वेब-डेस्क :- विदर्भ के किसान सुहास बाली ने कॉर्पोरेट करियर छोड़कर विदेशी सब्जियों की खेती को अपनाया। उनकी पहल से 30,000 किसानों की आय 4 गुना तक बढ़ गई है।
विदर्भ के किसानों को नई राह दिखा रहे सुहास बाली:- महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में बसे एक छोटे से गांव से निकले सुहास बाली ने कॉर्पोरेट करियर छोड़कर खेती में नई क्रांति ला दी। उन्होंने विदेशी सब्जियों की खेती के जरिए छोटे किसानों को अपनी कमाई बढ़ाने का अवसर दिया।
कॉर्पोरेट से खेत तक का सफर 2014 में एमबीए पूरा करने के बाद, सुहास बाली ने चार साल तक कॉर्पोरेट सेक्टर में काम किया, लेकिन वहां उन्हें वह संतुष्टि नहीं मिली, जिसकी उन्हें तलाश थी। प्रकृति से जुड़े रहने की चाहत उन्हें अपने गांव वाशिम जिले में वापस ले आई।
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विदेशी खेती का साहसिक कदम:- कृषि का औपचारिक प्रशिक्षण न होने के बावजूद, सुहास ने शहरी बाजारों में विदेशी सब्जियों की बढ़ती मांग को देखते हुए ब्रोकोली, लाल गोभी और तोरी जैसी फसलें उगानी शुरू कीं। यह जोखिम भरा कदम था, लेकिन उनकी मेहनत रंग लाई। एक एकड़ में लाल गोभी की खेती से तीन महीने में ही 8 लाख रुपये तक की कमाई होने लगी, जबकि पारंपरिक फसलों से इतनी कमाई में छह महीने लगते थे।
ड्रिप सिंचाई और आधुनिक तकनीक का प्रयोग :- विदेशी सब्जियों की खेती में सफलता के लिए सुहास ने ड्रिप सिंचाई प्रणाली को अपनाया, जिससे जल प्रबंधन में कुशलता आई और पानी की बर्बादी रुकी।
किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की पहल :- 2021 में, सुहास ने ‘रुद्रायणी एग्रो इंडिया’ नामक किसान उत्पादक संगठन (FPO) की स्थापना की। इस संगठन ने किसानों को सामूहिक सौदेबाजी और बेहतर बाजार पहुंच का लाभ दिया। रिलायंस फ्रेश जैसी कंपनियों के साथ साझेदारी ने स्थानीय उपज को मुंबई, पुणे और बेंगलुरु जैसे बड़े बाजारों तक पहुंचाया।
किसानों की आय चार गुना तक बढ़ाई:- सुहास बाली के मार्गदर्शन में विदर्भ के हजारों किसान विदेशी सब्जियों की खेती कर अपनी आमदनी चार गुना तक बढ़ा चुके हैं। स्वप्निल कोकरे जैसे किसान अब दो एकड़ में तोरी, भिंडी, बैंगन और लाल गोभी जैसी फसलें उगाकर दो महीने में उतनी कमाई कर रहे हैं, जितनी पहले गन्ने की फसल से 1.5 साल में होती थी।
सपना – किसानों के लिए समृद्ध भविष्य:- सुहास बाली का लक्ष्य छोटे किसानों को आत्मनिर्भर बनाकर उनकी आमदनी बढ़ाना है। वे कहते हैं, “मेरी कोशिश है कि हर किसान यह समझे कि कम जमीन में भी अच्छी कमाई हो सकती है। विदेशी सब्जियों की खेती ने इस सोच को बदल दिया है।”
सुहास का विजन
विदर्भ के खेतों में उगाई जा रही विदेशी सब्जियों की हर फसल एक नई उम्मीद और विकास की कहानी कह रही है। सुहास का सपना अपने महाराष्ट्र को समृद्ध और टिकाऊ भविष्य की ओर ले जाना है।
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