वेब-डेस्क :- पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले के बाद पूरा देश गुस्से में है और इस घटना पर दुख जता रहा है। सोशल मीडिया पर भी लोगों के तरह-तरह के रिएक्शन देखने को मिल रहे हैं। इस बीच पहलगाम हमले के बाद 17 साल पुरानी एक बॉलीवुड फिल्म अचानक चर्चा में आ गई है। फिल्म का एक सीन काफी वायरल हो रहा है और लोग इस आतंकी हमले के बाद इसे सोशल मीडिया पर काफी शेयर कर रहे हैं। दरअसल, ये सीन केके मेनन की फिल्म ‘शौर्य’ का है।
अभिनेता केके मेनन एक बार फिर चर्चाओं में
2008 में आई फिल्म ‘शौर्य’ में ब्रिगेडियर रुद्र प्रताप सिंह की भूमिका निभाने वाले अभिनेता केके मेनन पहलगाम हमले के बाद फिर से चर्चाओं में हैं। फिल्म में आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई को लेकर उनका दमदार मोनोलॉग काफी वायरल हो रहा है। इस वायरल सीन में उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने के लिए डॉ. आमिर की निंदा की है। इस 3 मिनट 35 सेकंड लंबे मोनोलॉग में ब्रिगेडियर रुद्र प्रताप सिंह एक गहन पूछताछ के सीन के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में अपना बचाव करता है। नेटिजेंस केके मेनन के दमदार अभिनय और जबरदस्त मोनोलॉग देने में उनकी प्रभावशाली स्क्रीन प्रेजेंस की तारीफ कर रहे हैं।
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ब्रिगेडियर रुद्र प्रताप सिंह ने कहा – “बच्चे नहीं हैं, ये टाइम बॉम हैं”
इस 3 मिनट से भी अधिक लंबे मोनोलॉग में एक पूछताछ के सीन के दौरान केके मेनन आतंकवादियों के बारे में गुस्से में बोलते हैं। सीन में ब्रिगेडियर रुद्र प्रताप सिंह कहता है, “कॉम जानते हो क्या है? निशानियां जो पैदा होते ही इनके अंदर लग जाती हैं। इन जैसे लोगों की नसों में बहुत अंदर तक। ये मासूम नहीं हैं, हाथ में एक47 लेकर घूमते हैं..लॉलीपॉप की तरह। बच्चे नहीं हैं, ये टाइम बॉम हैं।”
2008 में आई कोर्ट रूम ड्रामा है ‘शौर्य’
समर खान द्वारा निर्देशित 2008 की कोर्ट रूम ड्रामा शौर्य 1992 की अमेरिकी फिल्म ‘ए फ्यू गुड मेन’ से प्रेरित है, जो खुद एक नाटक पर आधारित थी। यह फिल्म स्वदेश दीपक के हिंदी नाटक कोर्ट मार्शल से भी प्रभावित है। ‘शौर्य’ में राहुल बोस, अमृता राव, दीपक डोबरियाल, मिनिषा लांबा और जावेद जाफरी मुख्य भूमिकाओं में हैं। कहानी मेजर सिद्धांत चौधरी की है, जो भारतीय सेना का एक वकील है, जिसे कैप्टन जावेद खान का बचाव करने के लिए नियुक्त किया जाता है, जो एक अधिकारी है जिस पर एक सम्मानित वरिष्ठ की हत्या का आरोप है। हालांकि, कैप्टन खान बचाव से इनकार कर देता है और खुले तौर पर जुर्म स्वीकार करता है।
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