Dhanteras 2024 Shubh Muhurat: धनतेरस पर आपके शहर में किस समय में है पूजा मुहूर्त, जानिए समय और पूजा विधि

Dhanteras 2024 Shubh Muhurat: धनतेरस पर आपके शहर में किस समय में है पूजा मुहूर्त, जानिए समय और पूजा विधि

Dhanteras 2024 Puja Shubh Muhurat: वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी विधि के दिन धनतेरस पर मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विषय पर कुबेर, माता लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की उपासना करने से व्यक्ति के सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं.

धनतेरस के दिन पूजा-पाठ के साथ-साथ कुछ विशेष चीजों की खरीदारी का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस विशेष दिन पर शुभ मुहूर्त में सोना-चांदी, गाड़ी इत्यादि की खरीदारी करने से विशेष लाभ मिलता है और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. आइए जानते हैं, आपके शहर में किस समय है धनतेरस के लिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.

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धनतेरस 2024 शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर सुबह 10:30 पर शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन 30 अक्टूबर दोपहर 01:10 पर हो जाएगा. धनतेरस पर्व 29 अक्टूबर 2024, मंगलवार के दिन मनाया जाएगा और अधिकांश जगहों पर पूजा मुहूर्त शाम 06:31 से रात्रि 08:15 के बीच रहेगा.

आपके शहर में किस समय है धनतेरस 2024 पूजा मुहूर्त?

  • नई दिल्ली: 06:31 पी एम से 08:13 पी एम
  • पुणे: 07:01 पी एम से 08:33 पी एम
  • नोएडा: 06:31 पी एम से 08:12 पी एम
  • चण्डीगढ़: 06:29 पी एम से 08:13 पी एम
  • चेन्नई: 06:44 पी एम से 08:11 पी एम
  • मुम्बई: 07:04 पी एम से 08:37 पी एम
  • जयपुर: 06:40 पी एम से 08:20 पी एम
  • हैदराबाद: 06:45 पी एम से 08:15 पी एम
  • गुरुग्राम: 06:32 पी एम से 08:14 पी एम
  • कोलकाता: 05:57 पी एम से 07:33 पी एम
  • बेंगलूरु: 06:55 पी एम से 08:22 पी एम
  • अहमदाबाद: 06:59 पी एम से 08:35 पी एम

धनतेरस पूजा विधि

शास्त्रों में यह बताया गया है कि धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की उपासना का विधान है. इस विशेष दिन पर सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करने के बाद पूजा-स्थल की साफ-सफाई करें और इसके बाद देवी-देवताओं की विधिवत उपासना करें. इसके उपरांत प्रदोष काल अर्थात धनतेरस पूजा मुहूर्त की अवधि में ईशान कोण में भगवान कुबेर, माता लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा स्थापित करें और विधि-विधान से उनकी उपासना करें. पूजा के दौरान उन्हें गंध, पुष्प, धूप, दीप इत्यादि अर्पित करें और पंच फल, मिठाई भोग के रूप में अर्पित करें. पूजा के दौरान मंत्र और स्तोत्र का पाठ करें और अंत में माता लक्ष्मी व भगवान कुबेर की आरती के साथ पूजा संपन्न करें.

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