Dark Oxygen: पूरी दुनिया का ध्यान एक नई खोज पर अटका हुआ है। प्रशांत महासागर की असीम गहराइयों में, समुद्र की सतह से लगभग 13 हजार फीट नीचे, घने अंधकार में ‘डार्क ऑक्सीजन’ नाम का अनोखा तत्व पाया गया है। यह खोज से न केवल वैज्ञानिक हैरान हुए है, बल्कि संसाधनों पर कब्जे की वैश्विक होड़ भी नई दिशा की ओर जा रही है।
आखिर क्या है यह डार्क ऑक्सीजन का रहस्य ? जिसपर भारत, चीन और अमेरिका की है नजर
उत्तरी प्रशांत महासागर के क्लेरियॉन क्लिपर्टन नाम के ज़ोन में हाल ही में धातु के छोटे-छोटे नॉड्यूल्स (गेंदे) मे पाए गए है। ये नॉड्यूल्स समुद्र की तलहटी में बड़े पैमाने पर फैले हुए हैं। इनका सबसे बड़ा रहस्य यह है कि ये अपने आप ऑक्सीजन पैदा करते हैं। आपको बता दे अंधेरे में ऑक्सीजन पैदा करने की इस क्षमता के कारण ही इन्हें ‘डार्क ऑक्सीजन’ नाम दिया गया है।
वैज्ञानिकों ने बताया कि ये नॉड्यूल्स आलू के आकार के हैं और पूरी तरह से धातु से बने हुए है। जिस गहराई पर ये मौजूद हैं, वहां सूरज की रोशनी तक नहीं पहुंचती और इसके बावजूद भी ये नॉड्यूल्स ऑक्सीजन उत्पन्न कर रहे हैं, जो पृथ्वी की जैव-रासायनिक प्रक्रियाओं में अब तक का एक अनसुना आयाम जोड़ता है।
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संसाधनों की होड़ में है भारत, चीन और अमेरिका
प्रशांत महासागर में मौजूद खनिज संसाधनों की खोज और खनन के लिए भारत लंबे समय से प्रयासरत है। 1987 में भारत ‘अग्रणी निवेशक’ का दर्जा पाने वाला पहला देश बना था और उसे मध्य हिंद महासागर बेसिन (CIOB) में लगभग 1.5 लाख वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र अन्वेषण के लिए आवंटित किया गया था।
भारत अब इन संसाधनों को पाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लाइसेंस हासिल करना चाहता है। आपको बता दे अमेरिका और चीन भी इस होड़ में शामिल हैं। माना जा रहा है कि डार्क ऑक्सीजन जैसे संसाधनों पर कब्जा करने वाला देश भविष्य में वैश्विक शक्ति संतुलन में अहम भूमिका निभाएगा।
विश्व में बढ़ रही है, पर्यावरण चिंताएं
डार्क ऑक्सीजन की खोज ने दुनिया के सामने एक नई संभावना पेश की है, वहीं चिंता की बात यह है की समुद्र की तलहटी में खनन करने से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर खतरा हो सकता है। वैज्ञानिक और पर्यावरणविद इस बात पर ज़ोर दे रहे हैं कि गहरे समुद्र में खनन से पहले इसके दीर्घकालिक प्रभावों पर गहन अध्ययन किया जाना चाहिए।
भारत और अन्य देशों की बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने महासागर के इस गुप्त खजाने पर नियंत्रण की होड़ को और तेज कर दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में डार्क ऑक्सीजन और अन्य महासागरीय संसाधनों पर कौन कब्जा जमाता है और इस वजह से वैश्विक शक्ति संतुलन में क्या बदलाव आते हैं।
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