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सात समंदर पार तक फैलेगी बस्तर की माटी की सोंधी महक

जगदलपुर। बस्तर की धरती हमेशा से अपनी संस्कृति, परंपरा और लोककला के लिए जानी जाती रही है। यही धरती है जहां की मिट्टी से कला जन्म लेती है, और कला से पहचान बनती है। इसी गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाते हुए लालबाग मैदान में दशहरे के अवसर पर लगे गांधी शिल्प बाजार ने एक बार फिर बस्तर की आत्मा को जीवंत कर दिया है।

कार्यक्रम में उपस्थित जगदलपुर नगर निगम के महापौर संजय पांडे ने अपने भावनात्मक शब्दों में कहा- बस्तर की यह धरती केवल संस्कृति नहीं, संवेदना की भूमि है। यहां की हर कलाकृति में हमारे इतिहास की गूंज है और हर शिल्पकार उस गूंज का रक्षक। जब मैं इन कलाकारों की मेहनत देखता हूं, तो मुझे गर्व होता है कि हमारे बीच ऐसी जीवंत परंपरा है जो समय के साथ और भी सुंदर हो रही है।”

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महापौर संजय पाण्डेय ने आगे कहा- “प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के ‘मेक इन इंडिया’ जैसे अभियान हमें यह संदेश देते हैं कि आत्मनिर्भर भारत की शुरुआत हमारे गांवों और हमारे कारीगरों से होती है। वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय जी के नेतृत्व में राज्य ने विकास की नई दिशा और नई रफ्तार पकड़ी है। पर मेरा व्यक्तिगत विश्वास है कि बस्तर की संस्कृति का विकास केवल सरकारी योजनाओं से नहीं, बल्कि हम सबकी संवेदनाओं और सहभागिता से होगा। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी जड़ों को पहचानें, अपनी मिट्टी की सुगंध को बचाएं और अपनी कला को वह मंच दें, जो वह सच्चे अर्थों में डिजर्व करती है।” गांधी शिल्प बाजार में इस वर्ष स्थानीय शिल्पकारों ने अपनी रचनाओं से न केवल बस्तर की परंपरा को जीवंत किया, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि यहां की कला केवल सौंदर्य नहीं, आत्मा का अनुभव है।

महापौर संजय पांडे ने प्रत्येक कलाकार की प्रशंसा करते हुए कहा- आपकी कला ही बस्तर का गौरव है। जब कोई सैलानी आपकी बनाई वस्तु अपने साथ ले जाता है, तो वह केवल एक वस्तु नहीं, बस्तर की आत्मा का एक अंश लेकर जाता है। मैं नगर निगम की ओर से हर कलाकार के साथ खड़ा हूं, और यह मेरा वचन है कि आपकी कला की पहचान अब बस्तर, छत्तीसगढ़ और देश की सीमाओं के पार तक पहुंच जाएगी। कार्यक्रम में उपस्थित नागरिकों, पर्यटकों और कलाकारों ने महापौर संजय पाण्डेय के इस समर्पण और भावनात्मक संबोधन की सराहना की। सभी ने अनुभव किया कि उनके नेतृत्व में बस्तर की संस्कृति केवल संजोई नहीं जा रही है, बल्कि नई पहचान और नई ऊर्जा के साथ पुनर्जीवित भी हो रही है।

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