रेलवे एथलीट ने बिब बदलकर मैराथन में की धांधली

रेलवे एथलीट ने बिब बदलकर मैराथन में की धांधली

नई दिल्ली :-  मैराथन में बिब स्विचिंग का मामला, तीन एथलीटों पर सख्त कार्रवाई , नई दिल्ली में आयोजित अपोलो टायर्स नई दिल्ली मैराथन में एक विवादास्पद मामला सामने आया है, जिसमें रेलवे के एक खेल कोटा एथलीट पर धोखाधड़ी का आरोप लगा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, उक्त एथलीट ने एक रेलवे डॉक्टर की पत्नी और एक अन्य धावक के स्थान पर दौड़ पूरी की, जिससे उनका समय कृत्रिम रूप से सुधर गया।

धोखाधड़ी का खुलासा कैसे हुआ?

23 फरवरी को आयोजित इस मैराथन में आयोजकों को संदेह तब हुआ जब डॉक्टर की पत्नी की दौड़ गति में अप्रत्याशित उछाल देखा गया। शुरुआती 34 किलोमीटर तक उनकी गति धीमी थी, लेकिन अचानक उन्होंने अविश्वसनीय रूप से तेज़ समय दर्ज किया।तस्वीरों और टाइमिंग डेटा की जांच करने पर यह स्पष्ट हुआ कि स्पोर्ट्स कोटा से भर्ती रेलवे एथलीट ने उनकी बिब पहनकर दौड़ का एक हिस्सा पूरा किया। इस तकनीकी हेरफेर से प्रतिभागियों का समय RFID टैगिंग सिस्टम द्वारा रिकॉर्ड किया गया, जिससे वास्तविक धावक के समय में कृत्रिम सुधार हो गया।

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आयोजकों की सख्त कार्रवाई :- आयोजकों एनईबी स्पोर्ट्स ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए कहा कि, किसी और के लिए दौड़ना पूरी तरह से धोखाधड़ी है और हम इसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसलिए, हमने तीनों प्रतिभागियों पर दो साल का प्रतिबंध लगाया है।” एनईबी स्पोर्ट्स के सीएमडी और रेस डायरेक्टर नागराज अडिगा ने पुष्टि की कि वे भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (AFI) को इस मामले की पूरी रिपोर्ट सौंपेंगे, ताकि महासंघ आगे की कार्रवाई तय कर सके।

डॉक्टर की पत्नी के पति का दावा :- जब इस विवाद को लेकर डॉक्टर की पत्नी से संपर्क किया गया, तो उन्होंने टिप्पणी देने से इनकार कर दिया। हालांकि, उनके पति ने सफाई देते हुए कहा, कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। मेरी पत्नी 34 किलोमीटर के बाद बेहोश हो गई थी, और खेल कोटा कर्मचारी गलती से उनकी बिब लेकर दौड़ पड़ा। हमने आयोजकों को यह स्पष्ट कर दिया है और इसीलिए उनके प्रदर्शन का डेटा वेबसाइट से हटा दिया गया है।

खेलों में निष्पक्षता पर सवाल :- यह घटना न केवल मैराथन आयोजकों के लिए, बल्कि खेल जगत के लिए भी नैतिकता और निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करती है। बिब स्विचिंग जैसी घटनाएं मैराथन की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकती हैं और इससे भविष्य में अन्य धावकों को अनुचित लाभ लेने की प्रेरणा मिल सकती है। अब देखना होगा कि भारतीय एथलेटिक्स महासंघ इस मामले में आगे क्या कदम उठाता है और क्या इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कड़े नियम बनाए जाते हैं।

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