Shardiya Navratri Puja Vidhi: आज से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना कर पूजा किया जाता है। इस दिन मां दुर्गा के पहले रूप मां शैलपुत्री की पूजा पूरे विधि विधान से और धूमधाम से की जाती है
आश्विन महीने में शारदीय नवरात्र आती है, इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर से हो रही है।शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना से लेकर व्रत के आखिरी दिन तक शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखा जाता है। कई बार लोग अखंड ज्योति भी जलाते हैं।अगर आप भी नवरात्रि का व्रत रखते हैं और चौकी की स्थापना करते हैं तो कुछ नियमों का पालन करना होगा।
आज से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना कर पूजा किया जाता है। इस दिन मां दुर्गा के पहले रूप मां शैलपुत्री की पूजा पूरे विधि विधान से और धूमधाम से की जाती है। दरअसल नवरात्रि में नौ दिन मां दुर्गा के 9 रूप की पूजा की जाती है। शारदीय नवरात्रि को मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी। तो जानते हैं मां दुर्गा के पहले रूप मां शैलपुत्री की स्वरूप, पूजा, विधि, मुहूर्त, मंत्र,कथा के बारे में:
शारदीय नवरात्रि नहीं करें यह काम
नवरात्रि के दौरान खट्टी चीजों का प्रयोग करने से बचें, इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा आती है।
नवरात्रि के दिनों में अपने घर के आंगन को गोबर से लीपना चाहिए। नवरात्रि के दौरान सात्विक भोजन करना चाहिए। इस दौरान लहसुन, प्याज, मांस- मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
अगर आपने घर में कलश स्थापना, अखंड ज्योति जला रखी है तो घर को खाली न छोड़ें।
जिन लोगों ने नवरात्रि के दौरान व्रत रखें हुए हैं उन्हें इन नौ दिनों तक दाढ़ी-मूंछ, बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा धरती में आ जाती हैं। इन नौ दिनों में मां को प्रसन्न करने के लिए रोजाना दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सकते हैं।
मां दुर्गा की पूजा काले रंग के वस्त्र पहनकर नहीं करनी चाहिए। आप लाल या पीले रंग के वस्त्र पहन सकते हैं।
दिन में सोना नहीं चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के पहले रुप की पूजा
मां शैलपुत्री मां दुर्गा की प्रथम स्वरूप हैं। बता दे मां शैलपुत्री सफेद वस्त्र धारण कर वृषभ की सवारी करती हैं। मां शैलपुत्री की दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल विराजमान है। दरअसल मां शैलपुत्री को स्नेह, धैर्य और इच्छाशक्ति का प्रतीक माना जाता है। मां शैलपुत्री के कई नाम हैं, जैसे: वृषोरूढ़ा, सती, हेमवती, उमा के नाम से भी जाना जाता है। बता दें नवरात्रि में इनकी साधना से कुंवारी कन्याओं को सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है।
शारदीय नवरात्रि मां शैलपुत्री की पूजा विधि
सुबह उठकर जल्दी स्नान कर लें, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें।घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें।मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें।मां को भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।घी का दीपक जलाएं मां शैलपुत्री के मंत्रों का 108 बार जाप करें और मां शैलपुत्री की आरती करें।
Shardiya Navratri Puja Vidhi: इन शक्तिशाली मंत्र के साथ शारदीय नवरात्रि में करें नियमों का पालन, मां दुर्गा की बरसेगी कृपा
मां शैलपुत्री को खुश करने का मंत्र है:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:
दरअसल मां शैलपुत्री की पूजा करने के दौरान इस मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा आप इन मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं:
या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
दूसरा मंत्र
शिवरूपा वृष वहिनी
हिमकन्या शुभंगिनी
पद्म त्रिशूल हस्त धारिणी
रत्नयुक्त कल्याणकारिणी।।
तीसरा मंत्र
ओम् ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:
चौथा मंत्र
बीज मंत्र- ह्रीं शिवायै नम:।।
पांचवा मंत्र
वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ।।
नवरात्रि 9 दिन के कौन से नियम हैं?
किस दिशा में रखें माता की मूर्ति
नवरात्रि की पूजा को लेकर वास्तु नियमों का पालन करना शुभ होता है। मान्यता है कि माता की पूजा विधि विधान से करने से सफलता मिलती है।. नवरात्रि में माता की चौकी लगाने का विशेष महत्व है। आप माता की मूर्ति को ईशान कोण में स्थापित करें। ईशान कोण की दिशा सबसे उत्तम होती है। इसमें ईश्वर का वास होता है।
माता की प्रतिमा को लकड़ी की चौकी पर रखें। चंदन की लकड़ी की चौकी हो तो उस पर भी रख सकते हैं। चैत्र नवरात्रि में अगर घर में मां की मूर्ति स्थापित कर रहे हैं, तो 3 इंच से बड़ी प्रतिमा नहीं होनी चाहिए। मूर्ति का रंग हल्का पीला, हरा या फिर गुलाबी होना चाहिए।नवरात्रि की पूजा सामग्री में पीले और लाल रंग का उपयोग करना चाहिए। पीला रंग जीवन में उत्साह और लाल रंग उमंग लाता है। काले रंग का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। काले रंग से घर में नकारात्मक ऊर्जा आती है। नवरात्रि के दौरान शाम के समय कपूर जला कर आरती करनी चाहिए।इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव खत्म हो जाता है और मां लक्ष्मी का आगमन होता है।
नवरात्रि के 9 दिन
अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 3 अक्टूबर 2024 को प्रात: 12 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 4 अक्टूबर 2024 को प्रात: 02 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगी.
घटस्थापना मुहूर्त – सुबह 06.15 – सुबह 07.22 (अवधि – 1 घंटा 6 मिनट)
कलश स्थापना अभिजित मुहूर्त – सुबह 11.46 – दोपहर 12.33 (अवधि – 47 मिनट)
कन्या लग्न प्रारम्भ – 3 अक्टूबर 2024, सुबह 06:15
कन्या लग्न समाप्त – 3 अक्टूबर 2024, सुबह 07:22
(पहला दिन) – 3 अक्टूबर- मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है
(दूसरा दिन) -4 अक्टूबर -मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है
(तीसरा दिन) -5 अक्टूबर – मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है
(चौथा दिन)-6 अक्टूबर -मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है
(पांचवा दिन)-7 अक्टूबर- मां स्कंदमाता की पूजा
(छठां दिन)- 8 अक्टूबर- मां कात्यायनी की पूजा
(सातवां दिन) -9 अक्टूबर- मां कालरात्रि की पूजा
(आठवां दिन) -10 अक्टूबर- मां महागौरी पूजा
(नौंवा दिन) -11 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री की पूजा
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