निर्णय के पीछे की कहानी , ध्यान से पढ़िए और समझिये !!

निर्णय के पीछे की कहानी , ध्यान से पढ़िए और समझिये !!

वेब-डेस्क :- एक प्रोफेसर अपनी क्लास में कहानी सुना रहे थे, यह कहानी जीवन की जटिलताओं और मानवीय भावनाओं की गहराई को दर्शाती है। अक्सर हम किसी स्थिति को उसकी बाहरी परत देखकर ही समझने की कोशिश करते हैं और निर्णय सुना देते हैं, लेकिन हर घटना के पीछे कई ऐसी परतें होती हैं जिन्हें समझने के लिए धैर्य और गहराई से सोचने की ज़रूरत होती है। यह कहानी हमें सिखाती है कि सही और गलत का निर्णय हमेशा उतना सरल नहीं होता जितना वह प्रतीत होता है, क्योंकि हर इंसान की परिस्थितियाँ और निर्णयों के पीछे की भावनाएँ अलग होती हैं।

तो कहानी कुछ इस प्रकार है की –

एक बार समुद्र के बीच में एक बड़े जहाज पर बड़ी दुर्घटना हो गयी। कप्तान ने शिप खाली करने का आदेश दिया। जहाज पर एक युवा दम्पति थे। जब लाइफबोट पर चढ़ने का उनका नम्बर आया तो देखा गया नाव पर केवल एक व्यक्ति के लिए ही जगह है। इस मौके पर आदमी ने औरत को धक्का दिया और नाव पर कूद गया।
डूबते हुए जहाज पर खड़ी औरत ने जाते हुए अपने पति से चिल्लाकर एक वाक्य कहा।

प्रोफेसर ने रुककर स्टूडेंट्स से पूछा – तुम लोगों को क्या लगता है, उस स्त्री ने अपने पति से क्या कहा होगा ?

ज्यादातर विद्यार्थी फ़ौरन चिल्लाये – स्त्री ने कहा – मैं तुमसे नफरत करती हूँ ! I hate you !

प्रोफेसर ने देखा एक स्टूडेंट एकदम शांत बैठा हुआ था, प्रोफेसर ने उससे पूछा कि तुम बताओ तुम्हे क्या लगता है ?

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वो लड़का बोला – मुझे लगता है, औरत ने कहा होगा – हमारे बच्चे का ख्याल रखना !

प्रोफेसर को आश्चर्य हुआ, उन्होंने लडके से पूछा – क्या तुमने यह कहानी पहले सुन रखी थी ?

लड़का बोला- जी नहीं, लेकिन यही बात बीमारी से मरती हुई मेरी माँ ने मेरे पिता से कही थी।

प्रोफेसर ने दुखपूर्वक कहा – तुम्हारा उत्तर सही है !

प्रोफेसर ने कहानी आगे बढ़ाई – जहाज डूब गया, स्त्री मर गयी, पति किनारे पहुंचा और उसने अपना बाकि जीवन अपनी एकमात्र पुत्री के समुचित लालन-पालन में लगा दिया। कई सालों बाद जब वो व्यक्ति मर गया तो एक दिन सफाई करते हुए उसकी लड़की को अपने पिता की एक डायरी मिली। डायरी से उसे पता चला कि जिस समय उसके माता-पिता उस जहाज पर सफर कर रहे थे तो उसकी माँ एक जानलेवा बीमारी से ग्रस्त थी और उनके जीवन के कुछ दिन ही शेष थे।

ऐसे कठिन मौके पर उसके पिता ने एक कड़ा निर्णय लिया और लाइफबोट पर कूद गया। उसके पिता ने डायरी में लिखा था – तुम्हारे बिना मेरे जीवन को कोई मतलब नहीं, मैं तो तुम्हारे साथ ही समंदर में समा जाना चाहता था। लेकिन अपनी संतान का ख्याल आने पर मुझे तुमको अकेले छोड़कर जाना पड़ा।

जब प्रोफेसर ने कहानी समाप्त की तो, पूरी क्लास में शांति थी।

तो यह कहानी हमें यह सिखाकर समाप्त होती है कि इस संसार में कई सही गलत बातें हैं लेकिन उसके अतिरिक्त भी कई जटिलतायें हैं, जिन्हें समझना आसान नहीं है। इसीलिए ऊपरी सतह से देखकर बिना गहराई को जाने-समझे हर परिस्थिति का एकदम सही आकलन नहीं किया जा सकता है।
कभी-कभी जो निर्णय बाहर से स्वार्थी या गलत लगते हैं, उनके पीछे गहरे प्रेम, त्याग और जिम्मेदारी छिपी होती है। इसलिए ज़रूरी है कि हम दूसरों के फैसलों को तुरंत जज न करें, बल्कि पहले उनकी परिस्थितियों और भावनाओं को समझने की कोशिश करें। यही समझदारी और संवेदनशीलता हमें एक बेहतर इंसान बनाती है।

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