वेब-डेस्क :- अनियमित जीवन शैली और खान पान के चलते बड़ों के साथ बच्चों में भी मोटापा एक बीमारी के रूप में तेजी से पैर पसार रहा है। यहां तक कि 18 फीसदी विद्यार्थी मोटापे की चपेट में हैं। इसके चलते मधुमेह और हृदय रोग की संभावना भी बढ़ जा रही है। यह प्रश्न विचारणीय है कि इस महामारी पर किस तरह लगाम पायी जाए।
मोटापा जीवन शैली से जुड़ी अनेक बीमारियों का शुरुआती संकेत होता है। महिलाओं और पुरुषों की अपेक्षा मोटापे का शिकार बच्चों की संख्या बढ़ रही है। पर्याप्त शारीरिक श्रम न करने से कैलोरी खर्च नहीं हो पाती है। शरीर में अत्यधिक चर्बी जमा हो जाती है। इससे धीरे-धीरे शारीरिक गतिविधियां प्रभावित होने लगती हैं।
यह भी पढ़ें..
रायपुर यातायात सुधार को लेकर सांसद बृजमोहन ने की उच्च स्तरीय बैठक
विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान
विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि दुनिया भर में मोटापे से ग्रस्त लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी है। असुरक्षित जीवन शैली और अनियमित दिनचर्या मोटापे का शिकार बना रही है। विशेषकर स्कूली बच्चे इससे प्रभावित हैं। शहरी क्षेत्र में 18 प्रतिशत विद्यार्थी मोटापे से पीड़ित हैं। करीब तीन प्रतिशत विद्यार्थियों में ब्लड प्रेशर की समस्या है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मोटापे के मामले में भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर है।
ज्योति सक्सेना, डायटिशियन : प्रोटीन का अपने वजन के अनुसार सेवन करें। दाल, फल, अंडे, चिकन, मछली आदि से शरीर का वजन नियंत्रित रहता है। सलाद, मौसमी फलों का भरपूर मात्रा में सेवन करें। फलों में फाइबर होता है। यह शरीर का मेटाबॉलिज्म भी बढ़ाता है। रोजाना 45 मिनट पैदल, योग और व्यायाम करें। सात से आठ घंटे की नींद लें।
ये करें प्रयोग
-साबुत अनाज जैसे गेहूं, कुट्टू, साबुत ओट्स, ज्वार, बाजरा, राई मक्का, जौ आदि को भोजन में शामिल करें।
-जूस के स्थान पर साबुत फल खाना सेहत के लिए ज्यादा अच्छा है।
-नमकीन, समोसे, बिस्कुट, मोमोज की जगह मखाने, चने, बादाम का प्रयोग करें।
देश दुनिया की ताजातरीन खबरों के लिए
हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें….