वेब-डेस्क :- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों ने गलती से यमन में ईरान समर्थित हौथी विद्रोहियों पर हमले की योजनाओं को एक ग्रुप चैट में साझा कर दिया। इस चैट में द अटलांटिक पत्रिका के प्रधान संपादक जेफरी गोल्डबर्ग भी शामिल थे। इस घटना के दो घंटे बाद ही अमेरिका ने हौथी ठिकानों पर हवाई हमलों की शुरुआत कर दी।
युद्ध योजना का खुलासा कैसे हुआ?
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) ने खुलासा किया कि रक्षा सचिव पीट हेगसेथ और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने सिग्नल ऐप पर यमन में हौथी विद्रोहियों के खिलाफ हमले की पूरी योजना साझा की थी। गलती से गोल्डबर्ग को इस ग्रुप चैट में जोड़ा गया, जिससे उन्हें इस संवेदनशील जानकारी की जानकारी मिल गई। चैट में लक्ष्यों, हथियारों और हमले की योजना की जानकारी थी। गोल्डबर्ग ने बताया कि “संदेश श्रृंखला में यमन में हमले के संचालन विवरण और अमेरिका द्वारा तैनात किए जाने वाले हथियारों की जानकारी दी गई थी।” हालांकि, इस लीक के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया और व्हाइट हाउस ने जांच शुरू कर दी।
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ट्रम्प ने कहा – ‘मुझे इसकी जानकारी नहीं थी’
रिपोर्ट सामने आने के 2.5 घंटे बाद राष्ट्रपति ट्रम्प ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हें इस जानकारी के लीक होने का कोई अंदाजा नहीं था। उन्होंने इसे द अटलांटिक की “अविश्वसनीय रिपोर्टिंग” करार दिया और कहा कि “मुझे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।” हालांकि, शाम तक ट्रम्प ने इसे हल्के-फुल्के अंदाज में मजाक के रूप में लिया और एलन मस्क की एक व्यंग्यात्मक पोस्ट साझा करते हुए कहा कि “ट्रम्प ने युद्ध की योजनाएं अटलांटिक में लीक कीं, जहां कोई भी उन्हें कभी नहीं देख सकेगा।
गोपनीय जानकारी का गलत इस्तेमाल
रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज ने गलती से गोल्डबर्ग को सिग्नल पर आमंत्रित किया था। वाल्ट्ज और विदेश मंत्री मार्को रुबियो भी इस चैट का हिस्सा थे। रक्षा सचिव हेगसेथ ने गोल्डबर्ग पर “धोखेबाज” और “बदनाम पत्रकार” होने का आरोप लगाते हुए कहा कि “किसी ने भी युद्ध योजना साझा नहीं की थी।
व्हाइट हाउस की प्रतिक्रिया
व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरोलिन लेविट ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रम्प को अभी भी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम पर भरोसा है। “राष्ट्रपति को वाल्ट्ज और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों पर पूरा विश्वास है और वे इस मामले की तह तक जाने की कोशिश कर रहे हैं।”
सिग्नल ऐप की सुरक्षा पर सवाल
विशेषज्ञों का कहना है कि सिग्नल ऐप, जो एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के कारण पारंपरिक मैसेजिंग की तुलना में सुरक्षित है, फिर भी संवेदनशील सरकारी जानकारी साझा करने के लिए सुरक्षित माध्यम नहीं है। सरकारी अधिकारियों ने संगठनात्मक पत्राचार के लिए सिग्नल का उपयोग किया, लेकिन यह 100% गोपनीय नहीं है और इसे हैक किया जा सकता है।
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