वेब-डेस्क :- अपने चंद्रयान ने एक और खुशखबरी दी है। कुछ समय पहले मिले डेटा से पता चला था कि साउथ पोल पर बर्फ के रूप में पानी मौजूद हो सकता है। अब अपने चंद्रयान-3 ने संकेत दिए हैं कि पहले जितना सोचा गया था उससे भी ज्यादा बड़े इलाके में यह बर्फ की चादर हो सकती है। आपको याद होगा कि अपने पहले चंद्रयान पर लगे दो यंत्रों ने कई साल पहले ही चांद पर पानी की मौजूदगी की पुष्टि कर दी थी, यह भारत का पहला चंद्र मिशन था, जिसे अक्टूबर 2008 में लॉन्च किया गया था।
केवल साउथ पोल नहीं
चंद्रयान-1 से मिले सिग्नल के आधार पर पूरी दुनिया ने चांद के साउथ पोल पर फोकस बढ़ा दिया है। अपना चंद्रयान-3 भी उसी इलाके में उतरा जो हमेशा अंधेरे में डूबा रहता है क्योंकि सूरज की किरणें वहां तक नहीं पहुंच पाती हैं। अब चंद्रयान-3 के डेटा से पता चला है कि जिस बर्फीली चादर की बात साउथ पोल के नीचे होने की हो रही थी, वह केवल वहीं तक सीमित नहीं है। हां, कुछ दूरी आगे तक भी बर्फ के रूप में पानी मौजूद हो सकता है।
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क्या कहता है इंडियन एक्सप्रेस रिपोर्ट
‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के मुताबिक अहमदाबाद स्थित फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी में एक्सपेरिमेंट (ChaSTE) के वैज्ञानिक आंकड़ों का उपयोग करते हुए पाया गया है कि चंद्रमा की सतह के ऊपरी अक्षांशों में सतह और उसके सब-सर्फेस के तापमान में बहुत अंतर होता है। यहां तक कि कम दूरी पर ऊंचाई में बहुत कम परिवर्तन होते हैं। इन अक्षांशों में सूरज की किरणें न पहुंचने वाले इलाके और ध्रुवीय इलाकों का वातावरण एक समान हो सकता है और सतह के नीचे पानी बर्फ के रूप में मौजूद हो सकता है।
थर्मामीटर का कमाल
ये जानकारी नेचर पब्लिकेशन के एक जर्नल में प्रकाशित की गई है। जिस एक्सपेरिमेंट को ऊपर ChaSTE के रूप में बताया गया है, दरअसल वह एक तरह का थर्मामीटर है। यह उपकरण ध्रुवीय क्षेत्रों के पास चंद्रमा की सतह और सब-सर्फेस का तापमान मापने वाला पहला उपकरण था। इससे पहले इन इलाकों के तापमान का अनुमान सैटलाइट से मिली जानकारी पर आधारित होता था। ChaSTE ने पहले संकेत दिया था कि चंद्रमा की सतह के तापमान और उसके नीचे की परत के बीच लगभग 60 डिग्री सेल्सियस का अंतर हो सकता है।
अब तक समझा जाता है कि चंद्रमा पर बर्फ के रूप में पानी केवल ध्रुवीय इलाकों में मौजूद है, विशेष रूप से उन गड्ढों के नीचे जहां सूर्य की किरणें नहीं पहुंच रही हैं। अपना चंद्रयान-3 भी चांद के दक्षिणी ध्रुव के करीब 70 डिग्री दक्षिण में उतरा था।
चंद्रयान-3 से मिली यह ताजा जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है। अगर बर्फीला पानी ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर भी मौजूद है तो यह बड़ी खोज है जिसके लिए चंद्रयान-3 को श्रेय दिया जाना चाहिए।
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