महासमुंद :- महिला एवं बाल विकास विभाग, शहरी परियोजना महासमुंद द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के क्षमता निर्माण के उद्देश्य से तीन दिवसीय ’पोषण भी, पढ़ाई भी’ प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बच्चों के शारीरिक, मानसिक, संज्ञानात्मक, संवेगात्मक एवं सामाजिक विकास से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षित किया जा रहा है।
परियोजना अधिकारी शैल नाविक ने बताया कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को नवीनतम शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत विकसित पाठ्यक्रमों की विस्तृत जानकारी देना है। उन्होंने बताया कि 0 से 3 वर्ष के बच्चों के लिए ’प्रारंभिक प्रोत्साहन’ नवचेतना पाठ्यक्रम लागू किया गया है। 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए ’अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन’ के तहत ’आधारशिला पाठ्यक्रम’ को अपनाया गया है। इन पाठ्यक्रमों के माध्यम से बच्चों के संज्ञानात्मक, भाषा, संवेगात्मक, रचनात्मक, शारीरिक और सामाजिक विकास पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
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मास्टर ट्रेनर एवं पर्यवेक्षक शीला प्रधान ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को पोषण और शिक्षा के बीच संतुलन के महत्व पर प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि बच्चों के मस्तिष्क का 85 प्रतिशत विकास 6 वर्ष की आयु तक हो जाता है। इस अवधि में यदि बच्चों को उचित पोषण और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, तो उनके भावी विकास की संभावनाएं अत्यधिक बढ़ जाती हैं। शासन आंगनबाड़ी केंद्रों को “मानव संसाधन विकास की नर्सरी“ के रूप में और अधिक सक्षम बनाने हेतु कार्य कर रही है।
विषय विशेषज्ञ एवं अतिथि वक्ता श्रीमती निवेदिता आलोक वर्मा ने बच्चों के संपूर्ण आहार और पोषण पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया किबाजरा आयरन का समृद्ध स्रोत है, और इसके नियमित सेवन से शरीर में रक्त की कमी को दूर किया जा सकता है। वर्तमान में बाजरा और अन्य मोटे अनाज हमारी भोजन की थाली से लुप्त होते जा रहे हैं। हमें फिर से मोटे अनाजों की ओर लौटना होगा। सभी को अपनी पोषण संबंधी आदतों में सुधार करते हुए मोटे अनाज सहित सभी पोषण समूहों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कैल्शियम और विटामिन डी की कमी से बच्चों के हड्डियों के विकास में बाधा आती है। बच्चों के हड्डियों के उचित विकास के लिए दूध, दुग्ध उत्पादों और नियमित धूप सेवन की सलाह दी गई। अतिथि वक्ता एवं प्रशिक्षक कुलदीप यादव ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को ईसीसीई गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इन गतिविधियों का उद्देश्य बच्चों में प्रारंभिक शिक्षा को रुचिकर और प्रभावी बनाना है, जिससे उनका मानसिक एवं शारीरिक विकास सुचारू रूप से हो सके।
महासमुंद शहरी परियोजना के कुल 67 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने इस प्रशिक्षण में भाग लिया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे दिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को व्यवहारिक प्रशिक्षण, केस स्टडीज, एवं नवीनतम शैक्षिक तकनीकों की जानकारी दी जाएगी। इस तरह, ’पोषण भी, पढ़ाई भी’ प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को नवीनतम शिक्षा और पोषण नीतियों से जागरूक किया जा रहा है, जिससे वे अपने केंद्रों पर बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेंगी।
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