केजरीवाल की शर्ट भी पैंट के बाहर रहती है
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में राउज एवेन्यू स्थित सत्र अदालत में याचिका दायर की है। इस याचिका के माध्यम से उन्होंने मजिस्ट्रेट कोर्ट से पेशी से छूट पाने की गुजारिश की है। इस याचिका का मुख्य आधार उनके द्वारा पहने गए कपड़े हैं, जिनमें उनकी शर्ट और पैंट अलग-अलग रहती हैं। यह दलील देने का मकसद यह साबित करना है कि उन्हें अदालती कार्यक्रम में छूट मिलनी चाहिए।
ईडी की शिकायत पर मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेशी से छूट पाने की गुजारिश
अरविंद केजरीवाल की याचिका का मुख्य आधार ईडी (ईकॉनॉमिक ऑफेंसेज विभाग) की शिकायत है। ईडी ने केजरीवाल के खिलाफ अनुसारण किए गए आरोपों के आधार पर कार्रवाई की है। इसके चलते, केजरीवाल ने मजिस्ट्रेट कोर्ट में यह गुजारिश की है कि उन्हें ईडी की शिकायत के चलते अदालती कार्यक्रम में छूट दी जाए।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरफ से अधिवक्ता राजीव मोहन और वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने जिरह की। कोर्ट की तरफ से मिले दूसरे समन पर गुप्ता ने अपनी दलीलें पेश करते हुए केजरीवाल की सादगी का भी वर्णन किया। उन्होंने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक के कपड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसा आम आदमी कौन हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘केजरीवाल के जैसा सामान्य आदमी कौन होगा। कभी सूट नहीं पहना, कभी जूते नहीं डाले। शर्ट भी जो पहनते हैं वह पेंट के बाहर रहती है। दिन में तीन बार कपड़े नहीं बदलते, वह एक सामान्य आदमी हैं।’
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दिल्ली CM के लिए कोर्ट में दी गई ऐसी दलील
केजरीवाल की याचिका में दी गई दलीलों में एक मुख्य बिंदु यह है कि वे दिल्ली के मुख्यमंत्री होने के नाते अपने कार्यक्रमों के लिए विशेष छूट पाने के हकदार हैं। उनके द्वारा उठाए गए आरोपों की जांच के दौरान यदि उन्हें अदालती कार्यक्रम में शामिल होना पड़ता है, तो उनके कामकाज में बाधा हो सकती है। इसलिए, केजरीवाल ने अपने कामकाज की बढ़िया चाल रखने के लिए यह गुजारिश की है कि उन्हें अदालती कार्यक्रम में छूट दी जाए।
यह याचिका केजरीवाल के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे दिल्ली के मुख्यमंत्री होने के नाते अपने कार्यक्रमों के लिए अधिक से अधिक समय निकाल सकेंगे। इससे उनके कामकाज में कोई बाधा नहीं आएगी और वे दिल्ली के लोगों के लिए बेहतर सुविधाएं प्रदान कर सकेंगे। इसके अलावा, यह याचिका उनके द्वारा पहने गए कपड़ों के बारे में भी जानकारी देती है, जो उनकी व्यक्तित्व को दर्शाती है।
इस याचिका के द्वारा केजरीवाल ने एक बार फिर से दिखाया है कि वे अपने कामकाज को लेकर कितने समर्थ हैं और उन्हें इसमें किसी भी प्रकार की बाधा नहीं चाहिए। उनकी याचिका में दी गई दलीलें उनके कामकाज की महत्वता को साबित करती हैं और इससे उनकी विश्वसनीयता में भी वृद्धि होती है।
अब यह देखना होगा कि मजिस्ट्रेट कोर्ट कैसा फैसला देता है और क्या केजरीवाल को इस याचिका में सफलता मिलती है। यह स्पष्ट है कि यह मामला दिल्ली के राजनीतिक मंच पर भी बड़ा प्रभाव डालेगा। इसलिए, इसकी तहरीर को ध्यान से पढ़ना और प्रमुख बिंदुओं पर विचार करना महत्वपूर्ण है।
अगर यह याचिका सफल होती है, तो केजरीवाल को अदालती कार्यक्रमों में छूट मिलेगी और वे अपने कामकाज में अधिक समय निकाल सकेंगे। इससे उनके कामकाज में बेहतरी होगी और वे दिल्ली के लोगों के लिए और भी अधिक सुविधाएं प्रदान कर सकेंगे। यह मामला दिल्ली के राजनीतिक मंच पर भी बड़ा प्रभाव डालेगा और इससे उनकी विश्वसनीयता में भी वृद्धि होगी।
इसलिए, हमें इस मामले को ध्यान से देखना चाहिए और यह देखना चाहिए कि केजरीवाल को कैसा फैसला मिलता है। यह मामला दिल्ली के राजनीतिक मंच पर बड़ा प्रभाव डालेगा और इससे उनकी विश्वसनीयता में भी वृद्धि होगी।
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