बाल विवाह से आजादी की कहानी मतिया और गीता की संघर्ष

बाल विवाह से आजादी की कहानी मतिया और गीता की संघर्ष

वेब-डेस्क :- दिल को झकझोर देने वाली कहानी अजमेर के अजेसर गांव की मतिया और गीता ने बाल विवाह की बेड़ियों को तोड़कर अपने हक की लड़ाई लड़ी। समाज की जंजीरों को तोड़कर इन्होंने अपनी जिंदगी नए सिरे से शुरू की।

हाइलाइट्स:

मूंछ की नाक बचाने के लिए बहन ने दांव पर लगाई बहन की जिंदगी।

12 साल की उम्र में निकाह हुआ, 24 की उम्र में कोर्ट से तलाक का फैसला।

ससुराल जाने से मना किया तो मां-बाप और समाज ने ताने मारे।

गीता और मतिया ने बाल विवाह से मुक्ति पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी।

 

मूंछ का ताव और बहन की साजिश: मतिया की कहानी

12 साल की मतिया का निकाह तब हुआ जब उसकी बड़ी बहन की शादी हो रही थी। जीजा ने शराब के नशे में मूंछ का ताव देते हुए ऐलान किया कि “अगर साली की शादी नहीं की तो मूंछ कटवा लूंगा।” बहन ने जीजा की नाक बचाने के लिए मासूम मतिया की जिंदगी को दांव पर लगा दिया।

शादी की सच्चाई तब पता चली जब…
चार दिन ससुराल में रहकर लौटने पर मां ने बताया कि उसकी शादी हो चुकी है। मतिया का पति शाहरुख, जिससे कभी ढंग से बात तक नहीं हुई। 12 साल की उम्र में शादी का मतलब भी मतिया नहीं समझ सकी थी। लेकिन समाज और परिवार का दबाव बढ़ने लगा।

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ससुराल जाने से क्यों किया इनकार?
पापा के एक्सीडेंट के बाद घर में कमाने वाला कोई नहीं था। मां बीमार थीं, भाई छोटा था। ऐसे में मतिया ने ससुराल जाने से मना कर दिया। परिजनों और ससुराल वालों ने ताने मारे, धमकियां दीं। बात इतनी बढ़ी कि पंचायत में झगड़ा देकर रिश्ता खत्म करने की बात तय हुई।

झगड़ा देने का मतलब…
अगर लड़की रिश्ता तोड़ना चाहे तो झगड़े की रकम देनी होती है, जो 50 हजार से शुरू होकर पंचों के फैसले पर निर्भर करती है। मतिया को ये बात चुभ गई कि उसे ‘खरीदने और बेचने वाली चीज’ बना दिया गया। तभी उसने कोर्ट से तलाक का फैसला किया।

निकाह और दूसरा रिश्ता: गीता की कहानी

गीता की बहन ने बिना पूछे उसका रिश्ता तय कर दिया। मां चाहती थीं कि गीता पढ़-लिखकर आगे बढ़े लेकिन बहन ने कहा, “अभी शादी नहीं होगी तो भाग जाएगी।” बहन ने मां पर दबाव डालकर गीता का निकाह करवा दिया।

शराबी पति और दूसरी औरत:
गीता को ससुराल से तब नफरत हो गई जब पता चला कि पति ने केरल में दूसरी औरत रख ली थी। ससुराल वाले बार-बार विदाई के लिए दबाव बनाते लेकिन गीता ने साफ मना कर दिया। मां ने भी गीता का साथ दिया और ससुराल भेजने से इनकार कर दिया।

बहन की धमकी: जिंदा गाड़ देंगे पर ससुराल भेजेंगे!
जब गीता ने ससुराल जाने से इनकार कर दिया तो उसकी बहन ने धमकी दी, “अगर प्यार से नहीं जाएगी तो हाथ-पैर बांधकर जबरन भेज देंगे।” गीता ने साफ कह दिया, “अगर भेजा तो मरा मुंह देखोगी।”

संघर्ष के बाद मिली आजादी:

दोनों ने कानूनी लड़ाई लड़ी और कोर्ट से तलाक लेकर बाल विवाह से आजादी पाई। आज मतिया और गीता अपने परिवार का सहारा हैं। उन्होंने साबित कर दिया कि सपनों और आत्मसम्मान के आगे समाज की बेड़ियां भी कमजोर पड़ जाती हैं।

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