हमारे ब्रेन में बेहद अहम रोल निभाता है कोलेस्ट्रॉल

हमारे ब्रेन में बेहद अहम रोल निभाता है कोलेस्ट्रॉल

वेब-डेस्क :- हाई कोलेस्ट्ऱॉल को सेहत के लिए कई प्रकार से खतरनाक माना जाता रहा है, ये हृदय रोगों का प्रमुख कारण है। एक-दो दशकों पहले तक कोलेस्ट्ऱॉल बढ़ने को उम्र के साथ होने वाली समस्या के तौर पर जाना जाता था, हालांकि गड़बड़ होती लाइफस्टाइल और खान-पान ने इसके जोखिमों को कम उम्र के लोगों में भी बढ़ा दिया है।

स्तर बढ़ने से शरीर पर खतरा
वैसे तो कोलेस्ट्रॉल एक जरूरी वसा है, जो शरीर में हार्मोन बनाने, कोशिकाओं की संरचना मजबूत रखने और ऊर्जा देने में मदद करता है। लेकिन जब इसका स्तर बढ़ जाता है तो यह शरीर के लिए खतरा बन जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसके पीछे गलत खानपान, फास्ट फूड, व्यायाम की कमी, तनाव, मोटापा, नींद की कमी जैसी आदतों को मुख्य कारण मानते हैं। शोध बताते हैं कि 25-35 साल की उम्र के युवाओं में भी उच्च कोलेस्ट्रॉल की समस्या देखी जा रही है, जो आगे चलकर हार्ट अटैक, स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है।

हर बार जब कोलेस्ट्रॉल की बात होती है तो खून की जांच कराने की सलाह दी जाती है, पर क्या आप जानते हैं कि कोलेस्ट्रॉल सिर्फ खून में ही नहीं बल्कि हमारे दिमाग (ब्रेन) में भी मौजूद होता है?

ब्लड के अलावा ब्रेन में भी होता है कोलेस्ट्रॉल
अक्सर कोलेस्ट्रॉल को ‘बैड फैट’ समझकर लोग इससे डरते हैं। ब्लड टेस्ट रिपोर्ट में बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल देखकर हार्ट अटैक का खतरा बताया जाता है। लेकिन यह बात पूरी तरह से सही नहीं है। सच यह है कि शरीर का 20 से 25% कोलेस्ट्रॉल दिमाग में होता है और यह हमारे ब्रेन में बेहद अहम रोल निभाता है। ब्रेन में मौजूद कोलेस्ट्रॉल हमारी याददाश्त, सोचने-समझने की क्षमता और नई चीजें सीखने की प्रक्रिया को भी कंट्रोल करता है।

मस्तिष्क के लिए जरूरी है कोलेस्ट्रॉल
यह ब्रेन के लिए बेहद जरूरी है क्योंकि यह न्यूरॉन्स (तंत्रिका कोशिकाओं) की झिल्लियों (मेम्ब्रेन) का हिस्सा बनता है। यह झिल्लियां शरीर के बाकी हिस्सों को सिग्नल ट्रांसमिशन यानी जानकारी भेजने और प्राप्त करने में मदद करती हैं।

इसके अलावा ब्रेन में कोलेस्ट्रॉल से मायलिन शीथ बनती है, जो नर्व फाइबर्स को सुरक्षित रखती है। शोध बताते हैं कि ब्रेन का कोलेस्ट्रॉल शरीर के अन्य हिस्सों से अलग तरीके से बनता और उपयोग होता है। इसकी कमी से मानसिक थकान, याददाश्त में कमी, डिप्रेशन जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए सही मात्रा में ब्रेन कोलेस्ट्रॉल का होना आवश्यक है, लेकिन इसका असंतुलन भी नुकसान कर सकता है।

ब्रेन कोलेस्ट्रॉल और ब्लड कोलेस्ट्रॉल का अंतर
ब्रेन कोलेस्ट्रॉल और ब्लड कोलेस्ट्रॉल का स्रोत, उपयोग और प्रभाव सब अलग होते है। ब्रेन का कोलेस्ट्रॉल मुख्यतः दिमाग में ही बनता है और सीधे खून से उसमें बहुत कम जाता है। इसके विपरीत, ब्लड का कोलेस्ट्रॉल लिवर में बनता है और आहार से मिलता है। ब्रेन का कोलेस्ट्रॉल न्यूरॉन्स को सुरक्षित रखने, मायलिन शीथ बनाने और मानसिक कार्यों में मदद करता है जबकि ब्लड कोलेस्ट्रॉल हार्मोन निर्माण, कोशिका मरम्मत और ऊर्जा के लिए जरूरी होता है।

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असंतुलन होने पर शरीर में पड़ सकता है नकारात्मक असर
वैज्ञानिक अध्ययन बताते हैं कि ब्रेन में मौजूद कोलेस्ट्रॉल का संतुलन मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा है, जबकि खून में बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल हृदय रोग का कारण बनता है। दोनों के बीच अलग-अलग कार्य हैं, लेकिन असंतुलन होने पर शरीर की सामान्य कार्यप्रणाली पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं। इसलिए आहार, व्यायाम और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना आवश्यक है ताकि दोनों प्रकार के कोलेस्ट्रॉल संतुलित बने रहें।

ब्ल्ड कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के आसान उपाय

शोध के अनुसार जीवनशैली में छोटे बदलाव भी कोलेस्ट्रॉल को संतुलित रखने में मदद कर सकते हैं।

सबसे पहले, फाइबर से भरपूर आहार जैसे ओट्स, फल, सब्जियां, मेवे आदि को शामिल करें। ट्रांस फैट और प्रोसेस्ड फूड से बचें। कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल रखने के लिए रोजाना कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें साथ ही तनाव कम करने के लिए योग, ध्यान और पर्याप्त नींद जरूरी है। धूम्रपान और शराब से बचना भी जरूरी है क्योंकि ये सीधे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं।

शोध यह भी बताते हैं कि नियमित जांच करवा कर समय रहते इलाज शुरू करने से हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

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