फिल्म ‘हेरा फेरी’ के वो डायलॉग जो लाएगा हँसी का बोछार

फिल्म ‘हेरा फेरी’ के वो डायलॉग जो लाएगा हँसी का बोछार

वेब-डेस्क :- बॉलीवुड की एक ऐसी फिल्म, जिसके हर डायलॉग्स सुन दर्शकों को भरपूर मनोरंजन मिलता है। जी हां, बॉलीवुड की कल्ट कॉमेडी फिल्म ‘हेरा फेरी’ आज अपनी सिल्वर जुबली मना रहा है। बाबूराव, राजू और श्याम के किरदार ने फिल्म में जान डाल दिया था। इनकी नोंक-झोंक, हंसी-ठिठोली 25 साल बाद भी लोगों के जहन में इस कदर है लगता है कि कल की ही बात है। ‘ये बाबूराव का स्टाइल है’ जैसे डायलॉग्स लोगों के जीवन का हिस्सा बन गए हैं। आइए सुनते हैं फिल्म के दमदार डायलॉग्स..

तोड़, खोपड़ी तोड़ साले की
यह डायलॉग उस समय का है, जब सुनील शेट्टी और अक्षय कुमार लड़ते हैं, जिसमें बाबू भैया को ज्यादा मार पड़ती है। तब परेश रावल यह डायलॉग बोलते हैं।

अच्छा तो ये तुम्हारी समस्या है, तो नाम बदल डालो उसके लिए गांव से इधर आने क्या जरुरत थी
जब बाबू भैया सुनील शेट्ट से पूछते हैं कि बताओ क्या समस्या है, तो सुनील कहते हैं उनका नाम श्याम है। इस पर बाबू भैया यह डायलॉग बोलते हैं।

अगर सुबह संडास जाना है तो सिंगर बनना पड़ेगा
यह डायलॉग सुनील शेट्टी को घर का शौचालय दिखाते समय परेश रावल बोलते हैं।

जान पहचान नहीं है, कैसे उठाऊंगा कम से कम 40-50 किलो का वजन होगा
इस सीन में जब तब्बू, सुनील से मिलने बाबू भइया के घर आती हैं और घर में तीनों के बीच युद्ध चल रहा होता है। जैसे ही तब्बू घर में घुसती हैं बाबू भइया की धोती गिर जाती है। तब अक्षय कहते हैं उठा ले। उस समय यह डायलॉग बाबू भैया बोलते हैं।

उठा ले रे बाबा उठा ले रे, मेरे को नहीं रे इन दोनों को उठा ले
यह डायलॉग बाबू भैया, राजू और श्याम से परेशान होकर कहते हैं।

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वो मैं मस्त तेल में फ्राई करके, वो मैं खा गया
यह डॉयलॉग उस समय का है, जब बाबू भैया के पास किसी देवी प्रसाद के लिए फोन आता है और वह पूछता है मेरी मछली का क्या हुआ। तब बाबू भैया यह डायलॉग बोलते हैं।

दिल दरिया है बाकी सब समंदर है
यह डायलॉग बाबू भैया तब बोलते है, जब सुनील शेट्टी को घर में ठहराने की बात होती है।

ये बाबूराव का स्टाइल है
यह डायलॉग तब का है, जब राजू, श्याम का एक कागज चुरा लेता है और बाबू भैया राजू से सवाल करते हैं, फिर उसे एक जोरदार थप्पड़ मारकर बोलते हैं।

देवी का प्रसाद मंदिर में मिलता है, गैराज में नहीं
यह डायलॉग तो आपको याद ही होगा, जब बाबू भैया से फोन पर देवी प्रसाद प्रसाद के बारे में पूछा जाता है। उस वक्त बाबू भैया ने यह डायलॉग बोला।

गड़बड़ है रे बाबा
यह डायलॉग उस समय का है, जब कबीरा का फोन का आता है और पैसे की डिमांड करता है। तब बाबू भैया ये डायलॉग बोलते हैं।

मेरी कुंडली में खून लिखा है मालूम है ना
यह डायलॉग अक्षय कुमार बोलते हैं, जब तब्बू को लेकर सुनील शेट्टी से वह बहस करते हैं।

देवी प्रसाद के बच्चे आखिरी मौका दे रहा हूं तुझे
यह डायलॉग सुनील शेट्टी कबीरा बनके देवी प्रसाद से फोन में बोलता है। फिल्म में हमेशा सीरियस और भोले-भाले रोल के बाद इनका यह डायलॉग काफी पसंद आया था।

बाबू भैया हमेशा सच्चाई की राह पर चलते हैं, इसके लिए वह अपना गैरेज भी बेच देंगे
यह डायलॉग अक्षय कुमार तब बोलते हैं, जब बाबू भैया सबके उधार चुकाने का वादा करते हैं।

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