छत्तीसगढ़ :- पूरे देश में माघ पूर्णिमा के दिन भव्य माघ मेले का आयोजन किया जाता है, और इसी माघ मेले को कुंभ भी कहते हैं। जैसे की आप जानते है प्रयागराज में महाकुम्भ बड़े भव्य तरीके से मनाया जा रहा है और अब वैसा ही कुंभ मेला छत्तीसगढ़ में भी लगने वाला है जो राजिम कुंभ मेला के नाम से जाना जाता है। यह मेला का आयोजन हर वर्ष बड़े ही धूम-धाम से किया जाता है। कहा जाता है की इस मेले में स्नान करने से सारे पापों से मुक्ति मिलती है जिसकी वजह से यहां भक्तों की भीड़ दिखाई देती है। करीब 15 दिन चलने वाले इस मेले में सारे भक्त, भक्ती में पूरी तरह से लीन हो जाते हैं।
कब लगता है राजिम कुंभ
राजिम कुंभ मेला माघ महीने की पूर्णिमा से लगता है। माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक चलने वाले राजिम कुंभ मेले का विशेष महत्व है। ये मेला भारत के आदिवासियों के लिए बहुत अहम माना जाता है।
यह मेला छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 45 किमी की दूरी पर महानदी, पैरी और सोंढूर नदियों के त्रिवेणी संगम तट, राजिम नगर के नदी तट पर लगता है। 12 फरवरी से 26 फरवरी तक आयोजित होने वाले इस मेले में यहां स्थित पावन त्रिवेणी संगम में स्नान करने जरूर आएं।
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राजिम कुंभ में क्या होगा
इस मेले में प्रयागराज आयोजित महाकुंभ जैसा नजारा देखने को मिलेगा। यहां दर्जनों से ज्यादा अखाड़ों के साथ शाही जुलूस और नागा- साधुओं का दरबार भी लगता हैं।
26 फरवरी, महाशिवरात्रि के दिन, साधु-संतों की भव्य शोभायात्रा निकलने वाली है। शोभायात्रा के बाद सभी साधु-संत शंखनाद और मंत्रोच्चारण के साथ संगम में डुबकी लगाकर शाही स्नान संपन्न करेंगे जिसके बाद आम जनता को भी शाही स्नान करने की अनुमती होगी।
संगम स्थान के पास कुलेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर के साथ कई कहानियां भी जुड़ी हुई हैं। शाम के समय आयोजित गंगा आरती में श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है, गंगा आरती के साथ आसपास का नजारा मन को शांति देता है।
इस मेले की खासियत है यहां पर आयोजित हुआ सांस्कृतिक कार्यक्रम, जहा स्थानीय लोकल कलाकार लोक नृत्य प्रस्तुत करते हैं और इसके साथ ही स्थानीय कारीगरों द्वारा बनी मूर्तियां, धार्मिक वस्तुएं और छत्तीसगढ़ की पारंपरिक वेशभूषा की प्रदर्शनी भी लगती है।
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