बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर और तेलंगाना सीमा पर नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे अब तक के सबसे बड़े ऑपरेशन ने एक ओर जहां सुरक्षा बलों की रणनीतिक क्षमता और साहस को सामने लाया है, वहीं दूसरी ओर भीषण गर्मी और जटिल भौगोलिक परिस्थितियों ने इस मिशन को और चुनौतीपूर्ण बना दिया है।
गर्मी बन रही चुनौती
दरअसल तेज गर्मी के चपेट में आने से 40 से अधिक जवान डिहाइड्रेशन का शिकार हो गए हैं। जानकारी के अनुसार, जवान चार दिनों से लगातार जंगलों में गश्त कर रहे हैं और माओवादियों के खिलाफ मोर्चा संभाले हुए हैं। इस दौरान 40 से अधिक जवानों की तबीयत गर्मी और थकान के चलते बिगड़ गई। उन्हें तुरंत सेना के हेलिकॉप्टर की मदद से तेलंगाना के भद्राचलम स्थित अस्पताल में शिफ्ट किया गया, जहां उनका इलाज जारी है। डॉक्टरों ने बताया कि कुछ जवानों की स्थिति गंभीर थी, लेकिन समय पर इलाज मिलने के कारण अब सभी की हालत स्थिर है।
ऑपरेशन की ज़मीन से
अधिकारियों ने बताया कि यह ऑपरेशन बेहद संवेदनशील इलाके में चल रहा है, जहां माओवादियों की गतिविधियां काफी सक्रिय हैं। इसी वजह से सुरक्षा बलों ने इस ऑपरेशन को व्यापक स्तर पर अंजाम देने का फैसला किया। ऑपरेशन में राज्य पुलिस, सीआरपीएफ और अन्य केंद्रीय बलों की संयुक्त टीमें शामिल हैं।
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इस अभियान के दौरान सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के कई कैंप नष्ट किए हैं और भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री भी बरामद की है। ऑपरेशन की गंभीरता को देखते हुए अभी इसमें और अधिक सुरक्षाबलों को शामिल किए जाने की संभावना है।
भीषण गर्मी और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद जवानों का हौसला कम नहीं हुआ है। ऑपरेशन को पूरी मजबूती और सतर्कता के साथ अंजाम दिया जा रहा है। प्रशासन ने बताया कि जवानों को राहत देने के लिए अब बेहतर जल और प्राथमिक चिकित्सा व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है, ताकि आगे किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या न हो।
यह घटना न केवल सुरक्षाबलों के समर्पण को दर्शाती है, बल्कि यह भी उजागर करती है कि माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में अभियान कितने जोखिम भरे और कठिन होते हैं। फिलहाल ऑपरेशन जारी है और अधिकारियों का कहना है कि माओवादियों के सफाए तक यह मिशन रुकने वाला नहीं है।
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