
सूर्य को नवग्रह का राजा माना जाता है. वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा कहा जाता है. पूरे ब्रह्मांड का केन्द्र और संपूर्ण जगत को गति प्रदान करने वाला सूर्य ही है. अपनी रोशनी और ऊर्जा से पूरी धरती का पालन पोषण करने वाले सूर्य देव जागृत देव हैं. शास्त्रों के मुताबिक सूर्य प्रत्यक्ष देवता है और कलियुग में शीघ्र सिद्धि प्रदाता हैं. कहते हैं सूर्य देव की आराधना से भक्त सभी शक्तियों और गुणों का स्वामी बन सकता है. सूर्य उपासना व्यक्ति को यशस्वी, तेजस्वी और निरोगी बनाती है.सूर्य उपासना से शरीर का बहुमुखी विकास होता है.
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सूर्य को बलवान या लाभकारी बनाने के लिए और सूर्य देव प्रसन्न करने का सबसे सरल और अचूक उपाय है सूर्य देव को जल अर्पित करना. तो चलिए आपको बताते हैं सूर्य की किस प्रकार उपासना करके आप उनकी कृपा पा सकते हैं.
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कैसे पाएं सूर्य कृपा
- सूर्योदय के प्रथम किरण में अर्घ्य देना सबसे उत्तम होता है.
- सूर्योदय से पहले स्नान करें.
- स्नान के बाद तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें रक्तचंदन, लाल फूल, चावल डालें.
- लोटे में जल भरकर उगते सूर्य के सामने लाल आसन लगाएं.
- सूर्योदय होते ही दोनों हाथों से तांबे के पात्र को पकड़कर इस तरह जल अर्पित करें कि सूर्य और सूर्य की किरणें जल की धार से दिखाई दें.
किसी भी उपासना विधि का अहम हिस्सा होते हैं मंत्र जाप.. जो पूजा उपासना में एक असर लाते हैं. उनके प्रभाव को कई गुण बढ़ाते हैं इसलिए सूर्य उपासना में भी सबसे जरूरी है कि आप जल अर्पित करते समय सूर्य देव के मन्त्रों का जाप करें. सूर्य उपासना के महाशक्तिशाली मंत्र जो किसी चमत्कार से कम नहीं हैं.
सूर्य पूजा के नियम
– रोजाना सूर्योदय से पहले शुद्ध होकर स्नान कर लें
– इसके बाद सूर्यनारायण को तीन बार अर्घ्य देकर प्रणाम करें
– संध्या के समय फिर से सूर्य को अर्घ्य देकर प्रणाम करें
– सूर्य के मंत्रों का जाप श्रद्धापूर्वक करें
– आदित्य हृदय का नियमित पाठ करें
– स्वास्थ्य लाभ की कामना, नेत्र रोग से बचने के लिए सूर्य उपासना श्रेष्ठ है
– रविवार को तेल, नमक नहीं खाना चाहिए
– रविवार के दिन एक समय ही भोजन करना चाहिए.
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