैं तो हम बुरे हो जाते हैं.”
उन्होंने कहा, ”ये जो तबका खुद को ज्ञानी समझता है, उन्हें हकीकत से कोई ताल्लुक नहीं है. ज़मीन पर क्या हो रहा है, उन्हें मालूम नहीं है. आराम से ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं और आप आरएसएस प्रमुख से मिलते हैं. ये आपका लोकतांत्रिक अधिकार है. मैं सवाल नहीं उठा रहा लेकिन फिर आपका भी मुझसे सवाल करने का अधिकार नहीं है.”
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कांग्रेस की प्रतिक्रिया
मोहन भागवत की मुलाक़ात को लेकर कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रभारी पवन खेड़ा ने ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा, ”अभी भारत जोड़ो यात्रा में पंद्रह दिन हुए हैं और भाजपा के प्रवक्ता गोडसे मुर्दाबाद बोलने लगे. मंत्री मीडिया से फ़ैलने वाली नफ़रत पर चिंतित होने लगे और मोहन भागवत इमामों के पास पहुंच गए. आगे आगे देखिए होता है क्या.”
वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने मोहन भागवत को भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने का न्योता भी दे दिए. उन्होंने कहा कि हम भागवत जी से अनुरोध करते हैं कि अगर कुछ दिनों की यात्रा का उन पर इतना प्रभाव पड़ा है तो उन्हें एक घंटे के लिए भारत जोड़ो यात्रा में हिस्सा लेना चाहिए, तिरंगा हाथ में लेकर राहुल गांधी के साथ चलना चाहिए, भारत माता की जय और एकजुट भारत के नारे लगाने चाहिए.
समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता ज़ेबा यास्मीन ने एक न्यूज़ चैनल से कहा, ”कोई भी व्यक्ति देश हित में काम करेगा तो उसकी तारीफ़ होगी. लेकिन, आरएसएस भाजपा को हिंदू-मुसलमान ना करने के लिए मना ले, ये संभव नहीं है. मुसलमान बहुत समझदार है और अपने वोट का फ़ैसला खुद लेता है.”
मायावती ने भी की प्रतिक्रिया
बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने भी मोहन भागवत के दिल्ली में मदरसा जाने पर बयान जारी किया है और उनसे सवाल पूछे हैं.
मायावती ने ट्विटर पर जारी किए गए बयान में लिखा है,”आरएसएस प्रमुख श्री मोहन भागवत द्वारा कल दिल्ली स्थित मस्जिद/मदरसे में जाकर उलेमाओं से मुलाकात करने और फिर उनसे अपने आपको ‘राष्ट्रपिता’ व ‘राष्ट्र ऋषि’ कहलवाने के बाद क्या बीजेपी व इनकी सरकारों का मुस्लिम समाज व उनके मस्जिद-मदरसों के प्रति नकारात्मक रुख व बर्ताव में बदलाव आएगा?”
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