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    बहुत खतरनाक है यह बीमारी, कोरोना को भी किया फेल

    ByWev Desk

    Aug 24, 2023 #India, #news

    मुंबई: कोरोना महामारी अभी पूरी तरह से खत्‍म नहीं हुई है. अभी भी दुन‍िया के कई देशों में कोरोना के अलग-अलग वेर‍िएंट के मरीज सामने आ रहे हैं. लेक‍िन कोरोना वायरस जैसी महामारी के बाद अब मौसमी बीमार‍ियां खासकर इन्‍फ्लुएंजा और उसके अलग-अलग वेर‍िएंट भी तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहे हैं. बरसात के मौसम में इन्‍फ्लुएंजा H3N2 के मामले खूब बढ़ रहे हैं.

    इन्‍फ्लुएंजा ए सबटाइप एच3एन2(H3N2) के मामलों ने हाल के दो वायरस-H1N1 (स्वाइन फ्लू) और SARS-CoV2 को भी पीछे छोड़ द‍िया है. वहीं, अब इन्‍फ्लुएंजा बी सबटाइप विक्टोरिया के मामले देशभर में सामने आने लगे हैं, ज‍िससे इसके मामलों में बढ़ोतरी हो रही है. महाराष्‍ट्र में इन्‍फ्लुएंजा एच3एन2 के टेस्‍ट को ल‍िए गए नमूनों में 95 फीसदी पॉज‍िट‍िव न‍िकल रहे हैं जोकि बेहद च‍िंता का व‍िषय बने हुए हैं. टाइम्‍स ऑफ इंड‍िया में प्रकाश‍ित र‍िपोर्ट के मुताब‍िक प्रयोगशालाओं और अस्पतालों से एकत्र किए गए डेटा से पता चलता है कि राज्य के अधिकांश अस्पतालों में भर्ती मरीजों में H3N2 सामान्य प्रकार का है. शनिवार तक महाराष्ट्र के सरकारी अस्पतालों में फ्लू के करीब 100 मरीज भर्ती थे.

    डॉक्टरों का कहना है कि हालांकि अब तक रिपोर्ट की गई मौतें असाधारण रूप से अधिक नहीं हैं. लेकिन मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. महाराष्ट्र में फ्लू का पॉज‍िट‍िव‍िटी रेट जुलाई में 19 फीसदी तक पहुंच गया था जोक‍ि अप्रैल और मई माह में क्रमशः 6% था. महाराष्‍ट्र के पब्‍ल‍िक हेल्‍थ ड‍िपार्टमेंट के मुताब‍िक जनवरी से अब तक लैब में इन्फ्लूएंजा के 1,540 मामलों की पुष्‍ट‍ि हुई है जिनमें से करीब 900 मामले H3N2 हैं.

    राज्य में H3N2 इन्फ्लूएंजा के मामलों में पॉज‍िट‍िव‍िटी रेट 19 फीसदी होने पर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे में इन्फ्लूएंजा समूह की प्रमुख डॉ. वर्षा पोतदार ने कहा क‍ि इस मौसम में यह निर्विवाद रूप से प्रमुख वायरस प्रकार है. एनआईवी देश के 32-लैब नेटवर्क का हिस्सा है जो इन्फ्लूएंजा वायरस पर नज़र रखता है और उनका अध्ययन करता है. उनके अनुसार, H3N2 के उच्च प्रसार को जनसंख्या की प्रतिरक्षा प्रोफ़ाइल से जोड़ा जा सकता है.

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    उन्होंने बताया कि आबादी का एक बड़ा हिस्सा पहले ही कोविड-19 के संपर्क में आ चुका है और उन्हें इसके खिलाफ टीका लगाया गया है, जबकि एच1एन1 पिछले साल प्रसारित हो रहा था. इन्फ्लूएंजा वायरस को ए (एच1एन1, एच3एन2), बी (सबलाइनेज यामागाटा, विक्टोरिया), सी और डी में अलग किया जा सकता है. जबकि इन्फ्लूएंजा ए और बी दोनों का प्रकोप और मौसमी महामारी के लिए जिम्मेदार हैं, इन्फ्लूएंजा ए वायरस केवल महामारी क्षमता वाले हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि 2020 में कोविड महामारी की शुरुआत के बाद से दुनिया भर में इन्फ्लूएंजा वायरस के प्रसार में बदलाव आया है.

    मुंबई के केईएम अस्पताल में, जहां माइक्रोबायोलॉजी विभाग इन्फ्लूएंजा नमूनों का परीक्षण कर रहा है. इन सभी नमूनों की जांच में 95 फीसदी तक मामले एच3एन2 और 5 फीसदी सबलाइनेज विक्टोरिया के लिए पॉज‍िट‍िव पाए जा रहे हैं. माइक्रोबायोलॉजी विभाग की डॉ. प्रियंका प्रसाद ने कहा कि H3N2 का पता पिछले नवंबर में शुरू हुआ, जबकि विक्टोरिया सबटाइप का पता इस साल फरवरी से मालूम पड़ा है. उन्होंने कहा क‍ि दिलचस्प बात यह है कि कोविड-19 पॉजिटिव नमूने अपेक्षाकृत कम हैं. साथ ही एच1एन1 के मामले भी कम हैं.

    डॉक्टरों का कहना है कि भले ही H3N2 अन्य वायरस पर हावी हो गया हो, लेकिन यह बड़ी तबाही मचाने में कामयाब नहीं हुआ है. संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. वसंत नागवेकर ने कहा कि कुछ अन्य बीमारियों वाले कुछ लोगों को छोड़कर, जो जटिलताओं का सामना कर सकते हैं, अधिकांश मरीज ठीक हो जाते हैं. एक वरिष्ठ माइक्रोबायोलॉजिस्ट ने कहा कि वायरस चक्रीय होते हैं और जैसे ही जनसंख्या में प्रत‍िरोधक क्षमता में ग‍िरावट आती है, बैकबेंचर्स में से एक शीर्ष पर पहुंच जाता है. उन्होंने कहा क‍ि आगे रहने का एकमात्र प्रभावी तरीका वैक्‍सीनेशन है.

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