तेलंगाना :- तेलंगाना के श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग ढहने की घटना के तीसरे दिन, बचाव अभियान में तेजी लाने के लिए एंडोस्कोपिक और रोबोटिक कैमरों सहित अत्याधुनिक उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है। राज्य के उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क आज (मंगलवार) घटनास्थल का दौरा करेंगे। विशेषज्ञ खनिक पहुंचे, मैनुअल तकनीकों पर जोर उत्तरकाशी के सिल्क्यारा बेंड-बरकोट सुरंग हादसे में अपने सफल बचाव अभियान के लिए मशहूर विशेषज्ञ खनिकों की एक टीम बचाव कार्य में मदद के लिए नगरकुरनूल जिले के डोमलपेंटा पहुंच चुकी है। 2014 में अवैज्ञानिक बताकर प्रतिबंधित की गई ‘रैट-होल माइनिंग’ तकनीक को फिर से अपनाया जा सकता है, क्योंकि उत्तरकाशी में इसी पद्धति से 16 दिन तक फंसे मजदूरों को सुरक्षित निकाला गया था।
फंसे हुए लोगों से संपर्क की कोशिश जारी :- 22 फरवरी को हुई इस दुर्घटना में दो इंजीनियरों और दो तकनीशियनों सहित कुल आठ श्रमिक सुरंग में फंसे हुए हैं। नगरकुरनूल जिला कलेक्टर बी. संतोष के अनुसार, अब तक फंसे हुए लोगों से संपर्क नहीं हो पाया है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) और राष्ट्रीय भौगोलिक अनुसंधान संस्थान (NGRI) के विशेषज्ञों से परामर्श लेकर आगे की रणनीति बनाई जा रही है। पानी निकालने की प्रक्रिया जारी है, लेकिन 40-50 मीटर से आगे बढ़ने में मुश्किल आ रही है।
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रैट माइनर्स की टीम ने संभाला मोर्चा :- उत्तरकाशी सुरंग हादसे में अहम भूमिका निभाने वाले ‘रैट माइनर्स’ अब तेलंगाना में बचाव अभियान में जुट गए हैं। दिल्ली से आई 12 सदस्यीय टीम के फिरोज कुरैशी ने बताया कि वे एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों के साथ मिलकर काम करेंगे। अभी तक घटनास्थल की पूरी जानकारी नहीं मिली है, लेकिन हालात का आकलन करने के बाद ही आगे की रणनीति बनाई जाएगी। तेलंगाना सरकार की ओर से जीएसआई और एनजीआरआई के विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है ताकि जल्द से जल्द सुरंग में फंसे मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके।
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