सितंबर 2024 में कब है अनंत चतुर्दशी? जानें तिथि

सितंबर 2024 में कब है अनंत चतुर्दशी? जानें तिथि

अनंत चतुर्दशी की तिथि

अनंत चतुर्दशी एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है, जिसे हर साल भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। सितंबर 2024 में यह पर्व विशेष रूप से प्रभावी है, क्योंकि यह तिथि शुभ मुहूर्त के अनुसार सभी आवश्यक धार्मिक कर्मकांडों के लिए अत्यंत उपयुक्त मानी जाती है। ज्योतिष पंचांग के मुताबिक भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 16 सितंबर दोपहर 03 बजकर 04 पर आरंभ हो रही है और इस तिथि का अंत 17 सितंबर सुबह 11 बजकर 44 पर रहा है। वहीं उदया तिथि को आधार मानते हुए अनंत चतुर्दशी का त्योहार 17 सितंबर को मनाया जाएगा।

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पारंपरिक हिन्दू पंचांग के अनुसार, यह तिथि शिव और विष्णु की पूजा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन धार्मिक अनुष्ठानों का विशेष महत्व होता है, जिसके तहत अनंत चतुर्दशी व्रत और पूजा की जाती है। इस तिथि को अत्यधिक शुभ माना जाता है और एक सामाजिक एवं धार्मिक दृष्टिकोण से सभी हिंदूयों के लिए महत्वपूर्ण होती है।

हिन्दू कैलेंडर में अनंत चतुर्दशी का विशेष स्थान है। यह तिथि गणेश उत्सव का समापन होती है, जब गणपति बप्पा का विसर्जन किया जाता है। साथ ही, यह तिथि भगवान विष्णु के अनंत रूप की आराधना के लिए भी जानी जाती है। इस दिन भक्तजन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और अनंत सूत्र धारण करते हैं, जो 14 गांठों से बने होते हैं।

अनंत चतुर्दशी के दिन किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठान और व्रत एक व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि लाने में सहायक होते हैं। यह पर्व समाज में भाईचारे और समर्पण की भावना को बढ़ावा देता है। अपने धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण, अनंत चतुर्दशी हिंदू कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण तिथि है।

अनंत चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त

अनंत चतुर्दशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि है जो भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। सितंबर 2024 में अनंत चतुर्दशी के शुभ मुहूर्त को जानना महत्वपूर्ण है ताकि पूजा और अनुष्ठान विधिपूर्वक किए जा सकें। इस वर्ष अनंत चतुर्दशी 16 सितंबर दोपहर 03 बजकर 04 पर आरंभ हो रही है और इस तिथि का अंत 17 सितंबर सुबह 11 बजकर 44 पर रहा है।

विशेषज्ञों के अनुसार, पूजा का शुभ मुहूर्त विशेष ग्रह-नक्षत्रों की स्थितियों पर निर्भर करता है। अनंत चतुर्दशी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त प्रातः काल 06:00 से शुरू होगा और यह दोपहर 12:30 तक रहेगा। यह समय अवधि सबसे अनुकूल मानी जाती है क्योंकि इसमें ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति पूजा और अनुष्ठान के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है।

शुभ मुहूर्त के दौरान पूजा करना अनंत चतुर्दशी के महत्व को और अधिक बढ़ा देता है। यह समय लाभकारी और समृद्धिप्रद माना जाता है, जिससे पूजा करने वाले को विशेष आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। सही मुहूर्त में की गई पूजा न केवल मानसिक शांति और आध्यात्मिक स्फूर्ति प्रदान करती है, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास भी कराती है।

ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए पूजा का शुभ मुहूर्त जानना अति महत्वपूर्ण होता है। ज्योतिषी मानते हैं कि ग्रहों की उचित स्थिति में की गई पूजा से विशेष फल प्राप्त होते हैं। अतः अनंत चतुर्दशी के दिन शुभ मुहूर्त का पालन करना आवश्यक होता है।

पूजा करते समय विशेष ध्यान रखने योग्य बातें जैसे पूजन सामग्री, भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र, अनंत सूत्र का महत्व भी समझना चाहिए। इन सभी अवयवों का पालन करने से पूरा अनुष्ठान सफल होता है और भक्त को विशेष आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।

इस प्रकार, अनंत चतुर्दशी के दिन शुभ मुहूर्त का पालन करना और सही समय पर पूजा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है जिससे अनंत भगवान का विशेष आशीर्वाद प्राप्त हो सके।

अनंत चतुर्दशी का धार्मिक महत्व

अनंत चतुर्दशी का प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। हिंदू धर्म में इसे विशेष स्थान प्राप्त है, और इस त्योहार का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। अनंत चतुर्दशी त्योहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष के सितंबर 2024 में अनंत चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त सही समय पर पूजा के लिए महत्वपूर्ण है।

हिन्दू पौराणिक कथाओं में अनंत चतुर्दशी का पौराणिक संदर्भ भगवान अनंत देव से जुड़ा है, जिन्हें भगवान विष्णु का अनंत रूप माना जाता है। कथाओं के अनुसार, भगवान अनंत ने मानवता को विभिन्न संकटों से बचाया और उन्हें कष्टों से मुक्ति दिलाई। इस दिन, भगवान अनंत की विशेष पूजा की जाती है, जिसमें महिलाएं और पुरुष दोनों 14 गांठों वाला धागा बांधते हैं, जिसे ‘अनंत सूत्र’ कहा जाता है। इस धागे को बांधते समय भगवान अनंत से प्रार्थना की जाती है कि वे अपने भक्तों को सुख, समृद्धि और लंबी आयु प्रदान करें।

इस दिन ब्रह्मा, विष्णु तथा महादेव के त्रिदेव एक ही स्वरूप में पूजे जाते हैं। इस पावन दिन पर व्रत रखने और पूजन करने से सभी प्रकार के दुखों और कष्टों से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी का पालन करने से भगवान विष्णु की कृपा से जातक के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और वे सभी धन-धान्य, ऐश्वर्य और समृद्धि से पूर्ण होते हैं।

सितंबर 2024 में आने वाली अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्त्व है, क्योंकि इस दिन शुभ मुहूर्त का पालन करके व्रत रखने वाले व्यक्तियों को विशिष्ट आध्यात्मिक लाभ प्राप्त हो सकते हैं। इस पावन अवसर पर पुण्य प्राप्ति के साथ ही एक सुखी और समृद्ध जीवन भी सुनिश्चित किया जा सकता है।

अनंत चतुर्दशी के दौरान विशेष अनुष्ठान और परंपराएँ

अनंत चतुर्दशी, जिसे सितंबर 2024 में मनाया जाएगा, एक विशेष त्योहार है, जिसमें विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और परंपराएँ निभाई जाती हैं। इस दिन भक्तगण भगवान अनंत की पूजा विधि एवं अन्य पारंपरिक गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं। अनंत चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त और महत्व विशेष रूप से इस दिन को धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बनाते हैं।

पूजा की विधि

इस दिन का प्रारंभ सावन स्नान से किया जाता है, जिसमें भक्तगण पवित्र नदियों या जलस्रोतों में स्नान करते हैं। इसके पश्चात वे घर लौटकर भगवान विष्णु, जिन्हें अनंत के रूप में पूजा जाता है, की मूर्ति स्थापित करते हैं। भगवान की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर, उन्हें जल, अक्षत, चंदन, फूल एवं तुलसी पत्र अर्पित किए जाते हैं। विशेष रूप से, भक्त अनंत सूत्र (धागा) को भगवान के चरणों में रखकर, मंत्रोच्चारण के साथ अपनी कलाई पर बांधते हैं।

प्रसाद और व्रत

पूजा के उपरांत प्रसाद में पंचमेवा, पंचामृत, और विभिन्न प्रकार के मिठाई वितरित की जाती है। कुछ लोग इस दिन उपवास रखते हैं और शाम को विशेष स्वादिष्ट व्यंजन जैसे खिचड़ी या हलवा ग्रहण करते हैं। उपवास रखने वाले भक्त दिनभर फल और जल का सेवन करते हैं।

विसर्जन एवं परंपराएँ

अनंत चतुर्दशी का एक और महत्वपूर्ण कार्यक्रम है भगवान अनंत की प्रतिमा का विसर्जन, जो प्रायः नदी, तालाब या अन्य जलस्रोत में किया जाता है। विसर्जन के समय भक्तजन ढोल-नगाड़ों और बाजे-गाजे के साथ जुलूस निकलते हैं और उत्साहपूर्वक इस धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेते हैं। विशेष रूप से महाराष्ट्र में गणेश जी की प्रतिमाओं का विसर्जन भी इसी दिन बड़े धूमधाम के साथ किया जाता है।

क्षेत्रीय विविधताएँ

विभिन्न क्षेत्रों में अनंत चतुर्दशी अलग-अलग तरीकों से मनायी जाती है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश और बिहार में इसे भगवान विष्णु के अद्वितीय रूप की पूजा के साक्षात्कार के रूप में देखा जाता है। वहीं, गुजरात में इसे समाजिक उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है, जहाँ विशेष मेलों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। हर क्षेत्र में इसके अपने-अपने रीति-रिवाज और सांस्कृतिक परंपराएँ हो सकती हैं, जो इस त्योहार को और भी रंग-बिरंगा बनाते हैं।

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( Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न माध्यमों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है | Unique 24 News इसकी पुष्टि नहीं करता है )

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