वेब-डेस्क :- गौरतलब है कि साल के हर महीने में 30 या फिर 31 दिन होते हैं, लेकिन फरवरी ही सिर्फ एक ऐसा महीना है, जिसमें 28 या फिर 29 दिन होते हैं। फरवरी का महीना साल के बाकी महीनों से सबसे छोटा क्यों होता है। चलिए जानते है !
दरअसल, हमारी पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाने में 365 दिन और 6 घंटे लगाती है और इसलिए हर 4 साल में फरवरी के महीने में एक दिन अधिक जोड़कर इसका संतुलन बनाया जाता है। ऐसे में हर साल 6 घंटे एक्स्ट्रा बच जाते हैं, जो 4 साल बाद 24 घंटे यानि एक दिन में बदल जाते हैं और इसके चलते फरवरी के महीने में 28 या 29 दिन होते हैं। इस साल को लीप ईयर (Leap Year) कहा जाता है।
ये है कारण
फरवरी में 28 या 29 दिन होने के पीछे रोमन किंग न्यूमा पोम्पीलियस का हाथ है। बता दें कि हम जो कैलेंडर यूज करते हैं वो रोमन कैलेंडर पर आधारित है और पुराने रोमन कैलेंडर में एक साल में सिर्फ 10 महीने हुआ करते थे, जिसमें 304 दिन शामिल थे, लेकिन बाद में इसमें दो और महीने जोड़ दिए गए, जिनका नाम जनवरी और फरवरी रखा गया। ऐसा करने से एक साल 12 महीने का हो गया। पहले आखिरी महीना दिसंबर ही था और दिसंबर के बाद मार्च आता था यानी साल का पहला दिन मार्च की पहली तारीख होती थी।
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हालांकि, इस कैलेंडर पर काफी विवाद हुआ। दरअसल, इस कैलेंडर के अनुसार, त्योहार सही समय पर नहीं आ पा रहे थे। इसके बाद इसमें बदलाव के दौरान फरवरी महीने से 2 दिन कम कर दिए गए, जिस कारण साल में 365 दिन तय हो गए। यह कैलेंडर पृथ्वी और सूर्य की परिक्रमा के अनुसार बनाया गया था। जैसा की हम जानते हैं कि पृथ्वी को सूर्य का चक्कर लगाने में 365 दिन और 6 घंटे का समय लगता है। ऐसे में हर साल 6 घंटे एक्स्ट्रा बच जाते हैं, जो 4 साल बाद 24 घंटे यानि एक दिन में बदल जाते हैं और इसके चलते फरवरी के महीने में 28 या 29 दिन होते हैं।
कहा जाता है कि अगर फरवरी के महीने में एक दिन नहीं बढ़ता तो हम हर साल कैलेंडर से लगभग 6 घंटे आगे निकल जाते यानी 100 साल में 24 दिन आगे निकल जाएंगे। इसके अलावा मौसम को महीने से जोड़ कर रखना मुश्किल हो जाता और साल के मई-जून के महीने में गर्मी ना होकर 500 साल बाद दिसंबर में आएगी।
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