‘छत्तीसगढ़ का मिनी गोवा’ है धमतरी का गंगरेल बांध

‘छत्तीसगढ़ का मिनी गोवा’ है धमतरी का गंगरेल बांध

छत्तीसगढ़ :- छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के गंगरेल और मुरूमसिल्ली बांध की खूबसूरती पर्यटकों को लुभा रही है। महानदी और उसके सहायक नदी सिलयारी नदी पर जिले में बने रविशंकर जलाशय (गंगरेल बांध) और मुरूमसिल्ली बांध की खूबसूरती सभी को लुभाती है। इसी वजह से लाखों लोग यहां आते हैं। महानदी अत्यंत विशाल नदी है, जिसका उद्गम धमतरी जिले के सिहावा पर्वत से होता है और यह नदी अपने उद्गम के बाद उत्तर-पूर्व दिशा में प्रवाहित होती है। इस नदी पर बड़े-बड़े बांधों का निर्माण किया गया है, जिनमें से प्रमुख हैं रुद्री बांध, गंगरेल या रविशंकर बांध और उड़ीसा में निर्मित हीराकुंड (बांध), छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा बांध गंगरेल या रविशंकर बांध इसी नदी पर निर्मित है।

मां अंगारमोती का 600 साल पुराना मंदिर
आपको बता दे यहाँ गंगरेल में मां अंगार मोती स्थित है। भक्तजन प्रतिदिन यहां दर्शनार्थ आते हैं। बताया जाता है कि चंवरगांव में मां अंगारमोती का 600 साल पुराना मंदिर था। लेकिन गंगरेल बांध के बनने के बाद गांव में स्थित मंदिर डूब गया था। लोग कहते हैं कि इसके बाद डूब के क्षेत्र चंवरगांव के बीहड़ में माता स्वयं प्रकट हुईं और अपने तेज से इलाके को अलौकिक कर दिया। चमत्कारों वाली माता के नाम से प्रसिद्ध माता के भक्तों ने 1972 में गंगरेल बांध के पास मां अंगारमोती को स्थापित किया मंदिर में अंगारमोती माता के अलावा शीतला माता, दंतेश्वरी माता और भैरव बाबा भी स्थापित हैं। मान्यता है कि श्रद्धा के साथ जो भक्त यहां नारियल बांधता है, मां उसकी मुराद जरूर पूरा करती हैं। यहां नवरात्र में भक्त मनोकामना ज्योत भी जलाते हैं।

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गंगरेल में है मज़ेदार एडवेंचर पार्क
गंगरेल बांध का अंदर एडवेंचर पार्क भी बनाया गया है । एडवेंचर पार्क धमतरी से मात्र 12 कि.मि. की दूरी पर है इस एडवेंचर के अन्दर केंटिन की सुविधा भी उपलब्ध है। एडवेंचर पार्क में Adventure Sports Zone बनाया गया है , जहां पर कुल 11 एक्टिविटी होती है। यह पर एक ब्रीज स्थित है, जिसे परमा ब्रीज कहते है जो टायरो से बनाया गया है। पार्क के अंदर भी बच्चों के खेलने के लिए झूले बनाये गये है।

मुरूमसिल्ली है एशिया का पहला सायफन सिस्टम वाला बांध
वास्तुशिल्प चमत्कारों में से एक मुरूमसिल्ली बांध को एशिया का पहला सायफन सिस्टम वाला बांध माना गया है। 1914 से 1923 के बीच निर्मित इस बांध में बड़ी संख्या में लोग पिकनिक मनाने आते हैं। चारों तरफ घने पेड़ों से आच्छादित यह बांध अपनी खूबसूरती से आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। 100 साल की उम्र बीत जाने के बाद भी इस बांध की मजबूती में कोई फर्क नहीं आया है, और आज भी इनके सभी गेट चालू हालत में हैं। बारिश के मौसम में बांध लबालब होते ही ऑटोमेटिक सायफन गेट से पानी निकलना शुरू हो जाता है। मुरुमसिल्ली बांध राजधानी रायपुर से सिर्फ 95 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है।

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