वेब- डेस्क :- दक्षिण भारतको नुकसान होने की संभावना और परिसीमन से उत्तर भारत को फायदा होने की संभावना। क्या इससे BJP को होगा लाभ,2026 में संभावित लोकसभा परिसीमन से दक्षिण भारत के राज्यों में चिंता बढ़ी।
मुख्य बिंदु
- तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन और आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने हाल ही में जनसंख्या वृद्धि को लेकर बयान दिए।
- 2026 में संभावित लोकसभा परिसीमन के चलते दक्षिणी राज्यों को अपनी संसदीय सीटें घटने का डर।
- परिसीमन के बाद हिंदीभाषी राज्यों को बढ़त और दक्षिण भारतीय राज्यों को नुकसान होने की आशंका।
- BJP को परिसीमन से लाभ मिलने की संभावना, जिससे उत्तर भारत में पार्टी की पकड़ और मजबूत हो सकती है।
क्या है मामला?
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के हालिया बयानों में जनसंख्या वृद्धि पर जोर दिया गया है। तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के एक सांसद ने यहां तक कहा कि तीसरा बच्चा यदि लड़की हुई तो 50,000 रुपये और लड़का हुआ तो एक गाय देने का ऐलान किया जाएगा।
इन बयानों को सीधे 2026 में संभावित लोकसभा सीटों के परिसीमन से जोड़ा जा रहा है। अगर परिसीमन हुआ, तो हिंदीभाषी राज्यों की लोकसभा सीटों में बढ़ोतरी हो सकती है, जबकि दक्षिण भारत के राज्यों की सीटें कम हो सकती हैं। इसी डर की वजह से दक्षिण के नेता जनसंख्या बढ़ाने की अपील कर रहे हैं।
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परिसीमन क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?
- परिसीमन का अर्थ है लोकसभा और विधानसभा सीटों की नए सिरे से पुनर्स्थापना।
- अंतिम परिसीमन 1976 में हुआ था, जब 1971 की जनगणना के आधार पर सीटों को तय किया गया था।
- संविधान के 84वें संशोधन (2000) के तहत 2026 तक परिसीमन स्थगित कर दिया गया था।
- अब 2026 में परिसीमन होने की संभावना है, जिससे सीटों के पुनर्वितरण की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
परिसीमन के असर :- अगर 2011 की जनगणना को आधार माना जाए, तो लोकसभा सीटों की संख्या 1210 हो सकती है। लेकिन नई संसद भवन की क्षमता 888 सांसदों तक सीमित है। ऐसे में सीटों को राज्यों की जनसंख्या के आधार पर पुनर्वितरित किया जाएगा।
- उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीटें बढ़कर 147 हो सकती हैं।
- बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान को भी अधिक सीटें मिल सकती हैं।
- तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सीटें घटने का खतरा।
दक्षिण भारत में जनसंख्या वृद्धि दर कम रही है, जबकि उत्तर भारत के राज्यों में जनसंख्या तेजी से बढ़ी। इसी कारण उत्तर भारत को परिसीमन से लाभ और दक्षिण भारत को नुकसान हो सकता है।
दक्षिणी राज्यों की चिंता: “जनसंख्या नियंत्रण की सजा न मिले”
दक्षिणी राज्यों की चिंता यह है कि जनसंख्या नियंत्रण की वजह से उन्हें सजा मिलेगी।
1970 के दशक में दक्षिण भारत ने जनसंख्या नियंत्रण नीतियों का सख्ती से पालन किया।
उत्तर भारत में जनसंख्या वृद्धि दर अधिक रही।
अब अगर परिसीमन जनसंख्या के आधार पर होता है, तो उत्तर भारत की सीटें बढ़ेंगी और दक्षिण भारत की घट सकती हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि परिसीमन के बाद दक्षिण भारतीय राज्यों का राजनीतिक प्रभाव कम हो सकता है और उत्तर भारतीय राज्यों का दबदबा बढ़ सकता है।
BJP को परिसीमन से कैसे फायदा हो सकता है?
अगर परिसीमन के बाद लोकसभा सीटों की संख्या 888 हो जाती है, तो बहुमत के लिए 445 सीटें चाहिए होंगी। 2024 के चुनाव में BJP ने 240 सीटें जीती थीं। इनमें से 118 सीटें हिंदीभाषी राज्यों से आईं। परिसीमन के बाद उत्तर भारत में सीटें बढ़ेंगी और यदि BJP 2024 का प्रदर्शन दोहराती है, तो उसे उत्तर भारत से 219 सीटें मिल सकती हैं। यानी, परिसीमन से BJP को लाभ मिल सकता है क्योंकि उसकी हिंदीभाषी राज्यों में मजबूत पकड़ ह
- 2026 के संभावित परिसीमन ने दक्षिणी राज्यों को चिंतित कर दिया है। उन्हें डर है कि परिसीमन के बाद उनकी राजनीतिक शक्ति कम हो सकती है।
- उत्तर भारत में सीटें बढ़ेंगी और दक्षिण भारत की घट सकती हैं।
- BJP को परिसीमन से फायदा हो सकता है क्योंकि उत्तर भारत में उसकी स्थिति मजबूत है।
- दक्षिण भारत की सरकारें इस स्थिति को संतुलित करने के लिए जनसंख्या वृद्धि को प्रोत्साहित कर रही हैं।
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