वेब-डेस्क :- ऑफिस हो या घर काम के दौरान हमें अक्सर मुश्किल समस्याओं का सामना करना ही पड़ता है। कई असहमतियों से भी पाला पड़ता है। ये परेशान करने वाला हो सकता है, लेकिन हमें असहमत होना भी सीखना पड़ता है। इस असहमति के चलते कई बार अच्छी बातचीत के मौके खत्म हो जाते हैं, जिससे निर्णय कम प्रभावी और रिश्ते कमजोर हो सकते हैं। खुद को धैर्य और आत्म-जागरूकता सिखाकर, आप अपने साथियों के साथ खुली, ईमानदार और असरदार बातचीत कर पाएंगे।
सही शब्दों का इस्तेमाल
असहमति में अपनी कमजोरी दिखाना कोई अच्छी बात नहीं है। लोग अक्सर लड़ाई के लिए उतर आते हैं और सामने वाले को मजबूत स्थिति में आने देना नहीं चाहते। इसलिए सही भाषा का इस्तेमाल करना जरूरी है। सही शब्दों का ध्यान रखकर ही आप दिखा सकते हैं कि आपका इरादा सकारात्मक है और आप लड़ाई बिल्कुल नहीं चाहते।
सीखने की इच्छा का संकेत दें
असहमति में लोग अक्सर सोचते हैं कि सामने वाला उनका नजरिया समझना नहीं चाहता। लेकिन अगर आप साफ दिखाते हैं कि आप उनके विचार जानने में रुचि रखते हैं, तो लोग आपके प्रति सकारात्मक रहते हैं। जिज्ञासा दिखाने का आसान तरीका है बस पूछना कि मुझे जानने की उत्सुकता है कि आप इसके बारे में क्या सोचते हैं। इससे अपने विचार साझा करते हुए भी आप सीखने की रुचि दिखा सकते हैं, जैसे मैं इस बारे में इस तरह सोचता हूं, लेकिन मुझे जानना है कि आप क्या कहना चाहते हैं।
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दूसरे पक्ष को भी करें स्वीकार
स्वीकृति एक आसान और शक्तिशाली तरीका है दूसरों को दिखाने का कि आप उनकी बात समझते हैं। जरूरी नहीं कि आप सहमत हों, बस दिखाएं कि आप सुन रहे हैं। अगर आप नहीं समझते, तो दिखावा न करें। उनसे साफ पूछें और समान बातें खोजें। अक्सर असहमति के बीच भी कुछ साझा मूल्य, विश्वास या लक्ष्य मिल सकते हैं। उदाहरण के लिए, आप कह सकते हैं कि मैं आपकी कुछ बातों से सहमत हूं, या हम दोनों यही चाहते हैं, या मैंने भी वही देखा, ताकि साझा समझ दिख सके।
विनम्र बने रहें
अपने दावे पर अड़े रहने के बजाय थोड़ी विनम्रता दिखाएं और यह मानें कि आप गलत हो सकते हैं। किसी जटिल मुद्दे के कई पहलू होते हैं, इसे समझने वाला व्यक्ति अधिक सोच-विचार वाला दिखता है। अपने विचार बताएं कि मैं समझता हूं कि आप स्टाफिंग को लेकर चिंतित हैं। लेकिन यह व्यक्ति हमारे नई रणनीति के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन संसाधनों का प्रश्न भी प्रासंगिक है। आपकी क्या राय है?
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