वेब – डेस्क :- भारत में क्रोनिक साइनसाइटिस (Chronic Sinusitis) एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है, जिससे 134 मिलियन (13.4 करोड़) से अधिक लोग प्रभावित हैं। यह संख्या जापान की कुल आबादी (12.45 करोड़) से भी अधिक है। यह स्थिति न केवल सांस लेने में कठिनाई पैदा कर सकती है, बल्कि सिरदर्द, चेहरे में दर्द, लगातार छींकने, गले में जलन और बुखार जैसी गंभीर जटिलताओं का कारण भी बन सकती है।
भारत में बढ़ता साइनसाइटिस: क्या है यह बीमारी और क्यों हो रही है खतरनाक?
साइनसाइटिस क्या है?
साइनस (Sinus) सिर में स्थित वायु कक्ष होते हैं, जो नाक के चारों ओर होते हैं। इनका काम नाक में नमी बनाए रखना और हानिकारक कणों को रोकना है। जब इन साइनस में सूजन या संक्रमण हो जाता है, तो इसे साइनसाइटिस (Sinusitis) कहते हैं।
साइनसाइटिस के कारण
1. वायरल संक्रमण: सामान्य सर्दी-जुकाम से साइनस में सूजन हो सकती है।
2. बैक्टीरियल संक्रमण: लंबे समय तक चले तो साइनस में पस भर सकता है।
3. फंगल इंफेक्शन: कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों में अधिक होता है।
4. एलर्जी और प्रदूषण: धूल, धुआं, परागकण, और प्रदूषित हवा साइनसाइटिस को ट्रिगर कर सकते हैं।
5. नाक में रुकावट: नाक की हड्डी टेढ़ी होने या पॉलीप्स (मांस के उभार) के कारण भी यह समस्या हो सकती है।
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साइनसाइटिस के लक्षण
- लगातार छींक आना और नाक बहना
- सांस लेने में कठिनाई
- चेहरे, आंखों, माथे और गाल में दर्द
- सिरदर्द और कान में दर्द
- गले में जलन और खांसी
- बुखार और थकान
- गंध और स्वाद महसूस करने की क्षमता में कमी
साइनसाइटिस के प्रकार
1. एक्यूट साइनसाइटिस: यह 10-14 दिनों तक रहता है और 4 हफ्तों में ठीक हो सकता है।
2. क्रोनिक साइनसाइटिस: यह 12 सप्ताह या उससे अधिक समय तक बना रहता है और लंबे इलाज की जरूरत होती है।
कैसे करें साइनसाइटिस से बचाव?
- गर्म पानी और नमक से गरारे करें
- दिनभर में अधिक पानी पिएं, ताकि बलगम पतला होकर बाहर निकल सके।
- प्रदूषण और धूल से बचाव के लिए मास्क पहनें।
- गर्म पानी से भाप लेने से नाक खुलती है और राहत मिलती है।
- धूम्रपान और शराब से बचें, क्योंकि यह साइनसाइटिस को बढ़ा सकते हैं।
विशेषज्ञों की राय :- स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, अगर साइनस की समस्या बार-बार होती है और दवाओं से ठीक नहीं होती, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। एलर्जी वाले लोगों में साइनसाइटिस होने की संभावना 40% अधिक होती है। प्रदूषण और धूल से बचकर, नाक की सफाई करके और एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इस बीमारी से बचा जा सकता है।
भारत में साइनसाइटिस की बढ़ती समस्या स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा बनती जा रही है। लोगों को जागरूक होकर इसकी रोकथाम के उपाय अपनाने चाहिए और जरूरत पड़ने पर चिकित्सीय परामर्श लेना चाहिए।
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